यंग भारत ब्यूरो
रेल मंत्रालय ने कहा है कि 23 सितंबर 2017 को जारी निर्देशों के अनुसार टिकट कैसिंल करने पर बुकिंग के समय चार्ज की गई राशि को जीएसटी के साथ वापस किए जाने का प्रावधान है। रेलवे ने कहा है कि टिकट कैंसिलेशन के बाद रिफंड के नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गा है।
रेलवे ने कहा है कि जहां तक रिफंड नियमों के अनुसार कैंसिलेशन/क्लर्केज चार्ज और कैंसिलेशन/क्लर्केज चार्ज पर जीएसटी की राशि वापस नहीं करने का सवाल है यह नियम के केवल एसी क्लास या प्रथम श्रेणी की टिकटों पर लागू हाेती है।
वेटिंग लिस्ट और RAC टिकट रिफंड के ये हैं नियम
अगर आपका टिकट चार्ट बनने के बाद भी RAC और वेटिंग लिस्ट में है और आप ट्रेन के शेड्यूल्ड डिपार्चर टाइम से 30 मिनट पहले अपना टिकट कैंसिल (Ticket Cancel) कराते हैं तो स्लीपर क्लास में आपको 60 रुपए कैंसिलेशन चार्ज देना पड़ेगा। जबकि AC क्लास के टिकटों पर 65 रुपए की कटौती होगी। बाकी पैसा रिफंड कर दिया जाएगा।
क्या है चार घंटे पहले टिकट कैंसिल करने का नियम?
अगर आपका टिकट कन्फर्म है और अचानक यात्रा कैंसिल होती है तो रेलवे टिकट (Railway Ticket) के कैंसिलेशन के नियमों के मुताबिक, टिकट कैंसिलेशन के दौरान टाइमिंग का खास ख्याल रखा जाता है। टिकट कन्फर्म है और ट्रेन के शेड्यूल्ड डिपार्चर टाइम से चार घंटे से पहले अगर आप टिकट कैंसिल नहीं करा पाते हैं तो रेलवे की तरफ से आपको कोई रिफंड नहीं मिलता है।
कंफर्म टिकट कैंसिल कराने पर कितनी कटौती होगी?
कन्फर्म ट्रेन टिकट के कैंसिलेशन के मामले में शेड्यूल्ड डिपार्चर टाइम से 48 घंटे के अंदर और 12 घंटे पहले तक टिकट कैंसिल कराते हैं तो कुल रकम का 25% तक काटा जाता है। अगर आप ट्रेन के शेड्यूल डिपार्चर टाइम से 4 घंटे के पहले और 12 घंटे के बीच टिकट कैंसिल कराते हैं तो टिकट का आधा पैसा यानी 50% काटा जाता है। ट्रेन के शेड्यूल डिपार्चर टाइम से चार घंटे पहले तक टिकट कैंसिल नहीं करा पाए तो इसके बाद रिफंड का एक भी पैसा नहीं मिलेगा।
कालका-शिमला टॉय ट्रेन की गति बढ़ाने की योजना ठंडे बस्ते में
कालका-शिमला के बीच यात्रा का समय घटाने के लिए ऐतिहासिक कालका-शिमला टॉय ट्रेन की गति बढ़ाने की रेलवे की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, मार्ग का जटिल क्षेत्र, जटिल मोड़ जैसी वजहों से टॉय ट्रेन की गति को बढ़ाना तकनीकी रूप से संभव नहीं हो पा रहा। हिमाचल प्रदेश सरकार के अनुरोध पर रेलवे बीते दो सालों से अध्ययन कर रहा था कि क्या टॉय ट्रेन को गति में वृद्धि के साथ संचालित किया जा सकता है।
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