इन दिनों जहां एक तरफ दिग्गज कंपनियों में मूनलाइटिंग (Moonlighting) पर बहस चल रही है। वहीं, दूसरी तरफ भारतीय कंपनियां एक नई समस्या ‘The Great Resignation’ से परेशान है। साल 2022 की पहली छमाही में भारत में एट्रिशन दर 20.3% पर आ गई। साल 2020 में भारत का एट्रिशन रेट महज 6% था। यह जानकारी ग्लोबल प्रोफेशनल सर्विस कंपनी एओएन पीएलसी के सर्वे से निकल कर सामने आई है।
कोरोना के बाद मुश्किलें बढ़ी
रिपोर्ट के मुताबिक, दो साल के कोविड महामारी और लॉकडाउन के बाद नौकरी छोड़ने वालों की संख्या बढ़ी है। नौकरी छोड़ने की दर Great Resignation की बहस को जन्म दिया है जिसका दुनिया भर के इंडस्ट्रीज को सामना करना पड़ रहा है। ‘Great Resignation’ पिछले एक साल में सारे रिकाॅर्ड तोड़ दिया है क्योंकि महामारी के बाद ग्लोबल स्तर पर नौकरी का बाजार खुलने लगा है। पिछले 18 महीनों में आईटी कंपनियों ने एट्रिशन का सबसे बुरा दौर देखा है।
सैलरी में की गई बढ़ोतरी
सर्वे से यह भी पता चलता है कि भारत में कंपनियों ने वेतन में 2022 में 10.6 प्रतिशत की वृद्धि की। साल 2023 में 10.4 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है। जो फरवरी में अनुमानित 9.9 प्रतिशत की वृद्धि से थोड़ा अधिक है।
2022 में भारत में सभी उद्योगों में नौकरी छोड़ने की दर 2021 की तुलना में मामूली कम थी, जिससे कर्मचारियों को बनाए रखने के लिए कंपनियों पर भारी दबाव का संकेत मिलता है। सर्वेक्षण से यह भी पता चला कि यह समस्या अगली छमाही तक जारी रह सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, एट्रिशन रेट बढ़ने के पीछे कंपनी का खराब माहौल, अतिरिक्त काम का प्रेशर और कम सैलरी है
एट्रिशन रेट क्या है?
एट्रिशन रेट वह दर है जिस पर लोग कंपनी छोड़ते हैं। इसमें यह देखा जाता है कि कितने लोग स्वेच्छा से या अनैच्छिक रूप से छोड़ते हैं। इसे आमतौर पर प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है और यह समझने के लिए कि कंपनी में चीजें कैसे चल रही हैं।