चबंल घाटी की सैरनी नदी जो सूख चुकी थी, वह अब शुद्ध सदानीरा होकर बह रही है। मई महीने में भी सैरनी नदी में पूर्णतः जल प्रवाह है। जब यह नदी सूख गई थी, तब हजारों चंबल के शेर लाचार, बेकार, बीमार, फरार, होकर, अपना गावं छोड क़र बाहर चले गए थे। गांवों में पानी नहीं होने के कारण ये खेती नहीं कर सकते थे, तब ये बहुत हिंसक कामां में जुटे थे, इनका काम डरना और डराना ही बन गया था। अब ये सब इस जल प्रवाह को देख कर , समझकर जल उपयोग दक्षता बढा़ कर, जल के उपयोग से डरना व डराना छोड़कर, अहिंसक, पानीदार ,इज्जतदार और मालदार बन गए है।
जब सैरनी नदी सूखी तो यहां की सभ्यता भी हिंसक बनकर,सूख कर मर रही थी। अब सैरनी नदी शुद्ध सदानीरा बहने से यहां की सभ्यता, संस्कृति, सदाचार और संस्कारां के गहरे सरोकारां के साथ अहिंसक पुनर्जीवित हुई है। इसलिए सब अब सम्मान, सदाचार, व्यवहार करने के लिए आप सभी को बुला रहे हैं। इस हेतु दो दिनों का सम्मेलन 19 व 20 मई 2023 को सैरनी नदी पर आयोजित कर रहे है। इस नदी ने हिंसक आर्थिकी को, अब अहिंसक, प्राकृतिक, पारिस्थितिकी, पर्यावरणीय और आर्थिकी का आधार बना दिया है।
आप सभी सैरनी नदी से मिलने महाराजपुर गांव करौली, पहुँचें। यह इस नदी की पहली जल धारा का उदगम गांव ह. इसी प्रकार कोरीपुरा, भडू ख़् ोड़ा, ऊमरी और बहुत सारे गांवों में भी उद्गम स्थल है। वहां जाकर दख्े ां कि, किस प्रकार सैरनी के बेटों न े अपनी मरी-सूखी हुई सैरनी नदी को पुनर्जीवित किया है। दो दिन के सैरनी मिलन में सभी जल धाराआें के उदगम स्थानो ं पर जाकर, संगम तक, चबं ल के अहिंसक शेरों के साथ यात्रा करके, उनसे ही जानेंगे कि, यह सरैनी शुद्ध सदानीरा कैसे बनी है?
चंबल के पानीदार समाज से मिलने का यह अच्छा अवसर है। राजस्थान के करौली जिले में सैरनी नदी की नौ जल धाराओं के उदगम स्थानों पर सैरनी के शेरों और शेरनियों के साथ बातचीत और सभाएँ आयोजित होंगी। मई महीने में सर्वाधिक गर्मी पड़ती है ,ऐसे में नदी को अविरल बहता हुआ देखना, जानना हमारे स्वास्थ्य ऊर्जा और समझ को गहरा बनायगे। अहिसंक आर्थिकी आरै पारिस्थितिकी के रास्ते भी दिखायेगा। आप इस सैरनी मिलन हेतु चंबल के शेरों का प्यार भरा आमत्रं ण स्वीकार करं और सैरनी से मिलने आएँ। अपने आने की सूचना निम्न संपर्क सूत्र पर प्रदान करें।