यंग भारत ब्यूरो
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और सेनाध्यक्ष रहे परवेज मुशर्रफ का लंबी बीमारी के बाद रविवार (5 फरवरी) को निधन हो गया. मुशर्रफ काफी समय से दुबई के एक अस्पताल में भर्ती थे. मुशर्रफ के परिजनों के अनुसार, उन्होंने अमाइलॉयडोसिस बीमारी के कारण दम तोड़ा.
परवेज मुशर्रफ की मौत के बाद लोग उन्हें अलग-अलग वजहों से याद कर रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान में उन्हें महिलाओं को अधिकार देने के लिए भी याद किया जाता है. पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ हमेशा से महिलाओं को अधिकार देने के हिमायती थे. जब वो पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने तो उन्होंने ही पाकिस्तान के सदनों में बड़ी संख्या में महिलाओं के प्रवेश का दरवाजा खोला था.
इस्लामिक रेप कानून को बदला
इसके अलावा उन्होंने पाकिस्तान में इस्लामिक रेप कानून को बदला था. दरअसल, उस समय तक पाकिस्तान में रेप को साबित करना काफी जटिल होता था, लेकिन रेप कानून को बदलने के कारण देश के कट्टरपंथी जनरल परवेज मुशर्रफ के खिलाफ हो गए थे.
18 साल की उम्र में सैन्य अकादमी में प्रवेश
साल 1961 में 18 साल की उम्र में मुशर्रफ ने काकुल में पाकिस्तान सैन्य अकादमी में प्रवेश किया था. मुशर्रफ को साल 1998 में जनरल का ओहदा मिला था और वो पाक के सैन्य प्रमुख बने थे. इसके बाद साल 1999 में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ तो पद से हटाकर सत्ता हथिया ली, लेकिन 2002 के आम चुनावों में वो बाकायदा चुनाव जीतकर आए और बहुमत से दोबारा सरकार बनाने में सफल रहे.
2002 के चुनावों में जीत
परवेज मुशर्रफ की पाकिस्तान की राजनीति में बड़ी भूमिका रही है. 2002 के चुनावों में जीत के बाद साल 2007 में वे फिर से पाकिस्तान का राष्ट्रपति चुनाव जीत गए. लेकिन उन्होंने देश में उठा-पटक के बाद 3 नवंबर 2007 को पाकिस्तान में इमरजेंसी लागू कर दी. 24 नवंबर को पाक चुनाव आयोग ने मुशर्रफ के राष्ट्रपति के तौर पर पुनर्निर्वाचित होने की पुष्टि की.
बता दें कि इसके बाद परवेज मुशर्रफ ने सैनिक की वर्दी त्याग दी और पाकिस्तान के असैनिक राष्ट्रपति के तौर पर एक बार फिर से पद संभाल लिया. अगस्त 2008 में पाकिस्तान की नई गठबंधन की सरकार ने मुशर्रफ पर महाभियोग चलाने का फैसला किया, जिसके बाद उन्होंने 18 अगस्त 2008 को राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया.
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