कालपी। ईद-उल-अजहा 29 जून को होगी, अल्लाह की राह में कुरबानी करे खानकाह मस्जिद में 7-30 बजे नमाज़ अदा की जाएगी। दारुल उलूम गौसिया मजीदिया के नाज़िमें आला (प्रबन्धक) अल्हाज हाफिज इरशाद अशरफी ने बताया की इस्लामी साल का ये आखरी महीना है। जिसे बकरीद के नाम से जाना जाता है, इस माहे मुबारक की बहुत ही शान है। इसका चांद नजर आते ही हर दिल में उस अजीमुश्शान कुरबानी की याद ताजा हो जाती है कि जिसकी मिसाल कोई पेश नही कर सकता है। इसमें जो कुरबानी की जाती है ये हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की प्यारी सुन्नत है, उन्ही की सुन्नत को अदा करने के लिए मुसलमान अपने जानवरों की कुर्बानियां पेश करता है। उन्होंने बताया कि लोगो को अगर कुरबानी के मसाइल की जानकारी न हो तो उसे अपने उलमा-ए-किराम से पूछना चाहिए क्योंकि अक्सर ये देखा जाता है कि जो लोग साहिबे निसाब होते हैं वो कुरबानी नही करते है,और कुछ लोग होते हुए भी दूसरों के नाम पर कुरबानी करते है जो शक्स साहिबे निसाब हो उसको अपने ऊपर कुरबानी वाजिब होती है, अब अगर किसी दूसरे के नाम से कुरबानी करना चाहता है तो फिर वो दो कुरबानी करेगा क्योंकि उसे तो अपने नाम से हर साल करनी ही होगी जबतक वो इसके निसाब तक रहेगा और जो जानवर कुरबानी के लिए लाएं वो अच्छे खूबसूरत होना चाहिए उन्होंने लोगो से अपील की है कि जहां भी कुर्बानी की जाएं उस जगह को खुला न होना चाहिए। किसी शामयाने से उस जगह को पर्दा कर लें, और जानवरों के निकले हुए मलवे को नालियों में या रोड पर न डाले जिन जगहों पर मलवा डालने का इंतिज़ाम नगर पालिका की तरफ से किया गया हो उसी जगहों पर डाले। साफ-सफाई का ख्याल रखें।