पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस शिवलिंग की स्थापना की थी। धर्मनगरी अयोध्या से सटे गोंडा जिले के खरगूपुर कसबे में एशिया का सबसे बड़ा शिव लिंग भीम द्वारा स्थापित किया गया था। महाभारत के अनुसार वनवास के समय भीम ने बकासुर का वध किया था, जिसमें भीम को ब्रह्म हत्या का दोष लगा था। अपने पाप का मार्जन करने के लिए भीम ने शिवलिंग की स्थापना की थी।
कहा जाता हैं कि ये पांच खंडो का शिवलिंग हैं, जो 5.5 फुट ऊपर दिखता हैं और 54 फिट ज़मीन के नीचे था। यह पत्थरों की कसौटी पर बना एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग हैं। यहां साल में तीन बड़े मेले लगते हैं, जहां लाखों कांवारिया जल चढा कर भोले नाथ को प्रसन्न करते हैं। इस शिवलिंग पर नक्काशी महाभारत कालीन की हैं।
ब्रह्म हत्या का दोष हटाने के लिए की थी स्थापना
पृथ्वी नाथ मंदिर शिवलिंग के अरघे पर ही बना हैं। इस मंदिर में भीम ने विशालकाए शिवलिंग की तब स्थापना की थी, जब भीम अपने चारों भाइयो के संग वनवास के समय इस वन चेत्र में समय काट रहे थे, उस वक्त बकापुर दानव का आतंक व्याप्त था। लोगों का दुःख महाबली भीम से देखा नहीं गया, तब भीम ने मधु दानव का वध किया, लेकिन भीम के उपर ब्रह्म हत्या का दोष लगा। क्योंकि बकासुर दानव ब्राह्मण था। इस दोष को मिटाने के लिए भीम ने शिव लिंग की स्थापना की थी।
धरती के ऊपर 5.5 फिट दिखाई देता हैं
महाबली भीम द्वारा स्थापित शिवलिंग हैं, जिसका दर्शन होते ही भक्त इसकी विशालता देख अचंभित रह जाते हैं। क्योंकि दुनिया में भीम द्वारा स्थापित कसौटी पत्थर का सिग्लेपिस का अकेला शिवलिंग हैं, जो धरती के ऊपर 5.5 फिट और धरती के नीचे 54 फिट का बताया जाता हैं।
साल में यहां लगते हैं तीन मेले
इस शिवलिंग के चार अरघे ज़मीन के नीचे हैं, और अरघे पर ही मंदिर का निर्मार्ण किया गया हैं। इस मंदिर पर सभी मन्नते पूरी हो जाती हैं। साल में यहां तीन मेले लगते हैं। इस शिवलिंग पर नक्काशी महाभारत कालीन की हैं। यहां रोजाना शिवलिंग की अभिषेक कर पुजारी आरती करते भक्तों के साथ सर झुकाते हैं। ऐसी मान्यता है कि शिवरात्रि, श्रावण मास और कजली तीज के दौरान भगवान आशुतोष महादेव और भगवती पार्वती यहां पर निवास करते हैं और जो भी भक्त यहां आते हैं, उनकी मनोकवमना पूर्ण होती है।
Get real time update about this post categories directly on your device, subscribe now.