उरई(जालौन)। अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व पूनम निगम ने बताया कि लू से बचाव के लिए क्या करें क्या न करें। अधिक गर्मी एवं लू के कारण होने वाली बीमारियां मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं हीट इग्जाँनस्चन एवं हीट स्ट्रोक। हीट इग्जाँनस्चन के लक्षण अत्यधिक प्यास, शरीर का तापमान बढ़ा हुआ(100.4 F से 104°F,), मांसपेशियों में ऐंठन, जी मिचलाना उल्टी होना, सिर का भारीपन सिर दर्द, रक्तचाप कम होना, चक्कर आना, भ्रांति उलझन में होना, पेशाब कम आना, अधिक पसीना एवं चिपचिपी त्वचा। हीट स्ट्रोक के लक्षण शरीर का तापमान बढ़ा हुआ (104° F,) पसीना आना बंद होना पसीने की ग्रंथि का निष्क्रिय होना, मांसपेशियों में ऐंठन चिपचिपी त्वचा, त्वचा एवं शरीर का लाल होना, उल्टी होना चक्कर आना, सिर दर्द चक्कर आना, भ्रांति उलझन में होना, पेशाब कम आना, मानसिक संतुलन, सांस की समस्या, इस तरह के लक्षण दिखाई देने पर तत्काल ही उपचार करना चाहिए। लू से प्रभावित होने वालों को तत्काल उपचार करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सुझाव दिए गए हैं। लू के प्राथमिक उपचार के तहत व्यक्ति को तुरंत पंखे के नीचे तथा छायादार ठंडे स्थान पर ले जाएं, कपड़ों को ढीला रखें, शरीर को गीले कपड़े से स्पंज करें, ओआरएस का घोल पिलाएं, नींबू का पानी नमक के साथ पिलाएं, मांसपेशियों पर दबाव डालें तथा हल्की मालिश करें, शरीर के तापमान को बार-बार जांचें, यदि कुछ समय से सामान्य न हो तो तुरंत चिकित्सा केंद्र ले जाएं। उन्होंने बताया कि अधिक परिश्रम के मध्य विश्राम अवश्य करें, चाय कॉफी एवं शराब न पिए, प्यास की इच्छा ना होने पर भी पानी पीये, अधिक गर्मी में व्यायाम न करें, शरीर अधिक गर्म लगने पर स्नान करें, अधिक धूप में बाहर ना जाएं, छाया में बैठे, ठंडक प्रदान करने वाले फल खाएं, हल्के सफेद रंग के तथा ढीले कपड़े पहने, वृद्धों एवं बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं का विशेष ध्यान रखें।
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