लखनऊ के अलाया अपार्टमेंट गिरने से दो मौत हो चुकी हैं. इसी बीच इस हादसे जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है, अलाया अपार्टमेंट को साल 2010 में गिराने का आदेश दिया था. साल 2010 में 2 अगस्त को तत्कालीन विहित प्राधिकारी राकेश कुमार मिश्र ने इस बिल्डिंग गिराने का आदेश दिया था, लेकिन 12 साल 5 महीने से इस आदेश को एलडीए के अधिकारी दबाए बैठे थे. बिल्डिंग का नक्शा निरस्त होने के बाद दो बार इसको गिराने का आदेश दिया था. अगर समय से बिल्डिंग को गिरा दिया जाता तो एलडीए के भ्रष्ट तंत्र की वजह से यह भयावह हादसा नहीं होता.
राहत और बचाव कार्य अभी जारी
इस हादसे को लेकर डीजीपी डीएस चौहान ने इस हादसे पर कहा कि बिल्डिंग का निर्माण घटिया स्तर का है, इसके गिरने के पीछे यही कारण हो सकता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बिल्डिंग के ऊपर के 2 फ्लोर के लिए भी परमिशन नहीं ली गई थी. इस हादसे के बाद राहत और बचाव कार्य जारी है, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ में से प्रत्येक की 12 टीमें और अन्य टीमें तैनात हैं.
लखनऊ हादसे पर 3 सदस्यीय जांच समिति का गठन
वहीं उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि लखनऊ में जो घटना हुई है, वो बहुत हृदय विदारक है. कल शाम से ही लगातार बचाव अभियान जारी है, जिन लोगों को को सुरक्षित बचा लिया गया है और उनका इलाज चल रहा है. अभी भी बचाव अभियान चल रहा है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इस हादसे की जांच के सिए आयुक्त रोशन जैकब, संयुक्त पुलिस आयुक्त पीयूष मोर्डिया और मुख्य अभियंता पीडब्ल्यूडी सहित तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया. कमेटी इस हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान कर एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी.
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