कानपुर में एक परिवार डेढ़ साल से आयकर अधिकारी विमलेश सोनकर की लाश के साथ रह रहा था। मामले की जानकारी शुक्रवार को हुई, जब विभाग के कर्मचारी उनके घर पहुंचे। परिवार उन्हें कोमा में बताता रहा। मगर, डॉक्टरों का कहना है कि उनकी मौत हो चुकी है। मौत कब हुई थी, इसकी सटीक टाइमिंग पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सामने आएगी।
विमलेश के पिता राम अवतार ने बताया- धड़कन चल रही थी, तभी हम रखे हुए थे। डॉक्टर से जांच करवाया था, उन्होंने भी जिंदा होने की बात कही। राम अवतार ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से सेवानिवृत्त हैं। भाई दिनेश ने बताया- हमने शरीर में कोई भी लेप नहीं लगाया था। जब मरे थे, हम लोग शवयात्रा की तैयारी कर रहे थे। तभी धड़कन चलने पर उनका अंतिम संस्कार रोक दिया। उनके शरीर से भी कोई बदबू नहीं आ रही थी।
कोरोना की दूसरी लहर में बिगड़ी थी तबीयत
मामला रोशननगर के कृष्णापुरम् का है। यहां विमलेश सोनकर अपनी पत्नी मिताली के साथ रहते थे। मिताली को-ऑपरेटिव बैंक में जॉब करती हैं। विमलेश सोनकर अहमदाबाद इनकम टैक्स में AO के पद पर कार्यरत थे। पड़ोसियों ने बताया, ” कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 22 अप्रैल 2021 को तबीयत बिगड़ने पर मोती हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था।”
अंतिम संस्कार की तैयारी थी, उस वक्त परिवार ने कहा- सांस लौट आई
इलाज के दौरान जून 2021 में उनकी मौत हो गई थी। जिसका डेथ सर्टिफिकेट भी उनके परिजन को दिया गया था। घर आने के बाद अंतिम संस्कार की तैयारी के दौरान अचानक मृतक की दिल की धड़कन आने की बात कहकर घर वालों ने अंतिम संस्कार टाल दिया गया था।”
रोजाना घर पर ऑक्सीजन सिलेंडर भी लाते थे
पुलिस ने पूछताछ की तो कुछ पड़ोसियों ने कहा कि उन्हें तो यही विश्वास था कि विमलेश जिंदा हैं और कोमा में हैं। डेढ़ साल से रोजाना घर पर ऑक्सीजन सिलेंडर भी लाए जाते थे। इसलिए कभी उन्हें उनकी मौत का आभास नहीं हुआ और पुलिस को भी जानकारी देना उचित नहीं समझा।
मांस हड्डियों में ही सूख गया
तब से लगभग डेढ़ साल हो रहे हैं। घर के अंदर एक पलंग पर लाश को लेटा रखा था। मृत शरीर की हालत बेहद खराब हो चुकी है और मांस हड्डियों में ही सूख गया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि परिजन विमलेश को कोमा में होने की बात बता रहे थे।
स्वास्थ्य विभाग की टीम घर पहुंची, तो परिजन ने शव ले जाने से मना कर दिया। परिजन इस बात पर डटे रहे कि विमलेश अभी भी जीवित हैं। टीम ने शव को कब्जे में लेकर हैलट अस्पताल भेजा। अब पोस्टमॉर्टम कराया जा रहा है। हालांकि, डेढ़ साल तक बॉडी के साथ परिवार के लोग कैसे रहे? यह बात किसी को समझ में नहीं आ रही है।
डीएम को भेजा गया था लेटर
डेढ़ साल से विमलेश जॉब पर नहीं गए थे। ऐसे में आयकर विभाग ने डीएम कानपुर को लेटर भेज कर जानकारी मांगी थी। इस पर डीएम ने CMO की अध्यक्षता में जांच टीम गठित की थी। टीम शुक्रवार को विमलेश के घर पहुंची तब मामले का खुलासे हुआ।
पड़ोसियों को नहीं आई बदबू
घर के पास रहने वाले जहीर ने बताया कि ये परिवार किसी से मतलब नहीं रखता था। इसलिए हम ज्यादा बता नहीं सकते। ये सुनने में आया था वो कई दिनों से कोमा में चल रहे हैं। उनके घर से बदबू कभी नहीं आई।