लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद सभी राजनीतिक दल यूपी नगर निकाय चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं। रविवार को बसपा सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने लखनऊ स्थित कार्यालय में वरिष्ठ पदाधिकारियों और सभी 75 जिला अध्यक्षों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की। मायावती ने कहा कि यूपी में दिन-प्रतिदिन की विकट समस्याओं से त्रस्त करोड़ों लोगों के जीवन में बेहतरी के लिए बीएसपी ही एक मात्र आशा की किरण है। बसपा सुप्रीमो ने पार्टी पदाधिकरियों से आगामी निकाय चुनाव में पूरे तन मन धन से जुट जाने के लिए निर्देश दिये। उन्होंने कहा बीजेपी को हराने के लिये बसपा जरूरी है।
निकाय चुनाव में टिकट बंटवारे पर मायावती ने कहा कि इस चुनाव में उम्मीदवारों का चयन काफी सोच समझकर करें। उन्हीं लोगों को प्राथमिकता दें, जो निजी स्वार्थ लाभ में डूबे रहने के बजाय, अपने क्षेत्र के लोगों के हित, कल्याण व क्षेत्र के विकास में रुचि रखते हों जिससे उनके जीतने का लाभ स्थानीय लोगों को आगे चलकर मिल सके। इसके साथ ही बसपा सुप्रीमो ने पार्टी पदाधिकारियों से इस चुनाव में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग व विरोधी पार्टियों के साम, दाम, दण्ड, भेद जैसे घिनौने हथकण्डों से भी खुद को बचने के लिये कहा है। साथ ही लोगों को भी इससे बचाने जैसी परिपक्वता के साथ चुनाव जीतने के लिए मुस्तैदी जरूरी है।
‘दलित समाज मजबूती से बसपा के साथ खड़ा है’
मायावती ने कहा कि दलित समाज मजबूत चट्टान की तरह बीएसपी और मूवमेन्ट के साथ हमेशा खड़ा रहा है, जबकि सपा जैसी पार्टियों के वोट बैंक खिसकते रहे हैं। जिसके कारण बीजेपी यूपी में मजबूत हुई है। वहीं उन्होंने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ओबीसी वर्ग के हित, कल्याण व इनके आरक्षण, बेरोजगारी व खेती संकट जैसे मुद्दों को लेकर बीजेपी सरकार पूरी तरह से कठघरे में है। इनकी हालत डामडोल है। मायावती ने कहा इस सरकार में वास्तविक विकास सिर्फ मुट्ठीभर सत्ताधरी लोगों का हुआ है, जो कानून के ऊपर है।
‘कांशीराम का नाम भुनाने को सपा ने शुरू की पैंतरेबाजी’
वहीं, मायावती ने समाजवादी पार्टी पर भी जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि सपा दलित, अति पिछड़े व मुस्लिम समाज के हित व जान-माल की सुरक्षा के मामले में दुलमुल नीति व छलावापूर्ण रवैये के कारण पूरी तरह से बैकफुट पर हैं। मायावती ने आगे कहा कि इन्होंने कांशीराम के नाम को भुनाने की नई पैतरेबाजी शुरू कर दी है, जबकि सपा का दलितों, अति पिछड़ी जातियों व इनके मसीहा बाबा साहेब व मान्यवर कांशीराम के प्रति एहसान फरामोशी व इनका राजनीतिक द्वेष एवं जातिवादी विद्वेष का लम्बा इतिहास पूरी तरह से लोगों के सामने है। इसके लिए उन्हें कभी माफ नहीं किया जा सकता है।
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