यंग भारत ब्यूरो
हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार ने कहा कि कुरान का हर शब्द धार्मिक है, लेकिन उसे मानना अनिवार्य नहीं है। राज्य सरकार के एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग नवदगी ने गौकशी पर कोर्ट के फैसले का हवाला दिया।
सुनवाई के दौरान जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि हिजाब पर मैं कुछ साझा करना चाहता हूं। मैं लाहोर हाईकोर्ट के एक जज को जानता हूं, जो भारत आया करते थे। उनकी दो बेटियां भी थी, लेकिन मैंने कभी उन बच्चियों को हिजाब पहनते नहीं देखा। इतना ही नहीं, मैं पंजाब से लेकर पटना और यूपी तक कई मुस्लिम परिवारों से मिला पर आज तक किसी महिला को हिजाब पहने नहीं देखा।
धार्मिक और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला, संवैधानिक बेंच में केस भेजें
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि हिजाब का विवाद धार्मिक और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है, इसलिए इस केस को संवैधानिक बेंच में भेजा जाए। याचिकाकर्ता की दलील थी कि छात्राएं स्टूडेंट्स के साथ भारत के नागरिक भी हैं। ऐसे में ड्रेस कोड का नियम लागू करना उनके संवैधानिक अधिकार का हनन होगा।
सुनवाई के दौरान कोर्ट की 3 टिप्पणी, जो चर्चा में रही
- सड़कों पर हिजाब पहनना हो सकता है किसी को ऑफेंड न करे, लेकिन स्कूल में पहनने का मामला अलग है।
- इसे अतार्किक अंत की तरफ मत ले जाओ। कपड़े पहनने के अधिकार में कपड़े उतारने का भी अधिकार है?
- हिजाब देखकर ही कुछ छात्रों ने भगवा शॉल पहनकर स्कूल आना शुरू कर दिया, जिससे यह पूरा विवाद शुरू हो गया।