उरई(जालौन)। जिला औद्यानिक मिशन योजनान्तर्गत दो दिवसीय जिला स्तरीय उद्यान गोष्ठी / कृषक मेले का आयोजन राजकीय मेडिकल कॉलेज, ओडिटोरियम में किया गया जिसका उद्घाटन जिलाधिकारी चॉदनी सिंह, मुख्य विकास अधिकारी अभय कुमार श्रीवास्तव फीता काटकर किया। जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी ने विभागों द्वारा लगाये गये स्टालों का भ्रमण कर विभिन्न विभागों द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं की जानकारी प्राप्त की। जिलाधिकारी ने कृषकों को एकीकृत बागवानी मिशन की पुस्तिका विमोचन किया तथा कृषकों को एफ.पी.ओ. से होने वाले लाभों के विषय में विस्तार से चर्चा की। जिलाधिकारी ने कहा कि बुन्देलखण्ड की भूमि प्राकृतिक रूप से सभी पौषक तत्वों से भरपूर है। यहाँ की मृदा का संरक्षण कर एवं वर्षा जल का संरक्षण कर पौधों का रोपण करना आवश्यक है। कृषकों को केवल कृषि ही नहीं बागवानी,पशुपालन आदि कार्य भी करने चाहिये जिससे उनके आय के स्रोत बन सके कृषक भाईयों को सिंचित स्थानों पर अमरूद, आवंला, बेर, नीबू वर्गीय पौधों लगाये, जिसके रोपण पर राज्य सरकार द्वारा अनुदान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जनपद के किसान उन्नतशील किसान हैं यहां पर मूल फसल से हटकर मटर का उत्पादन कर समृद्ध बन रहे हैं। सूर्य नायक अध्यक्ष किसान मोर्चा भारतीय जनता पार्टी ने सरकार द्वारा कृषकों के हित में चलायी जा रही योजनाओ के विषय में कृषकों को अवगत कराया। डॉ० राजीव कुमार वैज्ञानिक के. वी. के. रूरामल्लू द्वारा बताया गया कि अमरूद की बागवानी के लिये माह जुलाई से ही गढडों को खोदकर पेड़ों का रोपण करें, तथा किल्लों के नीचे की छड़ाई एवं थाले बनाकर निराई गुडाई करते रहे, जिसके समय से बाग तैयार हो सकें। दिनेश प्रताप सिंह जिला प्रवक्ता भारतीय किसान यूनियन ने उद्यान विभाग द्वारा संचालित योजना का नियमानुसार संचालन के लिये जिला उद्यान अधिकारी की सराहना की, वैज्ञानिक सिट्रिस बरूआ-सागर झांसी ने कृषकों को बागवानी से सम्बन्धित जानकारी, विभाग द्वारा संचालित प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना से होने वाले लाभों को विषय में कृषकों को विस्तार से बताया माइक्रोइरीगेशन प्रभारी गौरव तिवारी द्वारा फर्मों के प्रतिनिधियों द्वारा स्प्रिंकलर, मिनी स्प्रिंकलर, टपक सिचाई की स्टॉल लगाया गया जिसमें कृषकों स्प्रिंकलर से होने वाले लाभों के विषय में विस्तार से चर्चा की। है। डा० डी०एस० यादव ने फल सब्जियों में सूक्ष्म पौषक तत्वों की जानकारी देते हुये बताया कि सामान्य रूप से कृषक केवल नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं पोटाश का ही कृषक फसल में करते हैं जबकि 16 पौषक तत्वों की आवश्यकता रहती है। इसके लिये बोरान, लोहा, तांबा, जस्ता, मैग्नीज, मैग्नेशियम आदि तत्वों का भी प्रयोग करे जिससे फसलों में रोग कीट कम लगते है एवं उत्पादन अच्छा होता हैं। सराहनीय कार्य करने वाले एफ०पी०ओ० एवं कृषकों को साल पहनाकर सम्मान किया गया। कृषकों की समस्याओं का निराकरण मंचाशीन वैज्ञानिकों द्वारा किया गया कार्यक्रम में देवीदीन कुशवाहा, गौरव तिवारी, अमित कुमार आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन पॉलिटेक्निक राघवेंद्र सिंह द्वारा किया गया।
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