लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के भीड़-भाड़ वाले इलाके हुसरिया चौराहे पर जिस प्रकार से एक लड़की को बेसुध स्थिति में फेंका गया। वारदात को अंजाम देने वाले इसके बाद भाग गए। इस पूरे मामले ने प्रशासन और सरकार के सामने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। लड़की हुसैनगंज में रहती है। हजरतगंज के एक स्कूल में पढ़ाती है। अपनी पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपना खर्च निकालती है। सरकार और लखनऊ प्रशासन की ओर से प्रदेश में माहौल को बेहतर बनाए जाने और लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराने के दावों के बीच घटना ने सवाल खड़े कर दिए हैं। साथ ही, पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर भी इस घटना ने सवाल खड़े कर दिए हैं। राजधानी लखनऊ में बड़ी संख्या में लड़कियां अकेले रहकर काम करती हैं। ऑफिसों में शिफ्ट खत्म होने के बाद ऑटो, बाइक टैक्सी ही इनका अपने घर पहुंचने का बड़ा साधन होता है। इस प्रकार की घटनाएं कामकाजी लड़कियों के मन में डर पैदा करेंगी। आखिर इस प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए अब लखनऊ प्रशासन क्या ऐक्शन लेगा? सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ क्या ऐक्शन लेंगे?
बुलडोजर का डर क्या हुआ कम?
विभूतिखंड थाना क्षेत्र में जिस प्रकार से सरेशाम घटना को अंजाम दिया गया, उसने सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक युवती ट्यूशन पढ़ाने के बाद शनिवार शाम करीब 7 बजे अपने घर के लिए निकलती है। ऑटो में सवार होती है। ऑटो में एक व्यक्ति पहले से सवार होता है। चारबाग जाने की बात कहती है तो ऑटो चालक बैठने को कहता है। उनके इरादों को भांप नहीं पाती है। समझती है कि ऑटो में बैठा एक और व्यक्ति शिकार की तलाश में बैठा हुआ है। चिनहट फायर स्टेशन से निकली ऑटो हुसड़िया चौराहे के पास से आगे बढ़ जाती है। ऑटो को पत्रकारनगर कट की तरफ से जाना था, लेकिन ऑटो चालक शहीद पथ पर ऑटो दौड़ा देता है। लड़की को उनकी मंशा पर शक होता है। पूछती है, कहां जा रहे हो।
लड़की के सिर पर साथ बैठा व्यक्ति किसी भारी चीज से मारता है और वह बेहोश हो जाती है। रेप की घटना को अंजाम दिया जाता है। फिर लड़की को वापस हुसरिया चौराहे पर लाकर फेंक दिया जाता है। आरोपी फरार हो जाते हैं और लोग तमाशबीन बने रहते हैं। यह किसी कहानी का प्लॉट नहीं, ट्यूशन टीचर गैंगरेप की सच्ची दास्तान है। इस घटना ने सरकार की बुलडोजर नीति पर सवाल खड़े कर दिए है, जो अपराधियों के मन में एक डर पैदा कर रहा था। कम से कम इस घटना में तो ऐसा ही लग रहा है।
इसी ऑटो में दिया गया था घटना को अंजाम, विभूतिखंड थाने में पीछे छिपाया गया
हुसड़िया चौराहे की चौकसी का क्या?
लखनऊ पुलिस का दावा हर तरफ सुरक्षा व्यवस्थ मुहैया कराने का है। हुसड़िया चौराहे के पास भी पुलिस की मौजूदगी शाम को रहती है। लेकिन, आप देखेंगे उनका जुटान शहीद चंद्रशेखर आजाद चौक के अगले कट के पास ही रहता है। मुख्य चौराहे पर आधी सड़क तक वाहनों का कब्जा रहता है। लोग गाड़ियां खड़ी कर खरीदारी करते रहते हैं। इस बीच में अगर कोई अपराधी किसी लड़की को सड़क पर फेंक भी जाए तो ऐसा लगेगा कि किसी वाहन की टक्कर में गिर गई हो। ट्यूशन टीचर गैंगरेप ने हुसड़िया में सुरक्षा के दावों की पोल खोल कर रख दी है।
अब कार्रवाई उन कमियों को ढकने की कोशिश है, जिसे दूर करने का प्रयास भी नहीं किया जा रहा है। इसके अलावा शहीद पथ पर लगी लाइट्स की रोशनी को छोड़ दें तो निचले इलाके में पर्याप्त रोशनी का अभाव भी अपराधियों के लिए अपनी घटना को अंजाम देकर भागने का मुफीद पैसेज मुहैया कराता है।
ऐक्शन में लखनऊ पुलिस
ट्यूशन टीचर की घटना के बाद स्थिति ऐसी थी कि उसे इलाज के लिए ले जाया गया। परिजन आकर अस्पताल ले गए। शनिवार की शाम पुलिस केवल खानापूर्ति में ही जुटी रही। थोड़ी स्थिति सुधरी तो उसने अपना दर्द बयां किया। फिर केस दर्ज हुआ। अब लखनऊ पुलिस ऐक्शन में है। अगर शनिवार को तेजी दिखाई जाती तो अब तक दोनों अपराधी सलाखों के पीछे होते। पुलिस से लेकर सरकार तक पर सवाल नहीं उठते। डीसीपी पूर्वी प्राची सिंह घटना को लेकर कहती हैं कि विभूतिखंड थाने में एक ऑटोरिक्शा में दो आरोपियों ने एक महिला से रेप किया। 16 अक्टूबर को पीड़िता के बयान पर केस दर्ज किया गया। आरोपियों को पकड़ने के लिए टीमों का गठन किया गया है। मामले में हुसड़िया थाना प्रभारी को निलंबित किया गया है।
डीसीपी पूर्वी लखनऊ प्राची सिंह ने कहा कि तीन सदस्यीय डॉक्टरों का पैनल गठित किया गया है। उनकी निगरानी में महिला का इलाज चल रहा है। उसकी हालत स्थिर है। एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। दूसरे आरोपित की तलाश जारी है। इस मामले में राजनीति भी शुरू हो गई है। लेकिन सबसे अधिक दहशत कामकाजी महिलाओं की है, जो हर शाम ऑटो या अन्य पब्लिक सवारियां का इस्तेमाल कर घर तक जाती हैं।
ऑटो में घटना ने बढ़ाई दहशत
ऑटो में हुई घटना ने दहशत बढ़ाई है। सवाल सरकार पर उठ रहे हैं। आखिर, ऑटो चालकों की निगरानी को लेकर क्या सिस्टम है? आपराधिक तत्वों को ऑटो और बस स्टैंड से दूर करने के लिए दूसरी बार सत्ता में आने के बाद ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया था। लेकिन, उस दिशा में कितना कार्य हो पाया है? जिस ऑटो में घटना को अंजाम दिया गया, उसे पुलिस ने अपनी गिरफ्त में लिया है। ऑटो को विभूति खंड थाने में पीछे छुपाकर रखा गया है। इसको गौर से देखेंगे तो नंबर प्लेट तक नहीं दिखेगा। ऐसे ऑटो को सड़क पर दौड़ाने और खुलेआम अपराध करने की इजाजत किसने दी? अपराधियों को बस और ऑटो से दूर करने के लिए कठोर कार्रवाई से ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर उठ रहे सवालों को दूर करने में कामयाबी मिलेगी।
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