रैबीज नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत एक दिवसीय प्रशिक्षण का किया गया आयोजन
उरई(जालौन)।राष्ट्रीय रैबीज नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत एक दिवसीय मेडिकल आफिसर, फार्मासिस्ट और स्टाफ नर्स का प्रशिक्षण मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय स्थित अचल प्रशिक्षण केंद्र में हुआ। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी और नोडल अधिकारी डॉ एसडी चौधरी ने बताया कि कुत्ता काटने के मामले में किसी तरह की लापरवाही न बरती जाए। कुत्ता काटने पर कोशिश करें कि जिस स्थान पर कुत्ता व बंदर काटे, उसे अच्छी तरह से साफ करें और उसी दिन एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाए। यह इंजेक्शन सभी सरकारी अस्पतालों में लगाए जाते हैं। उन्होंने निर्देश दिया कि सभी चिकित्सा इकाइयों में रैबीज जागरुकता संबंधी प्रचार सामग्री भी लगाई जाए। जिससे लोगों को रैबीज के बारे में जानकारी हो सके और वह टीकाकरण कराएं। प्रशिक्षक व जिला अस्पताल के फिजीशियन डॉ संजीव गुप्ता ने बताया कि जिस स्थान पर कुत्ता या बंदर काटे, उस स्थान को बहते हुए पानी से 15 मिनट तक धोएं और साबुन से अच्छी तरह साफ करें। घाव पर तेल, मिर्च, नमक, हल्दी आदि कुछ भी न लगाए। घाव को खुला रहने दें। पट्टी न बांधे। जल्दी से जल्दी एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाए। रैबीज शत प्रतिशत जानलेवा बीमारी है और केवल टीकाकरण ही इसका बचाव है। जो लोग घरों में जानवर पाले हुए है, उनका भी टीकाकरण हर साल कराते रहे। सड़क पर घूमने में यदि कोई जानवर पागल दिखता है तो उसकी सूचना नजदीकी नगर पालिका में दें। पागल जानवर को जानबूझकर न छेड़े।
एपीडेमोलाजिस्ट महेंद्र कुमार ने बताया कि एंटी रैबीज की चार की डोज है। जो पहले, तीसरे, सातवे और 28 वें दिन लगाई जाती है। यह सभी सरकारीअस्पतालों में उपलब्ध है। यदि किसी को गहरा घाव है तो उसमें इम्युनो गलोवोलिन का टीका चिकित्सक की सलाह से पहले दिन लगवाना चाहिए। इस दौरान एसीएमओ डॉ अरविंद भूषण, अनुराग सिंह, अनुपम सिंह, स्मिता, शिखा, डॉ आरके राजपूत, डॉ राजेश निरंजन, प्रमोद कुमार, जेबी सिंह, रोहित कुमार सिंह, सुरेंद्र कुमार सिंह, सत्यवान आदि मौजूद रहे।
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