उरई(जालौन)। अनुसूचित जाति की जमीन की बिक्री पर लगी रोक वाले कानून को निष्क्रिय करने के सम्बन्ध में कांग्रेस जिलाध्यक्ष दीपांशु समाधियां ने अनौपचारिक वार्ता के दौरान कहा कि इससे तो सरकार की दलित विरोधी मंशा को उजागर होती है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने कहा कि तत्कालीन सरकार की दलित विरोधी नीति है । उन्होंने कहा की उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, सरकार ने अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के हितों को ध्यान में रखते हुए और उन्हें 1950 कानून बनाया था। इसके तहत अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति यदि गैर अनुसूचित जाति/जनजाति को कृषि भूमि विक्रय करना चाहते है तो उन्हें जिलाधिकारी से अनुमति लेना होगा।यह प्रतिबन्ध भी था कि उस व्यक्ति के पास साढ़े तीन एकड़ जमीन बचती हो।उन्होंने बताया की उत्तर प्रदेश की शयोगी आदित्यनाथ की सरकार कांग्रेस द्वारा बनाये गये उक्त कानून को निष्क्रिय करने जा रही है। उन्होंने कहा की कोई भी कानून बनाने के पूर्व सदन में चर्चा होना आवश्यक है। लोकतंत्र में केवल कैबिनेट की बैठक में कोई भी कानून बनाया जाना अवैधानिक है। यह युगों-युगों से वंचित भारत जाति/जनजाति के अधिकारों पर कुठाराघात करने का कदम है। जिस प्रकार पार्टी की प्रदेश और केन्द्र की सरकारों द्वारा कुछ उद्योगपतियों को सम्पूर्ण भारत बेचने/सौंपने की साजिश की जा रही है, उसका यह जीता जागता नमूना है। किस प्रकार श्री योगी और श्री मोदी की सरकारों द्वारा “हम दो हमारे दो” के तहत अडानी और अम्बानी को देश का कण-कण सौंपने का प्रयास किया जा रहा है, उसका यह प्रमाण है। प्रदेश महासचिव/विधानसभा प्रत्याशी बछरावां सुशील पासी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की यह नीति दलित समाज विरोधी है। जिसका पार्टी पुरजोर तरीके से विरोध करती है।
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