बेरीवाले बाबा 83वां उर्स का आगाज
रात भर चला फातिहा ख्वानी का सिलसिल
उरई, (जालौन) 2 जून। शहर के स्टेशन रोड स्थित हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल सूफी हजरत गॉजी मंसूर अली शाह उर्फ बेरी वाले बाबा का उर्स मुबारक का आगाज हुआ। दो रोजा उर्स में पहले दिन फनकारों ने अपने सूफीयानी कलामों से श्रोताओ को मंत्रमुग्ध कर दिया जिसमें वह झूमने को मजबूर हो गये। दरगाह शरीफ पर रात भर अकीदतमंदो की भीड़ लगी रही और उन्होने फातिहा ख्वानी कर अपनी अकीदत का नजराना पेश किया।
बेरी वाले बाबा का 83वां उर्स बड़े शान शौकत के साथ शुरु हुआ जिसमें दोरोजा कव्वाली मुकाबला हुआ। इसमें पहले दिन 1 जून को देश के प्रसिद्ध फनकार युसुफ शोळा मुम्बई व वसीम सावरी मुम्बई के बीच कड़ा मुकाबला हुआ। कार्यक्रम की सुरुआत कलामे रव्वानी से मौलाना इमरान फैजी ने की। फनकारो ने अपने कलामों में सूफीयानी अंदाज को रखा जिसमें पहले कव्वाली की शुरुआत वसीम साबरी ने हम्द पढ़कर की। इसमे उन्होने अल्लाह की शान को बजाकर कहा- तुझे वास्ता नन्हे अजगर का मौला- तू रहमत की चादर सदका अता कर जिसको सुनकर लोग झूमने को मजबूर हो गये। इसके बाद नात में कहा- मेरी सोई तकदीर रब तू जगा दे, बस एक बार मुझो मदीना दिखा दे। जवाबी मुकाबले में युसुफ शोला में अपने फन का जोरदार मुजाहरा किया जिसमें श्रोता को कॉच बजाकर अपनी ओर उनका जोश खींच लिया। इसके बाद उन्होने हम्द से अपनी कव्वाली की शुरुआत की जिसमें कहा हमको भी अपने दीन की पहचान बना दे, अल्लाह हमको सच्चा मुसलमान बना दे। इसके बाद लोगों की फरमाइश पर मनकबत ख्वाजा की शान में पढ़ी। जिसमें कहा- मेरे ख्वाजा यही कहीं… जिसको सुनकर श्रोता जोश में आ गये और बार-बार कलाम पेश करने के लिए पेश करते रहे।
जायरीनों के लिए जगह जगह लंगर का आयोजन किया जिसमें लोगों ने जमकर लंगर का छका। दरगाह शरीफ रात भर फातिहा ख्वानी का सिलसिला चलता रहा। कार्यक्रम का संचालन पप्पू थापा ने किया। चीफ कंट्रोलर हाफिज जब्बार व उर्स कमेटी के अध्यक्ष अनुभव चतुर्वेदी ने मेहमानो का साफा बांधकर स्वागत किया। इस दौरान गुलशेर सेठ, अहमद दरोगाजी, भिक्के खां, रईस खान, छोटू शाह, अकील अहमद पत्रकार, फजील अहमद, रिजवान खान, हामिज खां, सलामत, जुबैर खां, फिरोज कैसेट सहित तमाम लोगं की मौजूदगी रही।