मदरसों के बाद अब वक्फ की संपत्तियों का सर्वे हो रहा है। यूपी में सबसे ज्यादा करीब 1.22 लाख संपत्तियां हैं। इसमें लखनऊ का राजभवन, वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही मस्जिद भी शामिल हैं। वक्फ बोर्ड के अनुसार, इन संपत्तियों की कीमत का आंकलन करना अभी संभव नहीं है। वहीं विपक्ष का आरोप है कि यूपी सरकार इन संपत्तियों का इस्तेमाल करने के लिए सर्वे करवा रही है।
वक्फ बोर्ड की जमीन को बेचने के लिए NOC लेनी होती है। ऐसी खरीद-फरोख्त में NOC नहीं ली गईं। वक्फ बोर्ड ने बीते 3 सालों में करीब 150 ऐसे मामले की रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजी थी। इसके बाद योगी सरकार इन वक्फ संपत्तियों का सर्वे करवा रही है।
उधर, वक्फ संपत्तियों के सर्वे पर सियासत भी शुरू हुई है। विपक्ष इस पर सवाल उठा रहा है। तो कई मुस्लिम धर्म-गुरु इसके समर्थन में उतर आए हैं। कई मुस्लिम पार्टी के नेता इसके विरोध में बोल रहे हैं।
किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित किया जा सकता है
कानूनी नजरिए से अगर कोई शख्स अपनी चल या अचल संपत्ति को अपनी मर्जी से इस्लाम के पवित्र कार्यों में लगाने के लिए दान करता है, तो उसे वक्फ कहते हैं। वक्फ का निर्माण डीड के जरिए किया जा सकता है। किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित किया जा सकता है। अगर उसका इस्तेमाल लंबे समय के लिए इस्लाम से जुड़ी धार्मिक गतिविधियों या चैरिटेबल वजह से किया जा रहा हो।
वक्फ की संपत्ति का इस्तेमाल धार्मिक स्कूल चलाने, कब्रिस्तान बनाने, मस्जिद बनाने या फिर शेल्टर होम बनाने के लिए किया जाता है। अगर कोई व्यक्ति वक्फ का निर्माण करता है, तो फिर वो उससे अपनी संपत्ति वापस नहीं ले सकता। कोई गैर मुस्लिम भी वक्फ का निर्माण कर सकता है। मगर, उसकी इस्लाम में आस्था होनी चाहिए।
एक्ट के अनुसार ही वक्फ काम करता है
वक्फ एक्ट 1995 बनाया गया है। इस एक्ट के मुताबिक ही वक्फ काम करता है। इस एक्ट के अनुसार एक सर्वे कमिश्नर वक्फ की संपत्ति का मुआयना करता है। इसके लिए वो जांच करता है, गवाहों से मिलता है, संपत्ति के दस्तावेजों को खंगालता है। वक्फ को मैनेज करने वाले को मुतावली कहते हैं। उसी के सुपरविजन में वक्फ काम करता है। वक्फ भी कमोबेश ट्रस्ट की तरह काम करता है।
ट्रस्ट इंडियन ट्रस्ट एक्ट 1882 के तहत काम करता है। हालांकि ट्रस्ट का दायरा ज्यादा बड़ा है। वो सिर्फ धार्मिक कार्यों तक सीमित नहीं है। जबकि वक्फ का दायरा सिर्फ धार्मिक कार्यों तक सिमटा है। ट्रस्ट को उसका बोर्ड चाहे तो भंग कर सकता है, लेकिन वक्फ के साथ ऐसा नहीं है।
वक्फ बोर्ड क्या है?
वक्फ बोर्ड के पास संपत्ति के अधिग्रहण, उसे अपने पास रखने या उसके हस्तांतरण का अधिकार होता है। ये न्यायिक व्यवस्था के दायरे में बना बोर्ड है, इसलिए ये किसी व्यक्ति पर मुकदमा चला सकता है। कोर्ट में मुकदमे का सामना कर सकता है। हर राज्य के पास अपना वक्फ बोर्ड है। इसके चेयरमैन होते हैं। इसमें एक या दो राज्य सरकार के नॉमिनी होते हैं। जो मुस्लिम विधायक या सांसद हो सकते हैं। फिर कोई मुस्लिम स्कॉलर, स्टेट बार काउंसिल के सदस्य हो सकते हैं।
कांग्रेस सरकार में जारी आदेश योगी सरकार में हुआ रद्द
7 अप्रैल, 1989 को कांग्रेस सरकार ने एक आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि अगर सामान्य संपत्ति बंजर, भीटा, ऊसर आदि भूमि का इस्तेमाल वक्फ (मसलन कब्रिस्तान, मस्जिद, ईदगाह) के रूप में किया जा रहा हो तो उसे वक्फ संपत्ति के रूप में ही दर्ज कर दिया जाए। इसके बाद उसका सीमांकन किया जाए। इस आदेश के तहत प्रदेश में लाखों हेक्टेयर बंजर, भीटा, ऊसर भूमि वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज कर ली गईं।
अब इस आदेश को सरकार ने रद्द कर दिया है। बीते महीने राजस्व परिषद के प्रमुख सचिव सुधीर गर्ग ने शासनादेश जारी कर कांग्रेस शासनकाल में जारी आदेश को समाप्त कर दस्तावेजों को दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे
AIMIM ने कहा- मंदिर, मठ का भी सर्वे हो
AIMIM के प्रवक्ता सैयद नसीम वकार ने कहा कि यह सच्चाई है कि मुसलमानों को परेशान किया जा रहा है। यह एकतरफा कार्रवाई है। सरकार यह सब अपने अंडर में लेकर उनका उपयोग करना चाहती है। इसलिए सर्वे करने का आदेश दिया गया है। सर्वे करवाना है तो सभी मंदिर, मठ और अन्य धार्मिक स्थलों के भी सर्वे कराए जाएं।
इसके पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार वक्फ बोर्ड की जांच कराकर मुद्दा भटका रही है, हम सर्वे के खिलाफ है, सर्वे नहीं होना चाहिए। वहीं वरिष्ठ पत्रकार हुसैन अफसर ने कहा कि 33 साल पुराने 1989 के दिए गए आदेश को रद्द किए जाने के बाद वक्फ बोर्ड अब जमीनों का उपयोग में नहीं कर सकती है। सरकार ही केवल उन जमीनों को अधिकृत कर सकती है।
लेखपाल और SDM करेंगे सर्वे रिपोर्ट तैयार
डीएम और कमिश्नर को इस सर्वे की जिम्मेदारी दी गई है। संपत्ति से जुड़ा मामला राजस्व विभाग से जुड़ा होता है। SDM और लेखपाल को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसमें लेखपाल अपने संबंधित क्षेत्र की जमीन का ब्योरा SDM को भेजेगा। SDM डीएम को भेजें और डीएम कमिश्नर कार्यालय के जरिए शासन को रिपोर्ट भेजेंगे। अगर संपत्ति पर कब्जा किया गया या अतिक्रमण करके उस पर निर्माण किया गया है, तो कैसे उसको हटाया जाएगा। ये भी रिपोर्ट का हिस्सा होगा।
ज्ञानवापी मस्जिद सुन्नी वक्फ बोर्ड, राज्यपाल बंगला शिया वक्फ संपत्ति
सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अली जैदी ने बताया कि यूपी में वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद सुन्नी वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद सुन्नी वक्फ बोर्ड में दर्ज है। राज्यपाल बंगला शिया वक्फ में है। विकास दीप बिल्डिंग वक्फ बोर्ड में है। उन्होंने कहा कि संपत्तियों की खरीद-फरोख्त और काबिज होने का डेटा तैयार हो जाएगा। इसका फायदा बोर्ड को ही मिलने वाला है।
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