लखनऊ के पारा थाना क्षेत्र में मंगलवार रात एक तारपीन तेल की फैक्ट्री में आग लग गई। फैक्ट्री कर्मियों की चीखपुकार और लपटें देखकर आसपास के घरों से लोग बाहर निकल आई। दमकल की आठ गाड़ियों ने आग पर काबू पाया। सूचना है कि आग में झुलसने से एक मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गया। जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई।
तारपीन तेल के ड्रमों के बीच फंसा मजदूर पारा इंस्पेक्टर दधिबल तिवारी के मुताबिक पारा मोहान रोड स्थित सलेमपुर पतौरा गांव में एक मकान में मंगलवार रात आग लग गई। यह मकान उन्नाव निवासी पंकज दीक्षित का है। जहां तारपीन के तेल सप्लाई का काम होता है। अचानक मकान में आग लग गई। भीषण आग से वहां काम करने वाले कुछ मजदूर तो भागने में कामयाब रहे, लेकिन मजदूर सुशील अंदर फंस गया। बताया जा रहा है कि वह मकान के भीतरी हिस्से में काम कर रहा था और ड्रमों के बीच में फंसने से बाहर नहीं निकल सका। जिससे आग से गंभीर रूप से झुलस गया। जिसको पास के नर्सिंग होम ले जाया गया। वहां उसकी मौत हो गई। प्रारंभिक जांच में आग शार्ट सर्किट से लगने की बात सामने आई है।
मकान में अवैध रूप से बन रहा तारपीन का तेल क्षेत्रीय लोगों के मुताबिक मकान में अवैध रूप से तारपीन का तेल बन रहा था। जिसके चलते आग ने विकराल रूप ले लिया। आग की सूचना मिलते ही दमकल की गाड़ियों के साथ ही डीएम सूर्य पाल गंगवार, सरोजनीनगर के एसडीएम सिद्धार्थ सिंह, एसीपी दुबग्गा अनिघ विक्रम सिंह भी मौके पर पहुंचे।
सिलेंडर के धमाकों से गूंज गया इलाका, आक्रोश
क्षेत्रीय लोगों के अनुसार आग लगने के बाद घर से दो तेज धमाकों से पूरे इलाका गूंज गया। धमकों के साथ लपटे और तेज हो गईं।
आग लगते ही घर में रहने वाला पंकज परिवार समेत भाग गया। वह यहां रहकर अवैध रूप से तारपीन के तेल का काम करता था।
मुआवजे की मांग को लेकर हंगामा आग से झुलकर उन्नाव असीवन निवासी सुशील (40) की मौत की सूचना मिलते ही क्षेत्रीय लोग भड़क गई। आक्रोशित लोगों ने मृतक आश्रित परिवार को 20 लाख रुपये मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी की मांग को लेकर नारेबाजी शुरू कर दी। जिला प्रशासन की तरफ से मृतक आश्रित परिवार को पांच लाख रुपये के मुआवजा दिलाने का आश्वासन दिया गया। साथ फैक्ट्री मालिक के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए। जिसके बाद लोग शांत हुए।
परिवार चलाने के लिए पार्ट-टाइम काम करता था सुशील
सुशील की पत्नी अर्चना ने बताया कि सुशील दिन में सैलून में काम करता था। शाम छह से 11 बजे रात तक फैक्ट्री में पार्ट-टाइम जॉब करता था। जिससे घर का खर्च चलता था।
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