लखनऊ। प्राग नारायण रोड पर कई करोड़ कीमत की नजूल जमीन पर यजदान बिल्डर ने लखनऊ विकास प्राधिकरण के अफसरों और इंजीनियरों से मिलीभगत कर छह मंजिला अपार्टमेंट बना लिया था। लविप्रा से ही कूटरचित दस्तावेज तैयार करके यूपी रेरा में प्रोजेक्ट का पंजीकरण हो गया था। इस बीच अचानक 30 मार्च को लविप्रा अवैध अपार्टमेंट तोड़ने का आदेश जारी कर देता है।
देखते ही देखते कई लोगों का अपना घर पाने का सपना टूट जाता है। पांच महीने में बिल्डिंग को जमींदोज करने के लिए तीन बार टेंडर हो चुके हैं। अब अभिव्यक्ति की अभिरूचि जारी कर लविप्रा ने बिल्डिंग गिराने वाली एजेंसियों को आमंत्रित किया है। माना जा रहा है कि करीब 60 लाख रुपये का खर्च इस बिल्डिंग को गिराने पर आएगा।
यजदान ही नहीं, नोएडा के ट्विन टावर की तरह लखनऊ में ही बड़ी संख्या में अवैध इमारतें खड़ी हो गई हैं। प्राधिकरण के अधिकारी अवैध भवन का ध्वस्तीकरण आदेश जारी कर अपनी नौकरी पक्की कर लेते हैं और फिर मौन हो जाते हैं लविप्रा के पूर्व उपाध्यक्ष राम विलास यादव से लेकर पूर्व सांसद अतीक अहमद, पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी तक के करीबी बिल्डरों की यह अवैध इमारतें लविप्रा के इंजीनियरों की मिलीभगत से बन गई हैं। लविप्रा के सभी सात जोन के विहित न्यायालय के 10 हजार अवैध निर्माण को तोड़ने आदेश हो चुके हैं। इनमें अवैध बिल्डिंग के अलावा व्यावसायिक कांपलेक्स, रो हाउस, बड़े व छोटे अवैध निर्माण और अवैध प्लाटिंग भी शामिल है।
रसूखदारों पर मेहरबान एलडीएः पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी के करीबी बिल्डर ने एफआइ टावर के पांच हजार वर्गफीट जमीन के सेटबैक को प्रभावित कर स्वीकृत मानचित्र के विपरीत निर्माण कराया। बलरामपुर के पूर्व सांसद रिजवान जहीर की पत्नी हुमा जहीर के नाम से विकासनगर में आवासीय क्षेत्र का गलत तरीके से भू-उपयोग परिवर्तन करते व्यावसायिक कांपलेक्स बन गया।
लविप्रा के लालबाग स्थित कार्यालय के ठीक बगल में गाजीपुर निवासी बिल्डर रईस आलम सिद्दीकी ने वर्ष 2014 में अवैध बिल्डिंग बना ली। बिल्डर ने लविप्रा की ही जमीन पर बिल्डिंग का कुछ हिस्सा खड़ा कर लिया। सीतापुर रोड पर पूर्व सांसद अतीक अहमद के करीबी बिल्डर मो. मुस्लिम ने अपने अपार्टमेंट में नियम विपरीत पेंट हाउस, दो फ्लैट और कार्यालय बना लिया है।
हटाए गए, फिर मिली मलाईदार तैनातीः अमीनाबाद हनुमान मंदिर परिसर में अवैध रूप से बनायी गई दुकानों के मामले के बाद लविप्रा ने इस क्षेत्र के जूनियर इंजीनियर सहित 10 जेई को हटा दिया था। उनको मुख्य अभियंता कार्यालय से संबद्ध करने के 24 घंटे के भीतर दोबारा अवैध निर्माण के सर्वे में लगा दिया गया। सर्वे के काम के बाद दोबारा उनको दूसरे प्रवर्तन जोन में तैनाती दे दी गई थी।
नियम विपरीत बने बड़े अपार्टमेंट, व्यावसायिक कांपलेक्स और रो हाउस की सूची बनायी जा रही है। जिनको तोड़ने का आदेश दिया जा चुका है। उनको प्राथमिकता के आधार पर जल्द तोड़ा जाएगा।
-डा. इंद्रमणि त्रिपाठी लविप्रा उपाध्यक्ष
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