यूपी के संभल में गुरुवार को हुए कोल्ड स्टोर हादसे में बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां तमाम नियम-कानून को दरकिनार कर पूरी बिल्डिंग अवैध तरीके से तैयार कर दी गई। इस बिल्डिंग के निर्माण में हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट के अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आई है। जल्दबाजी में तैयार की गई इस बिल्डिंग के ध्वस्त होने से 14 लोगों की मौत हो गई, जबकि 11 लोग गंभीर रूप से घायल हुए। कोल्ड स्टोरेज पर 28 घंटे से ज्यादा रेसक्यू चला। NDRF, SDRF समेत प्रदेश के पुलिस प्रशासनिक अफसर मौके पर हैं।
टीम ने ग्राउंड पर पहुंचकर तथ्यों को खंगाला, तो चौंकाने वाली खामियां सामने आईं। बड़ी बात यह निकली, कोल्ड स्टोरेज का यह पूरा चैंबर बिना NOC के बनाया गया था। 6 महीने पहले ही इसका निर्माण पूरा हुआ था।
1- सीजन आता देख जल्दबाजी में तैयार किया गया था चैंबर
दरअसल, वेस्ट यूपी के 25 जिलों को आलू उत्पादन का गढ़ माना जाता है। यहां के किसान आलू को कोल्ड स्टोर में जमा करते हैं और अच्छे दाम मिलने पर उन्हें निकालकर बेचते हैं। कोल्ड स्टोर वाले किसानों से प्रति बोरी का किराया लेते हैं। इस बार 50 किलो की बोरी का किराया 135 से 140 रुपए तय था।
आमतौर से 100 फीट लंबे और 100 फीट चौड़े कोल्ड स्टोरेज के निर्माण में 1 से डेढ़ साल का समय लगता है। लेकिन चंदौसी के रहने वाले दो भाइयों ने अवैध रूप से इस चैंबर को जल्दबाजी में 6 महीने में ही बनवा डाला। न मजबूती का ध्यान दिया, न जरूरी संसाधनों का। आलू का सीजन हाथ से न निकल जाए, इस लालच में मानक को भी दरकिनार कर दिए गए।
रामपुर के जिला उद्यान अधिकारी सुनील कुमार के पास संभल का भी अतिरिक्त चार्ज था। उद्यान अफसर जिले में कोल्ड स्टोर के रखरखाव और भंडारण के लिये जिम्मेदार होता है। लेकिन अफसर ने बिना रोक-टोक इस चैंबर को बनने दिया। बताया जा रहा है कि इस बार आलू सस्ता होने के कारण प्रबंधकों ने पहले ही 50% से ज्यादा भंडारण कर दिया था।
2- कई विभागों से NOC भी नहीं ली गई
पड़ताल में पता चला कि कोल्ड स्टोर के निर्माण के लिए NOC तक नहीं ली गई। जबकि निर्माण से पहले 5 से 7 विभागों की NOC लेना जरूरी होता है। इनमें फायर, राजस्व और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और जिला उद्यान विभाग सबसे महत्वपूर्ण होते हैं।
कोल्ड स्टोर की जांच परख की जिम्मेदारी उद्यान विभाग की होती है। मलबे में तब्दील हुए इस चैंबर के निर्माण के दौरान उद्यान विभाग भी लापरवाह बना रहा और 6 महीने में चैंबर बनकर तैयार भी हो गया। इसके बाद किसानों का आलू भी भरना शुरू कर दिया गया।
3- पिलर बीम की जगह, गाटर बत्ते का किया गया इस्तेमाल
पैरामीटर के अनुसार, जब कोल्ड स्टोरेज का चैंबर बनाया जाता है तो उसके अंदर के स्लैब बनाने के लिए पिलर बीम का इस्तेमाल किया जाता है। इससे उसकी मजबूती ज्यादा होती है। यहां जल्दबाजी में मेन छत तो पिलर बीम पर रखी गई। लेकिन अंदर की रैक गाटर और बत्ते से तैयार कर दी गई। इन्हीं गाटर और बत्तों पर बोरों की रैक लगाई जाती है।
यहां लगाए गए गाटर और बत्ते क्षमता से ज्यादा रखे गए बोरों का भार सहन नहीं कर पाए और बीच वाला हिस्सा टूट गया। इससे पूरी रैक बैठ गई। चूंकि सभी रैक एक दूसरे से कनेक्ट होती हैं, इसलिए एक रैक के गिरते ही सभी रैक बैठती चली गईं और आलू के बोरे नीचे गिरते गए। जिसमें लोग दबते चले गए।
4- चैंबर के अंदर आने-जाने का एक ही रास्ता छोड़ा
आलू स्टोरेज के लिए 100 फीट लंबा चौड़ा और 30 फीट ऊंचा चैंबर तैयार किया गया था। नियमानुसार इसमें दो से तीन रास्ते बनाए जाते हैं। इससे चैंबर के अंदर आना जाना आसान हो जाता है। यदि कहीं कोई बोरी लॉट गिरती भी है, तो दूसरी तरफ से लोग उसे दुरुस्त करने के लिए पहुंच जाते हैं। इस चैंबर में यही गड़बड़ी हुई। आलू क्षमता से ज्यादा स्टोरेज करने के लिए इसके रास्ते कम कर दिए गए।
इसमें सिर्फ एक रास्ता बचा था। बाकी सभी रास्तों पर बोरे भरते चले जा रहे थे। इसमें अंदर ही अंदर गाटर और बत्ते की स्लैब बनाई गई थी। इन्हीं पर बोरे रखे गए थे। ओवर लोड होने से एक साइड का गाटर और बत्ते पर रखे बोरे रैक समेत गिर गए और पूरी बिल्डिंग ढह गई।
5- एक साथ बैठ गई पूरी इमारत, भागने को रास्ता ही नहीं मिला
जिस समय कोल्ड स्टोर में आलू भंडारण का काम चल रहा था, उस समय 30 से ज्यादा लोग चैंबर के अंदर थे। कुछ लोग बेसमेंट में थे, बाकी ऊपर आलू के बोरे रखने में लगे थे। इनमें कुछ किसान और पल्लेदार थे। पल्लेदार मजदूरी के रूप में बोरा उठाने का काम करते हैं। जैसे ही बीच साइड में भरे गए आलू के बोरे की रैक पलटी, तो एक साथ छत बैठ गई।
इस कारण से मेन रास्ता बंद हो गया और देखते ही देखते सारे बोरे एक तरफ गिर गए। ऐसे में जो लोग बिल्कुल आगे थे, वो तो निकल गए, बाकी पीछे वाले सभी बोरों के नीचे दब गए। उन्हें भागने का रास्ता ही नहीं मिला। अंदर दबे लोग सिर्फ चीखते-चिल्लाते रहे। इसी कारण अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है।
इसलिए 24 घंटे से ज्यादा चला रेस्क्यू
बोरों की रैक गिरने से पूरे कोल्ड स्टोरेज के चैंबर की छत एक साथ बैठ गई। गुरुवार दोपहर करीब 12 बजे स्थानीय पुलिस पहुंची। उसके एक घंटे बाद PAC और वरिष्ठ अफसर मौके पर पहुंचे। 4 जेसीबी मंगाकर राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया गया। तीन घंटे बाद गाजियाबाद से NDRF की टीम पहुंची। सबसे बड़ी समस्या यह थी कि पूरी छत बोरों के ऊपर थी।
इसलिए पहले धीरे-धीरे छत के मलबे को हटाया गया। इसके बाद बोरे हटाने की प्रक्रिया शुरू की गई। आलू के बोरों के नीचे से लोगों के चीखने की आवाज आ रही थी। जिस तरफ आवाज सुनाई पड़ रही, उसी तरफ के बोरे उठाए जा रहे थे। बड़ी समस्या यह थी कि जेसीबी से उन बोरों को एक साथ हटाया भी नहीं जा सकता था। क्योंकि उससे अंदर दबे लोगों की जान का खतरा हो रहा था।
क्षमता से अधिक भंडारण का मुकदमा
मोहल्ला सुंदर थाना चंदौसी वाले कोल्ड स्टोर मालिक अंकुर अग्रवाल और रोहित अग्रवाल के खिलाफ क्षमता से अधिक भंडारण और गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। यह मुकदमा कोल्ड स्टोर में पल्लेदारी करने वाले रोहताश के पिता भूरे ने दर्ज कराया है। रोहताश की मलबे में दबकर मौत हाे गई है।
FIR में कहा गया है, कोल्ड स्टोरेज मालिक ने पैसों के लालच के लिए लिमिट से ज्यादा आलू के बोरे भरवा दिए। इस बिल्डिंग को पूरे मानक पर नहीं बनाया गया था। निर्धारित मात्रा से अधिक बोरियों का भंडारण किया गया, जिसकी वजह से कोल्ड स्टोर की छत गिर गई। भूरे ने कहा कि उनके बेटे की मौत और इस पूरे हादसे के लिए कोल्ड स्टोर मालिक ही जिम्मेदार हैं।
मंत्री बोले- दोषी अफसरों पर होगी कड़ी कार्रवाई
संभल जिले के प्रभारी मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि यह पूरी बिल्डिंग अवैध तरीके से बनाई गई थी। निर्माण के पैरामीटर का भी ध्यान नहीं रखा गया। निर्धारित मात्रा से ज्यादा आलू के बोरों का भंडारण किया गया। इसकी जांच न होने में अफसरों की लापरवाही भी सामने आ रही है।
मैंने कमिश्नर को दिए जिला उद्यान अधिकारी को सस्पेंड करने के निर्देश दिए हैं। कोल्ड स्टोर मालिक के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। जिस किसी की भी इसमें संलिप्तता पाई जाएगी उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
28 घंटे से चल रहा रेस्क्यू, अभी 3 और लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका उत्तर प्रदेश के संभल में हुए कोल्ड स्टोरेज हादसे में शुक्रवार दोपहर तक मलबे से 25 लोगों को बाहर निकाला गया। इनमें से 14 की मौत हो चुकी है। जबकि 11 को मुरादाबाद हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया है। गुरुवार को यहां कोल्ड स्टोरेज की 100 फीट लंबी छत ढह गई थी। पिछले 28 घंटे से रेस्क्यू जारी है। DIG शलभ माथुर ने बताया कि अभी 3 लोग मिसिंग हैं, उनकी तलाश के लिए सर्च अभियान चलाया जाएगा।
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