कवियों ने सुनाया करो बस प्यार की बौछार मेरे यार होली में,
उरई(जालौन)। रंग पंचमी के मौके पर उत्तर प्रदेश साहित्य सभा जालौन एवं पहचान ने एक बृहद फूलों के संग शब्दों की बौछार कर एक काव्य गोष्ठी साहित्य सभा के अध्यक्ष अनुज भदौरिया के आवास पर वरिष्ठ साहित्यकार यगदत्त त्रिपाठी जी की अध्यक्षता एवं साहित्य सभा के संयोजक पहचान के अध्यक्ष शायर शफीकुर्रहमान कशफी के संचालन में हुई जिसमें दो दर्जन से अधिक कवि और शायरों ने काव्यपाठ किया और फूलों की पत्ती और गुलाल लगा कर शुभकामनाएं दीं
काव्यगोष्ठी की शुरुआत शिखा गर्ग की सरस्वती वंदना और परवेज़ अख्तर की नातेपाक से हुआ इसके बाद कवियत्री माया सिंह ने पढ़ा,हो नेह का गुलाल वफाओं का रंग हो,नफरत न हो कहीं मुहब्ब्त का संग हो इसके बाद फ़राज़ ने पढ़ा,ये ज़िन्दगी जो अमानत है रब्बे आलम की,गुनाह कर के जो बेकार करने वाला है, दिव्यांशु दिव्य ने पढ़ा,माँ बाप की बातों को जब से किया अनसुना,तब से ही परेशानियां हम झेल रहे हैं कवियत्री प्रिया श्रीवास्तव दिव्यम ने सुनाया,चलो छोड़ो हरिक तकरार मेरे यार होली में,करो बस प्यार की बातें मेरे यार होली में,फिर फरीद अली बशर ने पढ़ा, अंतर्मन महाभारत है सर पर बोझ गोवर्धन सा, कहने को तो हम भी कह दें सब कुछ राधे राधे है, शिखा गर्ग ने पढ़ा, फागुन बांचे बैठ के रंगों भरी किताब, मस्ती की भंग पी रहे गेंदा और गुलाब,कवि कृपाराम राम किरपालु ने पढ़ा,इतनी तुनक मिजाज़ चलो छोड़ो जाने दो,बेवफा होने का राज़ चलो छोड़ो जाने दो,कवियत्री इंदु विवेक ने पढ़ा,द्वार पर सजती रंगोली देखकर मेरा मन पलाश हो गया,जावेद क़सीम ने सुनाया,रातदिन मसअलों में रहते हैं,हैं कँवल दलदलों में रहते हैं,साहित्य सभा अध्यक्ष अनुज भदैरिया ने पढ़ा,जो सीमा पर डटे हैं लाल उनके घर पर खुशी बनकर,ये होली आये खुशियों से भरी पिचकारियां बनकर, परवेज़ अख्तर ने पढ़ा,किसी के सामने हाथों को मत पसार कभी,तरीके और बहुत है खुदकुशी के लिए,संचालन कर रहे कशफी ने पढ़ा, मिलना चाहूँगा तुमसे मैं होली,थोड़ा नीचे उतर के आ जाना,वहीं योगाचार्य शत्रुघ्न सेंगर सौमित्र त्रिपाठी अतीक सर ब्रह्म प्रकाश गोपाल गुप्ता इंतखाब दानिश आदि लोगों ने भी काव्यपाठ किया अंत में गोष्ठी के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार यगदत्त त्रिपाठी जी ने अध्यक्षी उद्बोधन के साथ पढा जाति पाँत के रंग में रंग कर कालिख नहीं लगाना,ऐसी होली अगर खेलना तो मेरे घर आना,अंत में सभी ने फूलों की बरसात कर एक दूसरे को गुलाल लगा कर रंग पंचमी की शुभकामनाएं दीं।