सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य सोमवार रात कानपुर पहुंचे। यहां वह भाजपा से सपा में आए भगवती प्रसाद सागर की बेटी की शादी में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने मीडिया से बात की। रामचरित मानस पर सफाई देते हुए कहा, “मुझे सिर्फ रामचरित मानस की महिलाओं और शूद्रों को गाली देने वाली चौपाई से आपत्ति है। साथ ही उन्होंने बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री को ढोंगी और पाखंडी बताया।
सवाल: रामचरित मानस के खिलाफ बयानबाजी क्यों कर रहे हैं? जवाब: क्या गाली देना ही धर्म है? अगर, आपको गाली से नवाजा जाए, तो आप मेरी आरती उतारेंगे। इसलिए बकवास धर्म का हिस्सा नहीं है। गाली धर्म का हिस्सा नहीं। किसी का अपमान करना धर्म का हिस्सा नहीं है। हम सम्मान की बात कर रहे हैं, तो हाय तौबा क्यों? क्या इन लोगों पर जुल्म करना, गाली देना, मारना-पीटना, नीच कहना, अधर्मी कहना ही धर्म हैं?
सवाल: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर ने कहा- आपको उनके पास जाकर ज्ञान लेना चाहिए।
जवाब: मैं ऐसे ढोंगियों के पास जाने में विश्वास नहीं करता हूं। जो ढोंगी हैं, पाखंडी हैं। अभी कुछ धर्माचार्यों के ढोंग-पाखंड सामने आए हैं। एक से एक बड़े हत्यारे बैठे पड़े हैं। इस तरह से पाखंड को बढ़ावा देकर वो देश को हजारों साल पीछे ले जाना चाहते हैं।
आज वैज्ञानिक युग है, लोग चांद पर जा रहे हैं, मंगल पर जा रहे हैं। ग्रहों की खोज कर रहे हैं। वहां पर जाने की तैयारी कर रहे हैं और ये बाबा आदम के जमाने की बात कर रहे हैं।
सवाल: आपने कहा कि रामचरित मानस को बैन करना चाहिए? ऐसा क्यों? जवाब: आठ दिन से इस मामले को लेकर विवाद चल रहा है। आठ दिन में आप ये नहीं समझ पाए कि मैंने क्या कहा था? हवा में प्रश्न उछालने से पहले आपको जानकारी होनी चाहिए कि मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं। रामचरित मानस से भी हमारा कोई मतलब नहीं है।
कुछ चौपाई के वो अंश जिसमें देश के शूद्र समाज में आने वाली जातियों को नीच कहा गया है। शूद्रों और महिलाओं को मारने, पीटने और प्रताड़ित करने का पात्र बताया गया। शूद्र कितना भी विद्वान, पढ़ा-लिखा और ज्ञाता क्यों न हो जाए, उसका सम्मान नहीं करना चाहिए। ये बात कही गई है। आखिर यह कहां का न्याय है।
स्वामी प्रसाद ने हनुमान गढ़ी के महंत को हिस्ट्रीशीटर बताया
स्वामी प्रसाद ने कहा, हमने तो किताबों में पढ़ा था कि साधु, संत, महात्मा, धर्माचार्य को गुस्सा आता ही नहीं है। पूरी जिंदगी में अगर एकाध बार गुस्सा आ भी जाता है तो बैठे-बैठे श्राप देते हैं। उसका काम तमाम हो जाता है। लेकिन अच्छा हुआ, उनके बयान से उनका असली चेहरा सामने आ गया है। धर्माचार्य के रूप में एक कुख्यात अपराधी मेरा सिर काटने के लिए 21 लाख रुपए का इनाम दे रहा है।
अगर जप-तप में उनका विश्वास होता तो अयोध्या में बैठे-बैठे श्राप देकर स्वामी प्रसाद मौर्य को स्वाहा कर देते। उनका 21 लाख रुपया भी बच जाता और असली चेहरा भी सामने नहीं आता। अब तो मामला खुल गया।
अब तो धर्म की चादर ओढ़कर ऐसे कुख्यात हिस्ट्रीशीटर अपराधी जो काट मार, जीभ काटना, सिर काटना और नाक काटने की बात करते हैं। वो संत हो ही नहीं सकते, क्योंकि ये संत का स्वभाव नहीं है।
स्वामी प्रसाद और भगवती की है पुरानी जोड़ी
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य और सपा नेता भगवती प्रसाद सागर की पुरानी जोड़ी है। ये दोनों नेता बसपा शासनकाल में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के बेहद करीबी थे। दोनों मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थे, लेकिन हवा का रुख देकर दोनों ही नेता भाजपा में शामिल हो गए थे। 2017 विधानसभा में कानपुर की बिल्हौर विधानसभा से भगवती सागर चुनाव जीतकर विधायक बने थे।
उधर स्वामी प्रसाद मौर्य भी भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन दोनों नेताओं को भाजपा ने ज्यादा तवज्जो नहीं दी। इसके बाद दोनों नेता 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए। इससे पार्टी में हड़कंप मच गया था और जिन नेताओं के टिकट कटने थे, सभी की बात पार्टी ने स्वीकार कर ली थी।
बयान देकर विवादों में आए थे स्वामी
रामचरितमानस पर बिहार के मंत्री की आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद 22 जनवरी को समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने बयान देकर विवाद को बढ़ा दिया था। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि, रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है। तुलसीदास ने ग्रंथ को अपनी खुशी के लिए लिखा था। करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते। इस ग्रंथ को बकवास बताते हुए कहा कि सरकार को इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
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