उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की छोटी नदियों के पुनर्जीवन के होंगे प्रयास
परमार्थ समाज सेवी संस्थान द्वारा छोटी नदियों के पुनर्जीवन विषय पर आयोजित कार्यशाला का हुआ समापन
26 जून, 2023। झांसी। परमार्थ समाज सेवी संस्थान की ओर से आयोजित छोटी नदियों के पुनर्जीवन विषय पर आयोजित कार्यशाला के दूसरे दिन छोटी नदियों को बचाने में आ रही चुनौतियों एवं वर्तमान परिदृश्य में सरकार के प्रयासों पर विमर्श किया गया। कार्यशाला में निर्णय लिया गया कि कृषि विश्वविद्यालय झाँसी, जिला प्रशासन एवं गैर सरकारी संस्थाओं के सामूहिक प्रयास से झाँसी की पहुंच नदी को पुनर्जीवित किया जाएगा साथ ही उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में छोटी नदियों के पुनर्जीवन के लिए प्रयास किए जाएंगे।
रानी लक्ष्मी बाई कृषि विवि में आयोजित राष्ट्रीय विमर्श के समापन समारोह में सोमवार को
मुख्य अतिथि के रूप में प्रकाश राव कैबिनेट मंत्री, तेलंगाना वाटर बोर्ड, तेलंगाना ने कहा कि 34 लाख बोरवेल तेलंगाना मे हैं।
कृष्णा, गोदावरी के माध्यम से 97 प्रतिशत जनसंख्या को शुद्ध पेयजल की उपलब्धता होती है ।
तेलंगाना के 23 हज़ार गांवों में एक करोड़ दस लाख आबादी को पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित की है। पहाड़ों के ऊपर रहने वाले आदिवासी समुदाय को भी पानी उपलब्ध कराया गया है। तेलंगाना के तालाबों को ठीक कराने के बाद अब पहले की अपेक्षा पानी की मात्रा में इजाफा हुआ है।
उन्होंने कहा कि पानी की उपलब्धता होने से उनके राज्य में पलायन मे काफी कमी आई है साथ ही चिड़ियाँ का आवागमन भी होने लगा है। 18 हज़ार चेकडैम तेलंगाना मे बनवाये गए जिससे आसपास के क्षेत्रों में काफ़ी हरियाली आयी है। हरियाली की वज़ह से तापमान में 2 प्रतिशत की गिरावट हुई है।
उन्होंने बताया कि विगत 6 वर्षों में तेलंगाना मे बिल्कुल सूखा नहीं पड़ा है और वहां कम पानी वाली फसलों एवं मोटे अनाज को बढावा दिया गया है जिससे फसल उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है।
हिमालयन बेसिन रिवर की अध्यक्ष डॉ इंदिरा खुराना ने कहा कि जल संरक्षण की प्रक्रिया अभी से नहीं बल्कि पूर्वजों के ज़माने से है इसलिए हमारा दायित्व है कि भविष्य की पीढ़ी के लिए हम जल संरक्षित करें। छोटी नदियों की तुलना शरीर की धमनियों से करते हुए कहा कि छोटी नदियां बड़ी नदियों के शरीर में जल नामक रक्त का प्रवाह करती है। अगर छोटी नदियों में पानी नहीं रहेगा तो बड़ी नदियों का अस्तित्व धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा। इसलिए हमे छोटी नदियों को बचा कर रखना होगा।
विमर्श कार्यशाला के दूसरे दिन
10 से अधिक राज्यों से आए विषय विशेषज्ञों को सम्मानित किया गया।
विषय विशेषज्ञों ने अपने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से पानी के लिए किए गए प्रयासों के बारे मे जानकारी दी।
दूसरे दिन झाँसी में परमार्थ द्वारा जिंदा की गई घुरारी नदी का भ्रमण विषय विशेषज्ञों द्वारा की गयी।
कार्यकम के अंत में परमार्थ के प्रमुख डॉ संजय सिंह ने आए हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया।कार्यशाला के दूसरे दिन चिपको आन्दोलन की सामाजिक कार्यकर्ता पदमश्री बसंती देवी , पदमश्री उमाशंकर पाण्डेय , डॉ स्नेहल डोंडे, सहित कार्यशाला में देश भर के 10 से अधिक राज्यों के प्रतिनिधियों ने जल सहेलियां एवं नदी घाटी संगठन के प्रतिनिधि मौजूद रहे ।