बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में स्पर्श दर्शन के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा। मंदिर न्यास की बैठक में ऐसा विचार बना था, लेकिन सहमति नहीं बनी। हालांकि, बाबा की मंगला आरती के लिए 500 रुपए, भोग आरती और श्रृंगार आरती के लिए 300-300 रुपए चुकाने पड़ रहे हैं।
दरअसल, सोमवार को अचानक सोशल मीडिया पर काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन स्पर्श के लिए शुल्क लिए जाने का मैसेज वायरल हुआ। इसमें स्पर्श के लिए 500 से 1000 रुपए शुल्क निर्धारित होने के बारे में बताया गया। कुछ देर बाद ही मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने इस मैसेज का खंडन किया। उन्होंने कहा कि इस तरह का कोई शुल्क निर्धारण नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि ट्रस्ट की पिछली बैठक में विभिन्न संगठनों ने अपना विचार रखा था। लेकिन उसी समय प्रस्ताव को खारिज किया गया था।
बाबा विश्वनाथ धाम में किस-किस तरह के शुल्क निर्धारित है, इसके बारे में बताते हैं..
ऑनलाइन 300 रुपए दीजिए, सुगम दर्शन करिए
बाबा विश्वनाथ धाम में अगर आप अपने परिवार के साथ दर्शन करने आए हैं। आप भीड़ के साथ लाइन में नहीं लगना चाहते हैं। तो मंदिर प्रशासन ने सुगम दर्शन की व्यवस्था की है। इसके लिए आपको हेल्प डेस्क ऑनलाइन सुगम दर्शन 300 रूपए देकर कर सकते हैं। इसके अलावा अगर आपको मंदिर में रुद्राभिषेक, महादेव पूजा एवं अन्य विशेष पूजा करानी हो तो उसके लिए भी आप हेल्प डेस्क से पर्ची कटा कर पूजन करवा सकते हैं।
मंदिर न्यास के अध्यक्ष बोले-अगली बैठक में इस शुल्क पर होगा विचार
काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन के तरफ से स्टेटमेंट आया कि एक डोनेशन की रसीद वायरल की गई। लोगों को गुमराह किया गया। ऐसा किसने किया और उसकी मंशा क्या थी? इस बारे में जांच की जाएगी। काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय ने कहा कि अभी स्पर्श दर्शन के शुल्क को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है।
लेकिन अगली बैठक में मंदिर की बढ़ती लोकप्रियता और भीड़ को ध्यान में रखते हुए गर्भगृह में स्पर्श दर्शन की व्यवस्था कैसे की जाए, इस पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर हम कुछ पैसे लेकर दर्शन करते हैं तो हमें निर्धन भक्तों का ध्यान भी रखना होगा। हम समाज के अन्तिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के बारे में सोचकर ही फैसला करेंगे।
स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा- शुल्क सोचना भी पाप अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि बाबा के स्पर्श दर्शन का शुल्क लगाने की बात सोचना भी पाप है। उन्होंने कहा कि 1808 में अंग्रेजी हुकूमत में अमीर-गरीब के बीच भगवान को बांटा था अब हिंदूवादी सरकार के कार्यकाल में विश्वनाथ मंदिर में भी उस व्यवस्था को दोहराया जाना पूरी तरह से गलत है।
अब आपको ये बताते हैं कि काशी के लोग स्पर्श दर्शन शुल्क पर क्या सोचते हैं… वाराणसी के विकास ने बताया कि मंदिर प्रशासन द्वारा कुछ जगहों पर शुल्क लिया जा रहा है, भीड़ को देखते हुए यह निर्णय कुछ हद तक ठीक है। लेकिन बाबा के स्पर्श दर्शन पर शुल्क लगाना ठीक नहीं है।
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