यंग भारत ब्यूरो
जयपुर की रहने वाली MBA स्टूडेंट नताशा (बदला हुआ नाम) की अगले साल जनवरी में शादी है। होने वाला पति ब्रिटेन की मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता है। नताशा शादी को लेकर खुश तो है, लेकिन साथ ही एक डर भी है… कहीं उसे भी उसकी बेस्ट फ्रेंड प्रियंका (बदला हुआ नाम) की तरह उसका पति शादी की पहली रात ही कैरेक्टरलेस बताकर छोड़ तो नहीं देगा।
क्योंकि प्रियंका की तरह उसके NRI ससुराल वालों ने भी रिश्ता तय करते समय एक ही शर्त रखी- हमें दुल्हन वर्जिन ही चाहिए।
ये डर सिर्फ नताशा का ही नहीं, सैकड़ों लड़कियों का है। फिर चाहे दूल्हा भीलवाड़ा का हो या ब्रिटेन का। इसी डर से वर्जिनिटी टेस्ट पास करने के लिए राजस्थान की बेटियां हाइमन की खतरनाक सर्जरी तक करा रही हैं, ताकि वो साबित कर सकें कि वो ‘कुंवारी’ हैं। डॉक्टर्स के पास हर महीने 15 से 20 केस आ रहे हैं।
ये सर्जरी इतनी जोखिम भरी है कि एक लड़की कोमा में चली गई थी, इसके बावजूद सर्जरी का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है, क्योंकि वो जानती हैं ये सर्जरी ही उन्हें कैरेक्टर सर्टिफिकेट देगी।
सबसे पहले इन तीन केस को समझिए….कैसे वर्जिनिटी ही लड़कियों के लिए बन गया है ‘कैरेक्टर सर्टिफिकेट’
केस- 1 : NRI दूल्हे की पहली शर्त : लड़की वर्जिन हो, इंडियन कल्चर की हो
जयपुर में रहने वाली निकिता (बदला हुआ नाम) की फैमिली उसकी शादी के लिए रिश्ता देख रही थी। इस दौरान में अमेरिका में रहने वाले एक लड़के से रिश्ते की बात चली। लड़का किसी अमेरिकी बैंक में बड़ी पोस्ट पर जॉब करता था।
उसके परिवार ने बताया कि विदेशी लड़कियों से शादियां ज्यादा समय तक टिकती नहीं हैं, इसलिए उन्हें इंडियन कल्चर की लड़की चाहिए, लेकिन इस बीच लड़के ने दो शर्तें रखी। लड़की का किसी से अफेयर नहीं हो, लड़की वर्जिन हो। यह बात लड़की की फैमिली के लिए चौंकाने वाली थी, लेकिन अच्छा रिश्ता देख सब चुप रहे। पसंद आने के बाद शादी की डेट फिक्स हो गई।
एक दिन उसने अपनी परेशानी फ्रेंड को बताई। फिर इंटरनेट पर वर्जिनिटी के बारे में सर्च करने पर हाइमनोप्लास्टी सर्जरी के बारे में पता लगा। प्राइवेट हॉस्पिटल में बात करने से पता चला कि सर्जरी महज आधे घंटे में हो जाएगी और उसका खर्च करीब 20-30 हजार रुपए आएगा। परिजनों को बिना बताए ही निकिता अपनी फ्रेंड के साथ हॉस्पिटल पहुंची और सर्जरी करवाई।
केस- 2 : ऑस्ट्रेलिया से आया रिश्ता तो पेरेंट्स ने सर्जरी करवाई
26 साल की आरती (बदला हुआ नाम) के लिए ऑस्ट्रेलिया से एक रिश्ता आया। लड़का सॉफ्टवेयर कंपनी में जॉब करता था। उसके पेरेंट्स बेटे की शादी अपने समाज की इंडियन लड़की से ही करवाना चाहते थे। मूल रूप से राजस्थान से थे, लेकिन फैमिली ऑस्ट्रेलिया में ही सेटल थी।
अपने बेटे के लिए दुल्हन तलाश रही NRI फैमिली ने राजस्थान में रहने वाले अपने रिश्तेदारों को लड़की देखने के लिए कहा, लेकिन लड़की पसंद करने के लिए उनकी तीन शर्तें थी। लड़की का अफेयर ना हो, वर्जिन होनी चाहिए और पढ़ी-लिखी हो। उसी रिश्तेदार के जरिए आरती के लिए वह रिश्ता आया।
जब रिश्ता तय हुआ तो उसे डर था कि शादी के बाद उसके हसबैंड को वर्जिनिटी का पता लगा तो शादी टूट ना जाए। ऐसे में आरती के पेरेंट्स उसे एक प्राइवेट हॉस्पिटल लेकर गए, जहां उसकी हाइमनोप्लास्टी सर्जरी करवाई।
केस- 3 : रॉयल फैमिली में शादी से पहले फीमेल डॉक्टर ने करवाई सर्जरी
जयपुर के एक डॉक्टर ने हमें बताया कि करीब 4 साल पहले उनके पास एक नाइजीरियन लड़की हाइमनोप्लास्टी सर्जरी करवाने आई थी। वह जयपुर में ही MBBS की पढ़ाई कर रही थी। उसकी शादी नाइजीरिया की एक रॉयल फैमिली में होने वाली थी।
वहां यह रिवाज था कि रॉयल फैमिली में वर्जिन लड़की से ही शादी करते थे। शादी से पहले उसका मंगेतर उसे मिलना चाहता था। वह पता करना चाहता था कि लड़की वर्जिन है या नहीं। मंगेतर से मिलने से पहले नाइजीरियन लड़की ने सर्जरी करवाई।
छोटे कस्बों में पेरेंट्स करवा रहे है बच्चों की सर्जरी
हाल ही में इंटरनेट और सोशल मीडिया से इस सर्जरी के बारे में हर वर्ग के लोगों को पता लगने लगा है। छोटे कस्बों में कई लड़कियों के अफेयर की बात फैलने के बाद शादी नहीं हो पाती है। ऐसे में जयपुर के आस-पास सीकर, भीलवाड़ा, बीकानेर, चूरू, दौसा, झुंझुनूं, जैसे छोटे शहरों की लड़कियां सबसे ज्यादा सर्जरी करवा रही हैं।
इनमें अधिकतर लड़कियां अकेले ही सर्जरी करवाने आती हैं। वहीं, कुछ मामलों में पेरेंट्स भी अपनी बेटी की सर्जरी करवाते हैं ताकि वर्जिनिटी को लेकर उनकी बेटी की शादी टूट नहीं जाए।
कहां से आया वर्जिन बनने की सर्जरी का ट्रेंड?
इंडिया के राजघरानों में सदियों से वर्जिन लड़की से ही शादी करने का रिवाज रहा था। ऐसा ही ट्रेडिशन अफ्रीका और इंग्लैंड की रॉयल फैमिली में भी रहा है। इसी कारण लड़कियां शादी से पहले किसी भी तरीके से खुद को वर्जिन रखती थीं या फिर वर्जिनिटी के लिए हाइमनोप्लास्टी करवाती थीं।
अवेयरनेस के बाद उन परिवारों में अब ये सर्जरी होनी बंद हो गई, लेकिन छोटे-छोटे कस्बों में सर्जरी करवाने का ट्रेंड आ गया। लड़कियां खुद को वर्जिन बनाने के लिए शादी से पहले हाइमनोप्लास्टी सर्जरी करवा रही हैं।
समाज में वर्जिनिटी को लेकर भ्रम और मिथक
प्लास्टिक सर्जन डॉ. दिपेश गोयल ने बताया कि इसके पीछे केवल यही सामाजिक मानसिकता है कि हाइमन को वर्जिनिटी से जोड़ा जाता है। महिलाओं की वजाइना में एक पतली सी झिल्ली होती है। जिसे हाइमन कहते हैं। यह केवल शारीरिक संबंध बनाने से ही ब्रेक हो, ऐसा नहीं होता। यह महज टिशू से बनी एक झिल्ली होती है।
खेलते समय, हार्ड वर्क करते समय, साइकिल या बाइक चलाते समय, रनिंग के दौरान भी टूट जाती है। हाइमन के टूटने से थोड़ा ब्लड आता है, लेकिन समाज में इस झिल्ली के टूटने से लड़की को वर्जिन नहीं माना जाता है। इसी सामाजिक डर के कारण लड़कियां खुद को पवित्र साबित करने के लिए हाइमन रिपेयर के लिए सर्जरी करवाती हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि इसे अवेयरनेस से ही रोका जा सकता है।
ऐसी सर्जरी गैर जरूरी, लेकिन सामाजिक दबाव हावी
डॉ. सुनीश गोयल ने बताया कि हाइमनोप्लास्टी या हाइमन रिपेयर या वर्जिनिटी सर्जरी शादी से कम से कम चार हफ्ते पहले करवाई जाती है, हालांकि इस सर्जरी को करवाने की जरूरत नहीं होती, यह बस ट्रेडिशनल सोच के कारण मजबूरी में लड़कियां करवाती हैं।
इस सर्जरी में लड़कियों की वजाइना में हाइमन को रिपेयर किया जाता है। सर्जरी के बाद इंटरकोर्स के दौरान हाइमन टूट जाती है, जिससे ब्लड आता है। इसी कारण इसे ‘वर्जिनिटी सर्जरी’ भी कहते है।
सर्जरी की कोई गारंटी नहीं
डॉक्टर दिपेश गोयल ने बताया कि इस सर्जरी की कोई गारंटी नहीं है। सर्जरी के बाद भी खेलते समय, साइकिल, बाइकिंग, हार्ड वर्क करते समय हाइमन टूट सकती है। जिस प्रकार बिना रिलेशन के भी हाइमन टूट जाती है। वैसे ही जरूरी नहीं है कि केवल इंटरकोर्स के दौरान ही हाइमन टूटेगी। हार्ड वर्क करते समय हाइमन पहले भी टूट सकती है। इसलिए डॉक्टर इस सर्जरी को नहीं कराने की सलाह देते हैं।
साइड इफेक्ट : सर्जरी के बाद लड़की कोमा में चली गई
डॉक्टर विकास गुप्ता ने बताया कि महिलाओं के शरीर में वजाइना सबसे संवेदनशील और नाजुक हिस्सा है। हाइमनोप्लास्टी के कई साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। वर्ष 2015-16 में मालवीय नगर के एक हॉस्पिटल में एक लड़की अकेले ही हाइमनोप्लास्टी सर्जरी करवाने आई थी।
इस दौरान एनेस्थिसिया देने से उसे एलर्जी हो गई। इससे वह कोमा में चली गई थी। कई दिनों तक कोमा में रहने के बाद लड़की की जान तो बच गई, लेकिन उसे काफी दिनों तक अस्पताल में एडमिट रखना पड़ा था।
जयपुर में 10 साल पहले शुरू हुई थी सर्जरी
प्लास्टिक सर्जन डॉ. दिपेश गोयल ने बताया कि जयपुर में हाइमनोप्लास्टी सर्जरी वर्ष 2011 से 2012 में शुरू हुई थी। उससे पहले यह सर्जरी दिल्ली जैसे बड़े शहरों में होती थी। तब दिल्ली में भी 3 से 4 हॉस्पिटल में ही यह सर्जरी होती थी।
इसके बाद जैसे-जैसे लोगों को इस सर्जरी के बारे में पता लगा, इसे करवाने वाले केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं। करीब 5 से 6 साल पहले महज 10 केस एक साल में आते थे, लेकिन अब शादियों के सीजन में 20 से 25 केस आने लगे हैं। आज जयपुर में 20 से ज्यादा हॉस्पिटल में यह सर्जरी होती है। इसके अलावा जोधपुर, उदयपुर, अजमेर जैसे बाकी शहरों में भी सर्जरी का चलन शुरू हो गया है।
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