मासूम बेटी परी को सीने से चिपकाए फौजी अजीत यादव का दर्द आंसूओं और बदहवाश शब्दों से बयां हो रहे थे। कहा कि बेटी परी ने बताया कि मां ने चार दिन पूर्व कहा था कि अगर नौकरी नहीं मिली तो तुम सबको मार डालूंगी। डर के मारे हम लोग दादा-दादी के पास चले गए थे। पत्नी पढ़ना चाहती थी, बीएड करवाया, यूपी टेट और सीटेट भी क्वालीफाई कर ली थी। पता नहीं उसको नौकरी की ऐसी कौन सी भूख थी, जो अपने बच्चों को ही निर्ममता से मार डाला। पत्नी के सहारे बच्चों को छोड़कर सरहद पर रखवाली करने गया था, बस मिलकर पूछना चाहता हूं कि मेरे मासूमों को कैसे काट दिया। ये दर्द उस सैनिक पिता का है, जिसने दो मासूम बच्चों का अपने हाथों से अंतिम संस्कार किया।
घर के एक कोने में बैठकर सिसकते अजीत की हालत देख दूसरों के आंखों में आंसू भर जा रहा था। पिता ने बताया कि बच्चों के शवों को छूते समय मेरे हाथ कांप रहे थे, मैं यकीन नहीं कर पा रहा था जिन बच्चों को दो दिन पहले वीडियो कॉल पर हंसते हुए देखा था, अब उनके शव मेरे सामने रखे हुए हैं। बार-बार अपने बच्चों को याद कर बिलखने लग रहे थे। अपनी बड़ी पुत्री आराध्या उर्फ परी यादव को सीने से चिपकाकर गम के आंसू पीते दिखाई पड़े।
फोन पर अक्सर कहती थी बच्चे पढ़ने नहीं देते
सैनिक अजीत यादव ने बताया पत्नी नीतू अक्सर फोन पर कहती थी कि बच्चे पढ़ने नहीं देते हैं। उसको परेशान करते हैं। तब मैं उसको समझाता था। कहता था, बच्चे हैं वो तो ये सब करेंगे ही। तुम उनके स्कूल के समय पर पढ़ाई कर लिया करो, लेकिन तब मुझे ये नहीं पता था कि परेशान होकर वो इतना बड़ा कदम उठा लेगी। बच्चे तो अपनी मां के पास ही खुश रहते हैं लेकिन मेरी पत्नी ने तो अपने ही हाथों सेजिगर के टुकड़ों को ही मार डाला।
सैनिक अजीत यादव ने बताया पत्नी नीतू अक्सर फोन पर कहती थी कि बच्चे पढ़ने नहीं देते हैं। उसको परेशान करते हैं। तब मैं उसको समझाता था। कहता था, बच्चे हैं वो तो ये सब करेंगे ही। तुम उनके स्कूल के समय पर पढ़ाई कर लिया करो, लेकिन तब मुझे ये नहीं पता था कि परेशान होकर वो इतना बड़ा कदम उठा लेगी। बच्चे तो अपनी मां के पास ही खुश रहते हैं लेकिन मेरी पत्नी ने तो अपने ही हाथों सेजिगर के टुकड़ों को ही मार डाला।