जयपुर।राजस्थान हाईकोर्ट ने 15 साल पुराने जयपुर सीरियल ब्लास्ट मामले में चारों आरोपियों की फांसी की सजा को पलटते हुए उन्हें बरी कर दिया है। आरोपियों को बरी किए जाने का जिम्मेदार मुख्य रुप से एटीएस के अधिकारियों को माना जा रहा है। अदालत के बाद अब सरकार में उच्च स्तर पर भी माना कि मामले की जांच कर रहे एटीएस के अधिकारियों ने इतनी कमियां छोड़ी की आतंकी बच गए।
कमजोर कड़ी साबित हुई एटीएस
राज्य सरकार में गृह विभाग और पुलिस के उच्च अधिकारियों ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने को लेकर गुरुवार को मंथन किया। अधिकारियों ने महाधिवक्ता से भी इस बारे में बातचीत की है। बम धमाकों के बाद राज्य सरकार ने एटीएस और विशेष कार्यबल (एसओजी) गठित की थी। तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एसएन जैन की अगुवाई में दोनों एजेंसियों ने काम करना प्रारंभ किया था। बम धमाकों की जांच के लिए उस समय के वरिष्ठ पुलिस अफसरों को जिम्मा सौंपा गया था, लेकिन इन सभी ने अपनी जिम्मेदारी सही तरह से नहीं निभाई।
पुख्ता सबूत नहीं जुटा सके
मामले की जांच के दौरान एटीएस में तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक लक्ष्मण मीणा, उप महानिरीक्षक ए पौन्नूचामी, सौरभ श्रीवास्तव, राघवेंद्र सुहासा, राजेंद्र सिंह नैन और महेंद्र चौधरी वरिष्ठ अधिकारी तैनात रहे, लेकिन ये अधिकारी आतंकियों के खिलाफ ठोस साक्ष्य नहीं जुटा सके, जिसका लाभ उन्हे न्यायालय से मिल गया। सूत्रों के अनुसार गुरुवार को हुई उच्च स्तरीय बैठक में माना गया कि एटीएस के अधिकारियों ने आरोपियों के विरुद्ध पुख्ता सबूत नहीं जुटाए थे। साथ ही जो सबूत जुटाए थे उन्हे न्यायालय में सही तरीके से पेश नहीं किया गया।
जांच में लापरवाही होना अफसोसजनक
पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा कि आतंकियों का बरी होना गंभीर मामला है। धमाकों में इतने लोगों की जान गई। गृह और विधि विभाग को आत्मचिंतन करना पड़ेगा। कमियां रहना गंभीर विषय है। जांच में लापरवाही होना अफसोसजनक है। जिम्मेदार लोगों के खिलाफ जांच कर कार्रवाई होनी चाहिए। आतंकियों को पकड़ा गया, निचली अदालत ने उन्हे फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन अब सबूतों की वजह से रिहा कर दिया गया। किसी ने तो बम धमाके किए होंगे। जिन लोगों की मौत हुई है, उनके स्वजनों को भी तो हमें जवाब देना होगा। सरकार को तुरंत प्रभाव से सर्वोच्च न्यायालय में अपील करनी चाहिए।
71 लोगों की गई थी जान
गौरतलब है कि जयपुर में तीन मई 2008 को बम धमाके हुए थे। धमाकों में 71 लोगों की जान गई थी। इसके अलावा धमाकों में 185 लोग घायल भी हुए थे। जयपुर की विशेष अदालत ने मोहम्मद सैफ, सैर्फरहमान, मोहम्मद सलमान और सरवर आजमी को 20 दिसंबर 2019 को फांसी की सजा सुनाई थी। सजा के खिलाफ चारों ने उच्च न्यायालय में अपील की थी। उच्च न्यायालय ने एटीएस की जांच को सही नहीं मानते हुए चारों को दोषी नहीं माना और बरी कर दिया।
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