प्रदेश के चर्चित बिकरू कांड में मुख्य आरोपित विकास दुबे के भाई दीपू दुबे और बहनोई दिनेश तिवारी को गैंगस्टर के मामले में कोर्ट ने पांच वर्ष कैद की सजा सुनाई है। करीब 22 वर्ष पहले प्रधानाचार्य सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या के बाद शिवली पुलिस ने विकास दुबे, उसके दो भाइयों और बहनोई पर गैंगस्टर की कार्रवाई की थी। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय पंचम में मामला विचाराधीन था, जबकि आरोपित रहे विकास दुबे और भाई अविनाश की मौत होने पर पत्रावली को अलग कर दिया गया था। सजा सुनाए जाते समय लखनऊ जेल में निरुद्ध दीपू दुबे की वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी हुई।
ये था पूरा मामला
बता दें वर्ष 2000 में शिवली कस्बा स्थित ताराचंद्र इंटर कालेज के प्रधानाचार्य सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या में पुलिस ने चौबेपुर के बिकरू गांव निवासी विकास दुबे, अविनाश, दीपू दुबे और बसेन गांव निवासी बहनोई दिनेश तिवारी पर मुकदमा दर्ज किया था। इसके आधार पर पुलिस ने सभी आरोपितों पर गैंगस्टर की भी कार्रवाई की थी, जिसकी सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायालय पंचम बाकर शमीम रिजवी की गैंगस्टर कोर्ट में विचाराधीन थी। विकास दुबे और अविनाश दुबे की मौत के बाद पत्रावली से नाम हटा दिया गया था। गुरुवार को नियत तिथि पर मामले की सुनवाई के दौरान बचाव व अभियोजन की बहस पूरी हुई।
दीपू दुबे व उसके बहनोई को पांच का कारावास
विशेष लोक अभियोजक अमर सिंह भदौरिया ने बताया कि न्यायालय ने गैंगस्टर मामले में दीपू दुबे व उसके बहनोई दिनेश तिवारी को दोष सिद्ध करते हुए पांच-पांच वर्ष कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने दोनों अभियुक्तों पर पांच-पांच हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है। उन्होंने बताया कि कोर्ट में सजा सुनाए जाने के दौरान अभियुक्त दिनेश तिवारी मौजूद रहा, जिसे जेल भेज दिया गया है। दूसरे अभियुक्त दीपू दुबे को लखनऊ जेल में निरुद्ध होने के चलते वीडियो कान्फ्रेंसिंग से सजा का आदेश सुनाया गया है।
विकास दुबे से कम नहीं थी दीपू दुबे की दबंगई
गैंगस्टर मामले में सजा पाने वाले विकास दुबे के भाई दीपू दुबे की दबंगई भी बड़े भाई से कम न थी। जब तक विकास दुबे जिंदा था, पूरे क्षेत्र में दीपू दुबे की दहशत थी और कोई भी इससे आंख उठाकर बात न कर सकता था। यही नहीं पुलिस भी उस पर मेहरबान थी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक दीपू दुबे पर वर्ष 1992 में शिवली थाने में मारपीट का पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके बाद वर्ष 2000 में शिवली के ताराचंद्र इंटर कालेज के प्रधानाचार्य सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या मामले में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। वर्ष 2002 में शिवली थाने में भी हत्या का एक और मुकदमा दर्ज हुआ। इन मामलों को देखते हुए वर्ष 2004 में पुलिस ने विकास दुबे और दीपू समेत अन्य के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई की थी। सिद्धेश्वर पांडेय हत्याकांड में उम्र कैद की सजा मिलने के बाद वर्ष 2004 में दीपू को कोर्ट से जमानत मिल गई थी और इसके बाद वह फिर जेल नहीं गया। वर्तमान में दीपू दुबे के खिलाफ कुल 16 मामले दर्ज हैं।
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