साहित्यसभा उर्दू की ज़िला कार्यकरणी की गयी घोषणा
उरई(जालौन)। राजेन्द्र नगर स्थित सिटी लाइफ स्कूल में साहित्यसभा की वरिष्ठ साहित्यकार यगदत्त त्रि पाठी जी की अध्यक्षता जिला प्रोवेशन अधिकारी डॉक्टर अमरेंद्र सिंह जी के मुख्य आतिथ्य में एक काव्यगोष्ठी का आयोजन हुआ सभा के ज़िला अध्यक्ष अनुज भदौरिया की सरस्वती वंदना और अब्दुल सलाम राही की नातेपाक के साथ हिंदी उर्दू का मिलाजुला प्रोग्राम शुरू हुआ फिर ज़िला संयोजक शफीकुर्रहमान कशफ़ी ने उर्दू सभा की जिला कार्यकरणी की घोषणा की वहाँ मौजूद सभी वरिष्ठ कवियों और शायरों ने सभी पदाधिकारियों का माल्यार्पण कर नियुक्ति पत्र सौंपे फिर शुरू हुआ गीत गज़लों मुक्तकों की शाब्दिक बौछार वरिष्ठ कवियत्री इंदु विवेक ने पढ़ा,अथक प्रयास शत प्रतिशत मगर क्यों शून्य ही मिलता,अपरिचित मन धरातल पर क्यूं परिमित प्रेम ही मिलता, इसके बाद प्रेमनरायन दीक्षित ने पढ़ा,कैसी ये राम राम ये कैसी सलाम है,पहचान नहीं पा रहे कुछ जाने माने लोग,किरपाराम कृपालु ने पढ़ा,नदी का जल स्तर एकाएक घट गया है,लगता है उसके तट पर कोई मंत्री डट गया है,,सलाम राही ने पढ़ा,वक़्त ए रुखसत उसने मुझको ले लिया आगोश में,आज पहली बार मुझको ज़िन्दगी अच्छी लगी,जावेद कसीम ने पढ़ा,एक पल तोड़ने को काफी है,जोड़ने में ज़माने लगते हैं,दिव्यांशु दिव्य ने पढ़ा,दिल में ही तमन्ना जो होने की सफल दिव्य,आंखें बंद हो फिर भी उजाला दिख ही जाता है,फ़राज़ खान ने पढ़ा,तुम सदा रहते हो दुआओं में,कौन कहता है तुम करीब नहीं,मुख्य अतिथि अमरेंद्र जी ने सुनाया,इसकी ताकत का अंदाज़ा नहीं है दुनियाँ को,इसका मारा हुआ उफ भी कर नहीं सकता,नईम ज़िया ने पढ़ा, मान भी जाइये ख़ुदा के लिए,हम है तैयार हर सज़ा के लिए, उर्दू सभा के अध्यक्ष फ़रीद बशर ने पढ़ा,मैं तो बिक जाता हूँ लोगो प्यार के दो बोल में,आओ दिल वालो खरीदो किस कदर सस्ता हूँ मैं, संचालन कर रहे साहित्यसभा के अध्यक्ष अनुज भदौरिया ने पढ़ा,इश्क़ और तुम कहो फिर से, फिर गए हो जनाब तुम फिर से, सिद्धार्थ त्रि पाठी ने पढ़ा,नेह से न हमें तुम निहारो सजन, दिल हमारा कहीं तुम में खो जाए न, पहचान के अध्यक्ष सभा के संयोजक कशफ़ी ने पढ़ा,इस दौर के क़ाबिल से इक बात पूछनी है,बाक़ी भी कुछ बची है औक़ात पूछनी है,सुरेश चंद्र त्रिपाठी ने पढ़ा,किशालय कपोल अरुणाम पवन ने चूम लिए चलते चलते,शरमाये कम्पित गात लता के चहुँ पटल ढलते ढलते,अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ्य साहित्यकार यगदत्त त्रिपाठी ने पढ़ा,बड़ा स्वयं को अपने मुख से बड़ा नहीं कहता है,बड़ा वही होता है जो छोटा बनकर रहता है,प्रोग्राम में कवियत्री विमला तिवारी, परवेज़ अख्तर अभिषेक सरल, अतीक खान, आज़म बद्र, इंतखाब, दानिश, मु. हसनैन, अनूप याज्ञिक आदि लोगों ने भी काव्यपाठ किया। अंत में संयोजक साहित्यसभा कशफ़ी स्कूल प्रबंधक तांचल जी ने आए हुए सभी का आभार व्यक्त किया और उर्दू सभा के सभी पदाधिकारियों को मुबारकबाद दी।
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