माहवारी के दौरान न पाले भ्रांतियां
जल्दी या देरी से माहवारी होने पर लें डॉक्टर की सलाह
उरई(जालौन)। केस-1-महिला अस्पताल में 12 साल की बेटी के साथ उनकी मां ओपीडी में पहुंची और डॉक्टर को बताया कि इसे तीन महीने से पीरियड आ रहे है लेकिन कभी समय से नहीं आते हैं। कभी 20-22 दिन में आ जाते है और सभी 30 दिन में। कोई टाइम निर्धारित नहीं है। इसे लेकर वह चिंतित है कि कहीं इसे पीरियड में कोई समस्या तो नहीं है।
केस-2-एक 45 वर्षीय महिला अस्पताल में पहुंची और बताया कि उसकी आंखें कमजोर हो रही है। पैरों में दर्द रहता है। माहवारी होना बंद हो गई है। कहीं यह समस्या माहवारी के कारण तो नहीं हो रही है। जबकि माहवारी जब उसे होती थी तो उसे किसी तरह की कोई समस्या नहीं होती थी। मानसिक रुप से वह बहुत परेशान है।
माहवारी के दौरान बरते साफ सफाई
जिला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ सुनीता बनौधा का कहना है कि महिला अस्पताल की ओपीडी में माहवाारी से संबंधित समस्याओं को लेकर आठ से दस फीसदी मरीज आते है। जो अनियमित माहवारी और संक्रमण को लेकर समस्या बताती है। ऐसे मरीजों की काउंसलिंग के साथ दवाई दी जाती है। माहवारी को लेकर अभी भी महिलाओं और लड़कियों में तमाम भ्रांतिया हैं। माहवारी के दौरान स्वच्छता का विशेष महत्व होता है। माहवारी की स्वच्छता के बारे में जागरुक करने के लिए ही हर साल 28 मई को माहवारी स्वच्छता दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य माहवारी के दौरान महिलाओं और लड़कियों को जागरुक करना है और माहवारी को लेकर जो भ्रांतियां है, उन्हें दूर करना है।
माहवारी को लेकर ना पाले भ्रांतियां
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी परिवार कल्याण डॉ एसडी चौधरी का कहना है कि मासिक धर्म में स्वच्छता की बड़ी भूमिका होती है। इसमें लापरवाही से कई तरह की बीमारियां हो सकती है। माहवारी के दौरान बरती जाने वाली स्वच्छता के बारे में जागरुक करना होगा। पुरानी परपंरागत सोच को बदलना होगा। हालांकि अब माहवारी को लेकर सोच में बदलाव आ रहा है। स्वच्छता बरत रहे है।
मां बेटी के साथ रखे फ्रेंडली व्यवहार
जिला अस्पताल के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ एमके वर्मा बताते है कि किशोर वर्ग की आयु में शारीरिक बदलाव होेने लगते है। ऐसे में मां को चाहिए कि वह बेटी के साथ माहवारी शुरु होने के दौरान अच्छी जानकारी दे और उसका मानसिक संबल बनकर काम करें। किसी समस्या होने पर चिकित्सक को दिखाए। माहवारी का औसत चक्र 28 से 29 दिन का होता है।
माहवारी बंद होने पर होती है मानसिक समस्या
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ संजीव प्रभाकर का कहना है कि 45 साल से अधिक आयु में महिलाओं की माहवारी बंद होने लगती है। ऐसे में महिलाएं कई भ्रांतियां पाल लेती है। जबकि हकीकत यह है कि माहवारी बंद होेने से आंखों की रोशनी कम होने का कोई मतलब नहीं है। साथ ही शारीरिक दर्द भी माहवारी बंद होने के कारण नहीं होता है। यह उम्र के साथ होने वाली बीमारी है।
माहवारी के दौरान ज्यादा स्वच्छता बरतने की जरूरत
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ अशोक कुमार सिंह का कहना है कि नौ साल से 15 साल के बीच में माहवारी शुरू हो जाती है। हालांकि माहवारी की सही उम्र 12 से 13 साल होती है। शुरूआत में माहवारी दो से सात दिन की होती है। कभी कभार यह घट और बढ़ जाती है। हालांकि माहवारी में 80 एमएल से ज्यादा ब्लीडिंग नहीं होनी चाहिए। अंतिम माहवारी 40 से 58 साल तक की हो जाती है। पीरियड को लेकर कई लड़कियां और महिलाएं बात करने से झिझकती है। पीरियड के दौरान बाकी दिनों से ज्यादा स्वच्छता अपनाने की जरूरत होती है। वर्ना इससे संक्रमण होने का खतरा होता है।
यह बरते सावधानी
1-पैड का इस्तेमाल करें और छह से आठ घंटे में अपना पैड बदल दें।
2-नहाते समय साफ सफाई का विशेष ध्यान रखे।
3-यूज किए गए पैड का दोबारा इस्तेमाल न करें।
4-इस्तेमाल किए गए पैड को पेपर या नैपकिन में लपेटकर कूड़ेदान में डाले।
5-अच्छा खानपान रखे और तनाव न लें।
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