प्रयागराज. बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल शूटआउट केस के बाद हुए दो पुलिस एनकाउंटर के मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिए गए हैं. 24 फरवरी को हुए शूटआउट कांड में उमेश पाल के साथ ही दो सरकारी गनर संदीप निषाद और राघवेंद्र सिंह की भी मौत हो गई थी. पुलिस मुठभेड़ में मारे गए शूटरों को लेकर मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए हैं. डीएम प्रयागराज संजय खत्री ने मजिस्ट्रियल जांच एडीएम प्रशासन हर्षदेव पांडेय को सौंपी है, ताकि पुलिस एनकाउंटर को लेकर भविष्य में भी कोई सवाल ना उठा सके.
जांच अधिकारी नामित किए जाने के बाद एडीएम प्रशासन हर्षदेव पांडेय ने विज्ञप्ति जारी कर लोगों से मजिस्ट्रियल जांच में सहयोग की अपील की है. उन्होंने कहा है कि मुठभेड़ के संबंध में कोई भी व्यक्ति जानकारी दे सकता है. कोई भी व्यक्ति 31 मार्च शाम पांच बजे तक उनके दफ्तर में आकार जानकारी दे सकता है. एडीएम प्रशासन दफ्तर में अपना बयान दर्ज करा सकता है. इसके अलावा कोई गोपनीय साक्ष्य भी उपलब्ध करा सकता है.
अरबाज और उस्मान हुए थे एनकाउंटर में ढेर
मुठभेड़ में मारे गए दोनों आरोपी अरबाज और विजय चौधरी उर्फ उस्मान उमेश पाल हत्याकांड में शामिल बताए गये थे. शूटआउट काण्ड के चौथे दिन 27 फरवरी को धूमनगंज थाना क्षेत्र के नेहरू पार्क में पुलिस एनकाउंटर में अरबाज ढ़ेर हुआ था. अरबाज के बारे में बताया जा रहा है कि वह असद का ड्राइवर था और शूटआउट कांड में क्रेटा कार वही चला रहा था. वहीं 6 मार्च को कौंधियारा थाना क्षेत्र में विजय चौधरी उर्फ उस्मान से पुलिस की मुठभेड़ हुई थी. जिसमें उस्मान पुलिस की गोली से मारा गया था. उस्मान पर आरोप था कि उसने ही उमेश पाल पर पहली गोली चलाई थी. उस्मान अतीक अहमद गैंग का शार्प शूटर भी बताया गया है.
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