जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने नई पार्टी का एलान कर दिया है। उनकी पार्टी का नाम ‘डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी’ है। जम्मू में प्रेसवार्ता कर उन्होंने नाम की घोषणा की। आजाद ने पिछले महीने कांग्रेस से अपना पांच दशक से अधिक पुराना नाता तोड़ दिया था। वे तीन दिवसीय दौरे पर रविवार को जम्मू आए हैं।
गुलाम नबी आजाद ने अपनी नई ‘डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी’ के झंडे का भी अनावरण किया। झंडा तीन रंग से बना है, जिसमें नीला, सफेद और पीला रंग शामिल है। झंडे को लेकर आजाद ने कहा, ‘सरसों के जैसे पीला रंग रचनात्मकता और विविधता में एकता को इंगित करता है। सफेद रंग शांति को इंगित करता है और नीला रंग स्वतंत्रता, ओपन स्पेस, कल्पना और समुद्र की गहराई से आकाश की ऊंचाइयों तक की सीमाओं को इंगित करता है।’
नाम की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा, ‘आजाद का अर्थ मेरे नाम से नहीं है। इसका अर्थ है कि हमारी अपनी सोच होगी और किसी से प्रभावित नहीं होगी और ये पार्टी आजाद रहेगी। पार्टी आउटोक्रेटिक नहीं, बल्कि डेमोक्रेटिक होगी।’
साथ ही उन्होंने कहा, ‘मेरी पार्टी में आने वाले लोग ऐसे होंगे जो दूसरों के लिए प्रेरणा बन सकें। राजनीति में सेवा के भाव से आने वालों लोग होंगे, पैसे बनाने के लिए आने वाले नहीं। हमने गांधी जी को सामने से नहीं देखा, उनकी तस्वीरें ही देखी हैं, लेकिन उनका काम हमें प्रेरित करता है। हमारी पार्टी में हमारी कोशिश रहेगी कि कम से कम 50 फीसदी टिकटें नौजवानों और महिलाओं को दी जाएं। उम्र की कोई सीमा नहीं रखी जाएगी। हमारी पहली प्राथमिकता है पार्टी को रजिस्टर करना, लेकिन साथ-साथ हम अपनी गतिविधियां जारी रखेंगे। क्योंकि, चुनाव कभी भी हो सकते हैं।’
मार्च 2022 में गुलाम नबी आजाद को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से पद्मभूषण मिला। 1973 में गुलाम नबी आजाद ने डोडा जिले के भलेसा ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के सचिव के रूप में राजनीति की शुरुआत की थी। इसके बाद उनकी सक्रियता और शैली को देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें युवा कांग्रेस का अध्यक्ष चुना।
उन्होंने महाराष्ट्र से 1980 में पहला संसदीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 1982 में उन्हें केंद्रीय मंत्री के रूप में कैबिनेट में शामिल किया गया। डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली दूसरी यूपीए सरकार में आजाद ने देश के स्वास्थ्य मंत्री का पदभार संभाला था।
इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन का विस्तार किया। साथ ही झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले शहरी गरीबों की सेवा के लिए एक राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन भी शुरू किया। आजाद ने कई महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाले हैं। नरसिंह राव की सरकार में संसदीय कार्य और नागरिक उड्डयन मंत्री भी रहे।
2005 में बने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री
गुलाम नबी आजाद के राजनीतिक जीवन में 2005 में वह स्वर्णिम समय भी आया जब उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री जम्मू-कश्मीर की सेवा की। आजाद के जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में 21 सीटों पर जीत का परचम लहराया था। इसके परिणाम स्वरूप कांग्रेस प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनकर उभरी थी। 2008 में अमरनाथ भूमि आंदोलन के चलते उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
सियासी सफर
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2008: भद्रवाह से जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। दया कृष्ण को 29936 मतों के अंतर से हराया
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2009: चौथे कार्यकाल के लिए राज्यसभा के लिए चुने गए और बाद में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री के रूप में नियुक्ति मिली
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2014: राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे
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2015: पांचवीं बार राज्यसभा के लिए फिर से चुने गए
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1980: गुलाम नबी आजाद जम्मू-कश्मीर राज्य की यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए
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1982: गुलाम नबी आजाद विधि मंत्रालय में उप मंत्री के पद पर चुने गए
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1984: आठवीं लोकसभा के लिए भी चुने गए
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1985-89: केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय में उप मंत्री रहे
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1990-1996: आजाद राज्यसभा के सदस्य रहे