बसपा प्रमुख मायावती ने आरबीआई के दो हजार के नोट वापस लेने के फैसले लेने के मामले में पहली बार अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है।
मायावती ने ट्वीट कर कहा कि, ‘करेन्सी व उसकी विश्व बाजार में कीमत का सम्बंध देश का हित व प्रतिष्ठा से जुड़ा होने के कारण इसमें जल्दी-जल्दी बदलाव करना जनहित को सीधे तौर पर प्रभावित करता है। इसीलिए ऐसा करने से पहले इसके प्रभाव व परिणाम पर समुचित अध्ययन जरूरी। सरकार इस पर जरूर ध्यान दे’।
बैंकों में सामान्य तरीके से बदले व जमा किए जा रहे दो हजार के नोट
कालाधन पर प्रहार के लिए दो हजार के नोट बंद किए जाने के बाद लोग इसे खपाने की जुगत में लग गए हैं। जिनके बाद अधिक नोट हैं वे बैंकों में जमा तो कर रहे ही हैं। साथ ही सराफा बाजार व पेट्रोल पंप पर भी इसे खपाया जा रहा है। एलडीएम प्रभात सिन्हा ने बताया कि ग्राहकों में तनाव जैसी स्थिति बिल्कुल नहीं है। सामान्य तरीके लोग बैंक में नोट बदल व जमा कर रहे हैं। कारण कि दो हजार के नोट बहुत कम ही है। प्राइवेट बैंकों में थोड़ी अधिक भीड़ थी।
जानकार बताते हैं कि भले आरबीआई ने कहा है कि अपने बैंक खाते में जितना चाहे उतना दो हजार के नोट जमा कर सकते है लेकिन उनती ह्वाइट मनी होनी चाहिए। इसके बाद ही जमा करना चाहिए वरना आयकर विभाग के नजर में भी आ सकते हैं। ऐसा होने से सरकार को ब्लैक मनी पर अंकुश लगाने में सफलता मिलेगी। अभी से ब्लैक मनी रखने वालों के फोन वितीय सलाहकारों के पास आने शुरू हो गए है।
बाजार में दो हजार के नोट बहुत कम होने से तनाव जैसी स्थिति नहीं
उधर, पूर्वांचल रियल स्टेट एसोसिएशन संरक्षक अनुज डीडवानिया ने कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से दो हजार के नोट 30 सितंबर के बाद बैंक में जमा ना लेने का फैसला स्वागत योग्य है। इस फैसले से काले धन पर जबरदस्त प्रहार हुआ है। वर्तमान में भ्रष्ट नेता, भ्रष्ट अधिकारी व माफियाओं के पास जो करोड़ों का कालाधन पड़ा है वो रकम अब उनके किसी काम की नहीं रहेगी। कारण कि एक बार में दो हजार रुपये ही बैंक में देकर छोटे नोट प्राप्त कर सकते है। बताया कि सरकार के इस निर्णय से डिजिटल ट्रांजैक्शन में बहुत बड़ा उछाल देखने को मिलेगा।
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