समूह सम्पादक- संजय श्रीवास्तव
उत्तर प्रदेश नगर पालिका वित्तीय संसाधन विकास बोर्ड की बुधवार को विधान परिषद में रखी गई वार्षिक रिपोर्ट में निकाय सीमा में शामिल नए क्षेत्रों में जरूरी सुविधा होने तक गृहकर की वसूली न करने की संस्तुति की गई है। इसके साथ ही यह भी संस्तुति की गई है कि आवासीय भवनों की तरह 10 वर्ष से पुराने अनावासीय भवनों में कर में छूट का प्रावधान होना चाहिए।
राज्य सरकार ने निकायों की आय में बढ़ोत्तरी के लिए उततर प्रदेश नगर पालिका वित्तीय संसाधन विकास बोर्ड का गठन किया है। बोर्ड निकायवार सर्वे कराते हुए रिपोर्ट तैयार कराने के साथ ही अपनी संस्तुतियां देता है। इसमें बताया जाता है कि आय बढ़ाने के लिए किन मदों में लाइसेंस शुल्क लिया जा सकता है या फिर किस मद में कितना छूट दिया जा सकता है। प्रदेश में वर्ष 2017 से लेकर अब तक 110 निकायों का विस्तार और 117 नई निकायों का गठन किया गया है। पालिका परिषद और नगर निगम अधिनियम में दी गई व्यवस्था के आधार पर निकाय सीमा में आने वाले क्षेत्र के आवासीय व अनावासीय भवनों से गृहकर लेने की व्यवस्था है।
नगर पालिका वित्तीय संसाधन विकास बोर्ड की वार्षिक रिपोर्ट में की गई संस्तुति में कहा गया है कि नई, उच्चीकृत व सीमा विस्तार वाले क्षेत्रों में टैक्स की कार्यवाही सड़क, पेयजल व मार्ग प्रकाश की सुविधा होने तक न की जाए। निकायों को सिविल निर्माण की सामान्य जानकारी के लिए पुस्तिका का प्रकाशन करना चाहिए। इसी तरह निकायों में अध्यक्ष के न होने की स्थिति में सदस्य अपने बीच किसी को इस पद के लिए चुन सकते हैं। स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, शैक्षिक संस्थानों द्वारा भूमि व भवन का उपयोग शैक्षणिक व खेलकूद आदि की गतिविधियों से इतर किए जाने पर अनावासीय गृहकर लगाने की संस्तुति की है।