अनिल शर्मा + संजय श्रीवास्तव
झांसी/ललितपुर| बुंदेलखंड के लिए बहुत ही गर्व की बात है झांसी और ललितपुर की दो जल सहेलियों क्रमशः शारदा देवी और गीता देवी को उनके जल संरक्षण और जल संवर्धन के कार्य के लिऐ आगामी 4 मार्च 2023 को विज्ञान भवन सभागार नई दिल्ली में भारत की राष्ट्रपति महामहिम द्रौपदी मुर्मू स्वच्छ स्वजल शक्ति सम्मान से सम्मानित करेंगे| इस संबंध मे जब. जल सहेलियो से विशेष संवाददाता ने बात की तो जल सहेली शारदा देवी और गीता देवी की खुशी का ठिकाना रहा| उन्होने बताया जब इसकी जान कारी परमार्थ समाज सेवी संस्थान के निदेशक तथा जिन्होंने हमे जल सहेली बनाने मे हर तह से मदद की डा संजय सिंह ने जब दी तब हमे लगा किमजैसे हम कोई सपना देख रहे है| जल सहेली शारदा देवी वंशकार ने बताया वह ललित पुर जनपद के ब्लाक ताल बेहट के गाॗम विजय पुरा की निवासी है | वह अनुसूचित जाति समाज की है| जब उसकी शादी वर्ष 1999 मे विजय पुरा गाॗम मे हुई|तब गांव मे पानी के संकट का बहुत ज्यादा सामना करना पडताथा
कई बार तो खेती ना होने के कारण हमें अपने परिवार के साथ शहर में आजीविका के लिए काम करने के लिए जाना पड़ा। परिवार में केवल हमारे ससुर और पति ही सभी तरह के निर्णय लेते थे मुझे अपनी बात रखने की कोई आजादी नहीं थी, घर से बाहर काम के अलावा निकलने की कोई आजादी नहीं थी, घर में भी बिना पर्दा के नहीं रह सकते थे। इन्हीं परिस्थितियों का देखकर जब हमने घर से बाहर जाकर जल संरक्षण के लिए काम करने का प्रयास किया तो पहले तो घर के लोगों ने मना किया तभी जल संरक्षण पर काम करने वाली परमार्थ संस्थान के द्वारा गांव में जल संरक्षण काम शुरू किया और हम लोगों में आत्मविश्वास आया और जल संरक्षण का काम करने और प्रेरणा मिली तो परिवार के लोग भी मान गये और मैं गांव में जल सहेली के रूप में काम करने लगी। जब मैने घर से बाहर निकलना शुरू किया तो कई बार जातिवाद एवं समाज के लोगों की गलत नजरिये की प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ा।
जल सहेली के रूप में मेरे द्वारा महिलाओं का जोड़ते हुए पानी पंचायत का निर्माण किया जिसमें 30 से 40 महिलाओं का एक साथ जल संरक्षण के काम को करना शुरू किया पहले तो जल संरक्षण के बारे में ज्यादातर जानकारी नहीं थी लेकिन जैसे-जैसे जानकारी हुयी पंचायत के साथ जुड़कर भी काम किया और गांव में 8 तलैया के निर्माण में अपना सहयोग प्रदान किया वही जल संरक्षण के लिए गांव में महिलाओं का नेतृत्व प्रदान किया।
तालबेहट ब्लाक में निकली बस्आ नदी जो हमारी ग्राम पंचायत से भी निकलती थी इसके पुनर्जीवन के लिए काम शुरू किया, नदी में हो रहे खनन को खिलाफ आवाज उठाई, जन जागरूकता के कार्यक्रमों का आयोजन किया, नदी के किनारे वृक्षारोपण किया एवं परमार्थ संस्थान के साथ नदी यात्रा की साथ ही ग्राम पंचायत एवं ब्लाक स्तर पर समन्वय कर बरुआ नदी के पुनर्जीवन हेतु चैकडेम निर्माण, सिल्ट सफाई का कार्य शुरू किया।
इन्हीं सभी कार्यों का फल हमें 2021 में देखने को मिला, जब खेती में सिंचाई के लिए पानी नहीं बचा था, तब बरुआ नदी पर सभी पानी पंचायत से जुड़ी महिलाओं के साथ 5 हजार बोरियों का बांध बनाकर पानी को रोका, जिससे खेती में सिंचाई हो पायी।
इन सभी कामों के दौरान कम बार समस्याओं का सामना भी करना पड़ा, कई बार संगठन में आपसी मतभेद हुये, जिससे काम प्रभावित हुये। गांव के लोगों को जल संरक्षण के काम से जोड़ने में परेशानी का सामना करना पड़ा। जब कभी बाहर जल संरक्षण से सम्बंधित कार्यक्रमों में जाना शुरू किया तो गांव के लोगों ने पूछना शुरू कर दिया कि गांव से बाहर कहां जाती है, क्यों जाती है, वहां क्या होता है। इन सभी समस्याओं को खत्म करने के लिए हम सबने अपने संगठन पानी पंचायत को और अधिक मजबूत किया, गांव में जल संरक्षण से सम्बंधित बैठको का आयोजन किया जिससे गांव के लोग भी हमारे काम से जुड़े और जो लोग बाहर जाने को लेकर सवाल पूछते थे उनको भी हम जल संरक्षण के कार्यक्रमों मे साथ लेकर गये जिससे उनकी आंशकाएँ खत्म हो सकी।
शारदा वंशकार उन महिलाओ में से है, जो अपनी नदी को जिंदा रखने के लिए निरंतर प्रयासरत है। यह वरुआ नदी को निर्मल और अविरल बहते हुए देखना चाहती है। जिसके लिए वह अपने गाँव में पानी पंचायत संगठन चलाती है, जिसमे 2 दर्जन से अधिक महिलाएं जुडी हुई है। जिनकी नियमित रूप से मासिक बैठक होती है, बैठक में जल संरक्षण में पेयजल सुरक्षा के मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा होती है।
आज वर्तमान में हमारे गांव मे हम सभी बहिनों के बीच एक संगठन है जिससे हम अपनी बात को किसी के भी समझ रखते है और जल संरक्षण के कार्य को करते है। जिस बरुआ नदी के पुनर्जीवन को लेकर मैने काम किया था आज वह वर्षपर्यन्त बहती है, जिससे क्षेत्र के लगभग 1 हजार से अधिक किसानों को सिंचाई हेतु पानी की उपलब्धता हो रही है, वही ग्राम पंचायत के साथ मिलकर 8 सलैया के निर्माण से गांव में जल संकट कम हुआ है। हमारे काम को जल शक्ति मंत्रालय ने भी अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर साझा किया है, वही बरुआ नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम में झांसी मण्डल के मण्डलायुक्त श्री अजय शंकर पाण्डेय जी के द्वारा भी मेरी प्रशंसा करते हुए सम्मानित किया था। इससे मुझे बड़ी प्रसन्नता हुयी है और हमारा संगठन भी मजबूत हुआ है।
इसतरह जब मैने जलसहेली से महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुरमू के हाथों से मिलने वाले पुरस्कार के बारे में पूछा तो जल सहेली गीता देवी के आंखों में आंसू आ गए वह बोली इतना तो हमारे सपने में भी नहीं था| उसने बतायाकि वह बुंदेलखंड क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के पानी की कमी वाले गांव मानपुर की रहने वाली हूं। मैं एक गरीब और दलित परिवार से ताल्लुक रखती हूं, और हमें गांव में ऊंची जाति के समुदायों के कई प्रतिबंधों और प्रतिरोध का सामना करना पड़ा।
परमार्थ समाज सेवी संस्थान के सहयोग से मैंने इस गांव में पानी पंचायत का गठन किया और मुझे पानी पंचायत सदस्य जल सहेली के नेतृत्व की भूमिका दी गई। मैंने समुदाय और महिलाओं को जल संरक्षण के लिए लामबंद किया। इस संघर्ष में मुझे अपने गाँवों में सामंती मानदंडों के खिलाफ लड़ना पड़ा जो उच्च जाति के पुरुषों को पानी पर नियंत्रण और पहुंच के लिए निर्धारित करते थे।
मेरे गांव में एक ही तालाब था, जो कम बारिश के कारण सूख गया था। अन्य जल स्रोत तीन हैंडपंप थे, जिनमें से एक खराब हो गया था और दो अन्य एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद सुलभ थे। नेशनल हाईवे पार करने के दौरान कई महिलाएं हादसों का शिकार हो गईं। इसके अलावा, पाइप से पानी की आपूर्ति गांव के कुछ प्रमुख घरों में ही उपलब्ध थी।
मैंने पानी पंचायत सदस्यों और अन्य ग्रामीणों को तालाब की मरम्मत के लिए आगे आने के लिए प्रेरित किया। प्रारंभ में हमने मिट्टी की बोरियों से मिट्टी की मेड़ बनाई। मेरे लगातार प्रयासों से आखिरकार ग्राम पंचायत के मुखिया ने पत्थर और सीमेंट से तालाब की पक्की मरम्मत के लिए राशि उपलब्ध करा दी। आज यह 73 एकड़ का तालाब पानी से भरा हुआ है और भीषण गर्मी में भी हमें पानी की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है। इसके अलावा, मैंने समुदाय के लिए सुरक्षित पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए नई पाइपलाइनों और नलों के निर्माण के लिए कई वकालत के प्रयास किए और ब्लॉक और जिला स्तर के अधिकारियों को आवेदन प्रस्तुत किए। आज, उसके गांव में सभी समुदायों के लिए नियमित जलापूर्ति अब एक वास्तविकता है।
मैं उसके गांव मानपुर को कम या कम बारिश होने की स्थिति में भी सूखा-प्रतिरोधी बनाना चाहता हूं। मैं इस विजन को साकार करने के लिए भूजल संरक्षण की दिशा में काम करने की योजना बना रहा हूं। इन प्रयासों से हमारे गांव में पलायन भी कम हुआ है। मैं दृढ़ता से महसूस करती हूं कि हमारी जल पहल केवल हमारे गांव तक ही नहीं रहेगी, हम अन्य गांवों में भी जल संरक्षण और जल साक्षरता के प्रति जागरूकता पैदा करेंगे। मुझे यह स्वीकार करते हुए बहुत खुशी हो रही है कि हमारे गांव में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने में हमारा काम सफल रहा है।
मुझे केंद्रीय सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के माननीय मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा जल प्रहरी (जल प्रहरी) पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी जी ने भी भूजल सप्ताह के दौरान मेरे प्रयासों की सराहना की है। मुझे हाल ही में जल संरक्षण के लिए अनुकरणीय कार्य करने वाली महिलाओं को दिए जाने वाले प्रतिष्ठित यूएनडीपी महिला जल चौंपियन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।