यंग भारत ब्यूरो
कहानी तेलंगाना की एक मां और शादीशुदा बेटी की है। मां की उम्र 96 और बेटी मालम्मा की उम्र 68 साल है। हुआ यह कि मालम्मा ने मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया था। जिस दिन ऑपरेशन हुआ उसी दिन मालम्मा की 96 साल की मां की भी तबीयत खराब हो गई।
खुद के ऑपरेशन की वजह से मालम्मा अपनी मां की देखभाल के लिए नहीं जा पाईं। ऐसे में उनके दो भाई और तेलंगाना की जातीय खाप पंचायत ने उन्हें शादी में मिले सोने के जेवर लौटाने का फरमान सुना दिया।
लगातार फोन कर करके इसके लिए उन पर दवाब बनाया गया। इसलिए मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने के बाद मालम्मा को 3 ग्राम जेवर लौटाने के लिए हैदराबाद से 266 किमी दूर वारंगल आना पड़ा।
आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि भारत के कानून के अनुसार खाप पंचायत का यह फैसला क्या सही है, शादी में मिले जेवर को लेकर महिला के क्या अधिकार होते हैं, माता-पिता की देखभाल के लिए क्या कानून है और कोई बूढ़े माता-पिता की देखभाल न करें तो क्या हो सकता है।
आज के हमारे एक्सपर्ट हैं एडवोकेट शशि किरण, सुप्रीम कोर्ट और वरालिका निगम, पीएचडी स्कॉलर ऑफ लॉ, लखनऊ यूनिवर्सिटी।
सवाल: माता-पिता की सेवा को लेकर देश का कानून क्या कहता है?
जवाब: भारत सरकार का माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007 ऐसे मामलों में कारगर है। सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय इस विधेयक को लाया था।
सवाल: इस तरह के केस कौन से कोर्ट में चलते हैं?
जवाब: इसके लिए एक भरण-पोषण ट्रिब्यूनल बनाया गया है। सीनियर सिटीजन भरण-पोषण ट्रिब्यूनल के फैसले को चैलेंज भी कर सकते हैं। अगर कोई पेरेंट्स को प्रताड़ित कर रहा है तो ट्रिब्यूनल खुद संज्ञान लेकर बच्चों के खिलाफ एक्शन ले सकता है।
इस एक्ट के अनुसार पेरेंट्स को ये 4 चीजें मुहैया कराना है बच्चों की जिम्मेदारी…
- खाना
- कपड़ा
- मेडिकल सुविधाएं
- घर
सवाल: बेटा, बेटी या बहू-पेरेंट्स की सेवा की जिम्मेदारी सबसे ज्यादा किसकी होती है?
जवाब: वरिष्ठ नागरिकों की सेवा की जिम्मेदारी उनके सभी बच्चों की होती है। इसके अलावा जो रिश्तेदार उनकी संपत्ति लेता है या संपत्ति का वारिस होता है, उस पर भी सीनियर सिटीजन्स की देखरेख की जिम्मेदारी होती है।
इस तरह बेटे के बाद अगर बहू को सास-ससुर की प्रॉपर्टी मिलती है या वो उसकी वारिस होती है तो सास-ससुर की जिम्मेदारी बहू की होगी।
सवाल: अगर बच्चे बूढ़े पेरेंट्स की घर में सेवा न करें तो क्या होगा?
जवाब: बूढ़े माता-पिता या सीनियर सिटीजन की सेवा न करना और उनकी अनदेखी करना एक अपराध है। इसके लिए 5000 रुपए का जुर्माना या तीन महीने की सजा या दोनों हो सकते हैं।
सवाल: आखिर यह तय कैसे किया जाएगा कि बच्चे माता-पिता की सेवा कर रहे हैं या नहीं?
जवाब: जब माता-पिता या सीनियर सिटीजन का मामला ट्रिब्यूनल पहुंचता है तो शीर्ष अधिकारी दोनों पार्टियों की बात सुनते हैं। इसके बाद ही कोई फैसला लिया जाता है।
सवाल: कई बच्चे अभिभावक को ओल्ड एज होम छोड़ आते हैं। इस तरह के मामले में माता-पिता क्या कर सकते हैं?
जवाब: इस तरह के मामले में माता-पिता बच्चों के खिलाफ ट्रिब्यूनल जा सकते हैं। पेरेंट्स चाहें तो बच्चों को दी गई प्रॉपर्टी वापस ले सकते हैं या अपनी संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं। साथ ही बच्चों को 5000 रुपए का जुर्माना या तीन महीने की सजा या दोनों हो सकते हैं।
सवाल: सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत मेंटनेंस का दावा किस जिले में किया जा सकता है?
जवाब: सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत मेंटेनेंस का दावा उन जिलों में किया जा सकता है….
- जहां बुजुर्ग वर्तमान समय में रह रहे हों
- जहां पहले रह चुके हों
- बच्चे-रिश्तेदार या जिन पर दावा करना है, वे जहां रहते हैं।
सवाल: कौन से अधिकारी के सामने मेंटेनेंस के लिए शिकायत की जाती है?
जवाब: ऐसे मामलों के लिए राज्य में एक स्पेशल ट्रिब्यूनल होता है। जिसकी अध्यक्षता SDO यानी सब डिविजनल ऑफिसर की रैंक का अधिकारी करता है। इसी अधिकारी के पास शिकायत दर्ज करवाई जाती है।
सवाल: बुजुर्ग मेंटेनेंस का दावा कैसे कर सकते हैं?
जवाब: मेंटेनेंस का दावा करने के लिए ये प्रोसेस है…
- बुजुर्ग पता करें कि उनके जिले में SDO कहां बैठते हैं। उनके ऑफिस जाएं।
- SDO के पास अपनी लिखित शिकायत लेकर ही जाएं, जिनसे मेंटेनेंस लेना है, उनका नाम, एड्रेस और सारी डिटेल शिकायत में लिखित होनी चाहिए।
- शिकायत सुनने के बाद SDO बच्चों या रिश्तेदारों को एक नोटिस भेजकर बुलाएगा, सुनवाई और गवाही होगी।
- इसके बाद बच्चों या रिश्तेदारों को मेंटेनेंस का आदेश दिया जा सकता है।