यंग भारत ब्यूरो
शिवाजी महाराज का खास हथियार बाघ नख की अब घर वापसी होगी, यूनाइटेड किंगडम के अधिकारियों ने इसे वापस करने पर सहमति जता दी है. यह वही हथियार है जिससे शिवाजी ने बीजापुर सल्तनत के धोखेबाजी सेनापति अफजाल खान को मौत के घाट उतारा था. फिलहाल ये बाघ नख लंदन के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूजियम में रखा है. महाराष्ट्र के कल्चर मिनिस्टर इसी माह के अंत तक लंदन जाकर बाघ नख को वापस लाने के लिए एक समझौता पत्र साइन करेंगे. इस साल के अंत तक बाघ नख स्वदेश वापस आ जाएगा.
बाघ नख को वापस लाने की पूरी जिम्मेदारी होगी महाराष्ट्र सरकार के प्रिंसिपल सेक्रेटरी मुंगतीवार और आर्कियोलॉजी और म्यूजियम डिपार्टमेंट के डायरेक्ट्रेट डॉ. तेजस पर जो लंदन के विक्टोरिया और अल्बर्ट म्यूजियम जाएंगे और सभी जरूरी प्रक्रिया को पूरी करेंगे. यह टीम 29 सितंबर से 4 अक्टूबर तक लंदन में ही रहेगी.
क्या होता है ‘बाघ नख’
बाघ नख एक तरह का हथियार है जिसे इस तरह डिजाइन किया जाता है, जिससे यह पूरी मुट्ठी में फिट हो सके. यह स्टील से तैयार किया जाता है, जिसमें चार नुकीली छड़ें होती हैं जो किसी बाघ के पंजे से भी घातक हैं. इसके दोनों तरफ दो रिंग होती हैं, जिससे हाथ की पहली और चौथी उंगली में पहनकर इसे ठीक तरह से मुट्ठी में फिट किया जा सके. यह इतना घातक होता है कि एक ही वार में किसी को भी मौत के घाट उतार सकता है.
महाराष्ट्र से इंग्लैंड कैसे पहुंचा था ये
ऐसा दावा किया जाता है कि बाघ के पंजों की तरह दिखने वाला खंजर खास तौर से पहली बार शिवाजी के लिए ही तैयार कराया गया था, ताकि ये उनकी मुट्ठी में ठीक तरह से फिट हो सके. यह इतना धारदार था जिससे एक ही झटके में ये दुश्मन को चीर सकता है. शिवाजी महाराज का बाघ नख मराठा साम्राज्य की राजधानी सतारा में था. अंग्रेजों के भारत आने के बाद मराठा पेशवा के प्रधानमंत्री ने 1818 में ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी जेम्स ग्रांट डफ को भेंट किया था. 1824 में डफ वापस इंग्लैंड वापस गए और अपने साथ बाघ नख को भी ले गए. बाद में उन्होंने इसे लंदन की विक्टोरिया और अल्बर्ट म्यूजियम को दान कर दिया था.
एक झटके में मारा गया था अफजल खान
1659 में शिवाजी महाराज ने बीजापुर सल्तनत के सेनापति अफजल खान को बाघनख से एक ही झटके में चीर दिया था. यह वो दौर था जब बीजापुर सल्तनत का प्रमुख आदिल शाह और शिवाजी के बीच युद्ध चल रहा था. अफजल खान ने छल से शिवाजी को मारने की योजना बनाई. उसने शिवाजी को मिलने के लिए बुलाया, जिसे उन्हें स्वीकार कर लिया. जब शामियाने में मुलाकात के दौरान उसने शिवाजी की पीठ में खंजर भोंकने की कोशिश की. शिवाजी पहले से ही सतर्क थे और हाथ में अपना बाघ नख भी पहने थे. अफजल अपने नापाक मंसूबे में सफल होता उससे पहले ही शिवाजी ने एक ही बार में अफजल का पेट चीर दिया था.
शिवाजी की तलवार लाने का प्रयास
बाघ नख को वापस लाने का समझौता पत्र साइन करने के अलावा अधिकारी शिवाजी की जगदंबा तलवार भी वापस लाने का प्रयास कर रहे हैं जो यूके के एक म्यूजियम में रखी है. वाघ नख किस तिथि को वापस लाया जाएगा इसके लिए वो तारीख चुनी जा सकती है जिस दिन अफजल खान को मारा गया था. दरअसल अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से यह तारीख 10 नवंबर हैं, लेकिन महाराष्ट्र के कल्चर डिपार्टमेंट के अधिकारियों के मुताबिक हिंदू कैलेंडर के हिसाब से तिथि का पता लगाया जा रहा है, उसी दिन इसे वापस लाया जा सकता है.
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