तीस साल के अंतराल में कांग्रेस और सपा रही पालिका की कुर्सी से दूर
इस बीच कई बार प्रशासक के कब्जे रह चुकी पालिका
उरई(जालौन)।वर्ष 1988 से लेकर वर्ष 2022 यानि 30 साल में जिला मुख्यालय की उरई नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद पर तीन बार भाजपा एवं एक बार बसपा के अलावा एक बसपा का विद्रोही एवं एक बार भाजपा के विद्रोही प्रत्याशी ने जीत दर्ज करवा कर पालिकाध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा जमाया। जबकि कांग्रेस और सपा प्रत्याशी चुनाव मैदान से काफी दूर रहे यहीं कारण है तीस साल का समय गुजर जाने के बाद भी सपा व कांग्रेस इस चुनाव में मैदान से बाहर दिखाई दे रही है।
बताते चले कि वर्ष 1988 में नगर पालिका परिषद उरई के अध्यक्ष पद के चुनाव में भाजपा नेता बाबूराम एम. काम. चुनाव लड़े उन्होंने बसपा के अकबर अली को हराकर सीट पर कब्जा जमाया जो दिसम्बर 1994 तक अध्यक्ष रहे।इसके बाद 01 दिसम्बर 1995 तक प्रशासक कार्यकाल रहा।इसके बाद नगर पालिका अध्यक्ष पद का चुनाव दिसंबर 1995 में हुआ जिसमें भाजपा की मीना वर्मा ने जीत हासिल की और 01 दिसंबर 2000 तक पालिकाध्यक्ष के पद पर रही।02 दिसंबर 2000 में नगर पालिका अध्यक्ष पद के चुनाव बसपा के विजय चौधरी ने भाजपा प्रत्याशी को हराकर जीत हासिल की वह 2005 तक नगर पालिका अध्यक्ष रहे। इसके बाद 02 दिसंबर 2005 से 22 जुलाई 2006 तक पालिका प्रशासक के रूप में प्रकाशचंद्र तिवारी रहे। 04 अगस्त 2006 से 07 अगस्त 2006 तक ज्ञानेंद्र सिंह पालिका प्रशासक रहे।इसके बाद 07 अगस्त 2006 से 15 नवम्बर 2006 तक पालिका प्रशासक के रूप में साहब सिंह रहे।इसके उपरांत 16 नवम्बर 2006 में नगर पालिका अध्यक्ष पद चुनाव हुआ जिसमें भाजपा के काशी कोरी विजयी रहे जो 21 नवम्बर 2011 तक पालिकाध्यक्ष रहे। इसके बाद 21 नवम्बर 2011 से 15 जुलाई 2012 तक लोकपाल सिंह पालिका प्रशासक रहे।इसके उपरांत नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद चुनाव वर्ष 16 जुलाई 2012 में हुआ जिसमें पूर्व नगर पालिकाध्यक्ष विजय चौधरी की मां गिरजा चौधरी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ी और उन्होंने भारी मतों से जीत हासिल कर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा जमाया जो 25 जुलाई 2017 तक पालिकाध्यक्ष रही। इसके बाद 12 दिसंबर 2017 में नगर पालिका अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ जिसमें बसपा से रईश खान, भाजपा से दिलीप दुवे रिनियां के अलावा कांग्रेस और सपा प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे इस पालिका अध्यक्ष पद के चुनाव में अनिल बहुगुणा ने भाजपा से विद्रोह कर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा जिसमें भाजपा, सपा, कांग्रेस व बसपा प्रत्याशियों को हार का सामना झेलना पड़ा तथा भाजपा के बागी प्रत्याशी अनिल बहुगुणा ने भारी मतों से जीत दर्ज करायी। पालिका चुनाव में जीत हासिल करने के कुछ समय बाद भाजपा विद्रोही प्रत्याशी अनिल बहुगुणा भाजपा में शामिल हो गये जो 2022 तक पालिका अध्यक्ष रहे। उनके पालिका कार्यकाल के दौरान शहर का विकास न करवाये जाने से शहर की जनता में अब बदलाव की स्थिति देखने को मिल रही है।
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