यंग भारत ब्यूरो
महाराष्ट्र के नासिक जिले में मालेगांव की एक कोर्ट ने सड़क हादसे के बाद हुई मारपीट के एक मामले में दोषी करार दिए गए मुस्लिम युवक को जेल की सजा सुनाने के बजाय 21 दिनों तक रोजाना दो पेड़ लगाने और दिन में पांच बार नमाज अदा करने का आदेश दिया है. 27 फरवरी को पारित आदेश में मजिस्ट्रेट तेजवंत सिंह संधू ने कहा कि अपराधी परिवीक्षा अधिनियम के प्रावधान एक मजिस्ट्रेट को किसी दोषी को फटकार लगाकर या उचित चेतावनी देकर रिहा करने का अधिकार देते हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो कि वह अपराध को दोहराएगा नहीं.
मजिस्ट्रेट ने कहा कि खान धारा 323 के तहत दोषी था, उसे शेष अपराधों के तहत बरी कर दिया गया था. खान को जेल और जुर्माने के बिना इस शर्त पर छोड़ दिया गया कि वह मजिस्ट्रेट के आदेश का पालन करेगा. मजिस्ट्रेट, तेजवंत संधू ने कहा कि प्रोबेशन ऑफ ऑफेंडर्स एक्ट, 1958 की धारा 3, एक मजिस्ट्रेट को सजा या उचित चेतावनी के बाद एक दोषी को रिहा करने की शक्ति प्रदान करती है, ताकि वह अपराध को दोहराए नहीं. लेकिन कोर्ट ने यह भी तर्क दिया कि केवल चेतावनी पर्याप्त नहीं होगी, यह महत्वपूर्ण है कि दोषी चेतावनी और अपनी सजा को याद रखे, ताकि वह उसे न दोहराए.
सड़क हादसे के दौरान हुआ था झगड़ा
30 वर्षीय रऊफ खान के खिलाफ 2010 में सड़क हादसे को लेकर हुए झगड़े के दौरान एक व्यक्ति पर हमला करने और उसे चोट पहुंचाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था. कोर्ट ने खान को दोषी ठहराते हुए कहा कि सुनवाई के दौरान खान ने कहा था कि वह नियमित रूप से नमाज नहीं पढ़ता है. इसे देखते हुए कोर्ट ने उसे 28 फरवरी से अगले 21 दिनों तक रोजाना दिन में पांच बार नमाज अदा करने, सोनापुरा मस्जिद परिसर में दो पेड़ लगाने और पेड़ों की देखभाल करने का आदेश दिया है.
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