13 फरवरी से 2 मार्च तक, 100 लड़कियां और 400 किमी
वीरांगना झलकारी बाई कीजन्म स्थली भोजला झासी से लखनऊ तक की पद यात्रा
भोजला/झांसी: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लगभग 100 वर्षो (1857-1947) के ऐतिहासिक आन्दोलन में लाखों महिलाओं की कुर्बानी-शहादत से आजादी मिली। लेकिन आजादी के 75 वर्ष बाद भी वीरांगनाओं की, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की भूमिका पर कोई खास चर्चा नहीं है। इसके उलट महिलाएं आज भी अपनी आजादी के लिए संघर्ष कर रही हैं।
रेड ब्रिगेड पिछले पांच वर्षों से महिलाओं की स्वतंत्रता संघर्ष में भूमिका को जन जन में उजागर करने के लिए राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर 18 दिवसीय कार्यक्रम करता आ रहा है। इसी कड़ी में इस बार 1857 की वीरांगना झलकारी बाई के जन्म स्थान (भोजला,झांसी) से 1947 की स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सरोजनी नायडू की निर्वाण स्थली (लखनऊ) तक 400 किमी की पदयात्रा किया जा रहा है। इस पदयात्रा में 30 लड़कियों व महिलाओं के मुख्य समूह के साथ रोजाना सौ से अधिक लड़कियां व महिलाएं चलेंगी। यह यात्रा औरत की आत्म छवि को मजबूत बनाने, निर्भय व हिंसा मुक्त जीवन बनाने का संदेश देगी। इसमें सामाजिक कार्यकर्ता, छात्राएं, वकील, शिक्षिका, डॉक्टर जैसे विभिन्न समूह हिस्सा ले रही हैं। आपकी हिस्सेदारी से इसकी महत्ता बढ़ जाएगी। हमें पूरा भरोसा है कि आप का सहयोग मिलेगा।