तहसील प्रभारी- देवी दयाल रावत
मेरे गुरुदेव तो अध्यात्म के लाखों नक्षत्रों में से एक ऐसे देदीप्यमान नक्षत्र हैं-साध्वी ऋतम्भरा
कोंच(जालौन)। जालौन जिले के चाँदनी ग्राम में चल रहे “श्रीमद भागवत कथा महोत्सव” ने एक कीर्तिमान रच दिया है। सूत्रों के अनुसार पूज्या दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा जी के पावन श्रीमुख से प्रवाहित हो रही इस ज्ञानगंगा से पहले कभी ऐसा कोई आयोजन नहीं हुआ, जिसमें इतने श्रद्धालु उमड़े हों। कथा के छठें दिवस पर व्यासपीठ से सम्बोधित करते हुए कथाव्यास पूज्य दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा जी ने कहा कि -“महापुरुषों का दर्शन, उनका सानिध्य और उनके प्रवचनों का श्रवण हमारे सभी तापों का शमन करता है और मेरे गुरुदेव तो अध्यात्म के लाखों नक्षत्रों में से एक ऐसे देदीप्यमान नक्षत्र हैं, जो सारे अध्यात्म जगत को प्रकाशित करते हैं। उन्होंने वेदांत को अपने व्यवहार में, अपने आचरण में उतारा। परम सौभाग्य से कल हम सबको उनका दिव्य दर्शन हुआ। उनका पावन आशीष चाँदनी की कोटि-कोटि जनता को मिला। एक विरक्त संत शिरोमणि थे पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज, जो पूज्य महाराजश्री को देखकर कहते थे कि “मैं चलते-फिरते ब्रह्म का दर्शन कर रहा हूं।”
कथा में प्रवेश करते हुए दीदी माँ जी ने कहा कि -“सौभाग्य का उदय होता है जब हमारी चित्तवृत्ति कृष्ण भावना भावित होकर प्रभु की कथा के लिए समर्पित हो जाए, परमार्थ के लिए समर्पित हो जाए। इसे ईश्वर की कृपा ही मानना चाहिए, जन्मों-जन्मों के भाग्य का उदय ही मानना चाहिए। श्रीमद भागवत में वर्णन आता है कि भाद्रपद की अष्टमी को कंस के कारागार में देवकी मैया की कोख से कन्हैया का जन्म हुआ। प्रभु की लीला देखिये कि कारागार के सारे पहरेदार सो गए और उसके द्वार अपने आप खुल गए। जाने किस प्रेरणा के वशीभूत उस भयंकर वर्षा की रात में वसुदेव जी उस नन्हें बालक को टोकनी में रखकर गोकुल की ओर निकल पड़े। उफनती हुई यमुना जी को पार किया और नन्द बाबा के आँगन में जा पहुँचे।
वसुदेव जी के मन में संकोच हो रहा है कि यशोदा मैया के कक्ष के द्वार पर कुछ शब्द करके भीतर प्रवेश करना चाहिए क्योंकि वह सो रही हैं। ऊपर टोकनी में बैठे कन्हैया ने मानों कहा कि “होंगी वह आपकी भाभी परंतु मेरी तो मां है। मुझे तो प्रत्येक पल अपनी मैया के पास जाने का अधिकार है, बिना किसी रोक-टोक और संकोच के।”
थोड़ा सा स्पर्श करते ही यशोदा मैया के कक्ष का द्वार खुल गया। जगर मगर जलते एक दीप की ज्योति से यशोदा मैया का श्रीमुख ऐसा प्रदीप्त हो रहा है मानों यशोदा मैया नहीं बल्कि वात्सल्य सो रहा हो , प्रेम सो रहा हो, सौमनस्यता सो रही हो, ऐसा वसुदेव जी को अनुभव हुआ। वो यह देखकर आश्चर्यचकित हो गए कि यशोदा मैया के पार्श्व भाग में एक दुग्ध धवल कन्या लेटी है। वो अपने हाथ पैर चलाते हुए किलकारियां भर रही है। किसी अनजान ‘शक्ति से संचालित होकर उन्होंने ना जाने कैसे उस कन्या को अपनी गोद में लिया और कन्हैया को यशोदा मैया के पास लेटा दिया। उस कन्या को टोकरी में रखकर वापस चल पड़े।
उनकी अंतर्मन से एक आवाज उठी कि “अरे वसुदेव! यशोदा की कन्या की चोरी कर रहे हो! तत्क्षण मन से ही उत्तर आया कि “कन्या चोरी नहीं कर रहे बल्कि अपने ह्रदय धन को यशोदा के आश्रय में छोड़कर जा रहे हो।” जब टोकरे में कन्या को लेकर वो वापिस कारागार लौटे तो देवकी ने अधीर होकर पूछा कि -“हे नाथ! मेरे हृदय धन को आप छोड़ आए यशोदा के पास?
तो फिर ये कौन है?” वसुदेव जी ने कहा -“ये यशोदा की कन्या है।” देवकी ने ये सुनते ही लपककर उसे छाती से लगा लिया। वो नन्हीं सी योगमाया अपने बड़े-बड़े नेत्रों से देवकी मैया को देख रही है। आज ईश्वर की जननी की छाती का दूध पीकर मानों वो योगमाया मानव युगों-युगों की तृप्ति पा रही हो।
देवकी मैया रुदन करने लगीं कि “कंस इस कन्या को मार डालेगा। हमारा पुत्र तो बच जायेगा लेकिन इस पुत्री के लिए मैं यशोदा मैया को क्या उत्तर दूंगी?” वसुदेव जी बोले “नहीं देवकी ! कंस की शत्रुता तो हमारे पुत्र से है ना ? तो भला वो इस कन्या का वध क्यों करेगा ?”
श्रीमद भागवत महापुराण के इस कथानक को वर्तमान से जोड़ते हुए पूज्य दीदी माँ जी ने कहा कि -“उस युग में भी वसुदेव जी को विश्वास था कि कंस उस कन्या को नहीं मरेगा लेकिन आज तो हममें से अनेक लोग कन्या को गर्भ में ही मार रहे हैं। क्या हम “कंस प्रवृत्ति” के नहीं हैं। इस विषय पर विचार करते हुए हमें कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए जनजागरण करना चाहिए।
प्रभारी तहसीलदार के खिलाफ बार एसोसिएशन ने किया निंदा प्रस्ताव पारित
तहसीलदार न्यायालय के कार्य का बहिष्कार करेंगे अधिवक्ता आज
26 मई को बैठक करके रणनीति बनाई जाएगी
कोंच(जालौन)। बार एसोसिएशन कोच के अध्यक्ष हरि सिंह निरंजन की अध्यक्षता में एक बैठक संपन्न हुई। जिसमें प्रभारी तहसीलदार आलोक कटियार द्वारा अधिवक्ताओं के साथ दुर्व्यवहार बारसंघ के अध्यक्ष तथा वरिष्ठ अधिवक्ता माता प्रसाद अहिरवार के साथ किए गए दुर्व्यवहार एवं जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करने पर गुस्साए अधिवक्ताओं द्वारा एक निंदा प्रस्ताव पारित किया गया। बैठक में तय किया गया कि 25 मई को तहसीलदार के न्यायालय के कार्यों का अधिवक्ता बहिष्कार करेंगे और 26 मई को एक बैठक करके आगे की रणनीति पर विचार करेंगे। प्रभारी तहसीलदार आलोक कटियार द्वारा अहंकार की भाषा अडियल रवैया को लेकर अधिवक्ता गुस्से में हैं। तहसीलदार द्वारा आयोजित अधिवक्ताओं से अव्यावहारिक अभद्र व्यवहार किया जा रहा है। अधिवक्ताओं द्वारा समझाने के बावजूद भी उनकी आदतै नहीं सुधर रही है। अधिवक्ताऔ ने आज इसको लेकर एक बैठक की और उनके विरुद्ध निंदा प्रस्ताव पारित कर दिया तथा 25 मई को उनके न्यायालय के बहिष्कार की भी घोषणा कर दी एवं आगे की न्याय पूर्ण लड़ाई लड़ने के लिए 26 मई को अधिवक्ताओं की बैठक भी बुलाई गई है। इस आशय की सूचना बार एसोसिएशन के अध्यक्ष हरीसिंह निरंजन एवं सचिव नरेंद्र पुरोहित ने दी। निंदा प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वालों में कुमार शर्मा पुरुषोत्तम रिछारिया नवल किशोर जाटव विमलेश कुमार जाटव जितेंद्र सिंह परिहार मनोज कुमार दूरबार ओपी अग्रवाल जितेंद्र कुमार जीतू यादव पूर्व बार संघ अध्यक्ष संजीव तिवारी अफजाल अहमद अशोक कुमार पुष्कर राज सहित दर्जनों अधिवक्ताओं के हस्ताक्षर हैं।
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