उरई(जालौन)। अगर आपको कामयाब होने का संकल्प मजबूत है तो सफलता आपके कदम चूमेगी। प्रतिभा एक ऐसा गुण है जिसमें आपका अतीत मायने नही रखता हैं, वह कही न कही निखर कर सामने आ ही जाता हैं। ऐसी एक कहानी है निपुण बालिका अनुराधा राजपूत की, अनुराधा एक छोटे से गांव सुनाया की रहने वाली है जो प्राथमिक विद्यालय सुनाया की कक्षा-3 की छात्रा है। अनुराधा के पिता नरेश राजपूत एक साधारण से किसान है, माता गृहणी हैं। अनुराधा ने बचपन से ही सीमित संसाधानों में पली बड़ी तथा उसकी रूचि चित्र देखकर कहानी बनाने में, कैरम खेलने में, पोस्ट कार्ड एवं कला क्षेत्र में रही है। अनुराधा बचपन से ही होनहार छात्रा रही है अपने साथ की छात्राओं के साथ ज्यादातर समय इधर-उधर खेलने तथा व्यर्थ करने की बजाय उसने पढ़ाई करने में व्यतीत किया। विद्यालय की शिक्षिका साधना देवी द्वारा दिए गए मार्गदर्शन के कारण अनुराधा ने प्रति विषय में काफी मेहनत की तथा प्रश्न पत्र हल करने के सतत अभ्यास किया अनुराधा की कड़ी मेहनत के कारण वह परीक्षा के चारों स्तर पर उत्तीर्ण कर निपुण लक्ष्य प्राप्त किया।
Get real time update about this post categories directly on your device, subscribe now.