तहसील प्रभारी – देवी दयाल रावत
वन मिनट में दिव्या फैशन शो में एंजल ने मारी बाजी
चांदी की शील्ड से पुरुस्कृत होकर खुश हुए विजेता प्रतिभागी
कोंच(जालौन) महाराजा अग्रसेन की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित अग्रसेन जयंती महोत्सव में देर रात तक आयोजित समारोह में प्रतिभागियों को सम्मान का सिलसिला जारी रहा। रंग भरो प्रतियोगिता में प्रथम स्थान सागर पुत्र अर्जुन अग्रवाल, द्वितीय स्थान माही पुत्री विनय अग्रवाल तृतीय स्थान रुद्रांश पुत्र दीपक अग्रवाल ने प्राप्त किया स्थान प्राप्त प्रतिभागियों को क्रमशः प्रतियोगिता समिति के अध्यक्ष नवीन अग्रवाल, महामंत्री पारसमणि अग्रवाल, कोषाध्यक्ष हिंमाशु अग्रवाल ने सम्मानित किया। वही कुर्सी दौड़ प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर आई इशिता पुत्री सन्तोष को प्रतियोगिता प्रभारी प्रशांत अग्रवाल ने, द्वितीय स्थान प्राप्त अंश पुत्र निखिल अग्रवाल को नैंसी अग्रवाल, तृतीय स्थान प्राप्त हिमांशु पुत्र सुनील को जान्हवी अग्रवाल ने चांदी की शील्ड देकर सम्मानित किया।
वहीं वन मिनट शो प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त दिव्या पुत्री हरिमोहन अग्रवाल को मोनिका अग्रवाल ने, द्वितीय स्थान प्राप्त श्रीमती रचना पत्नी संजय को सिया अग्रवाल ने एवं तृतीय स्थान प्राप्त प्रिंसी पुत्री ओमप्रकाश को माही अग्रवाल ने स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। वही फैशन शो प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त एंजल पुत्री प्रशांत का सम्मान सृष्टि ने, द्वितीय स्थान प्राप्त वंशिका पुत्री अतुल का सम्मान तान्या अग्रवाल ने, तृतीय स्थान पर द्वय प्रतिभागियों ने बाजी मारी आरुष पुत्र रीतेश, मानसी पुत्री योगेश का संयुक्त रूप से सम्मान प्रतियोगिता आयोजन कमेटी ने किया। इसके अलावा अन्य प्रतिभागियों को सांत्वना पुरस्कार भी प्रदान किये गए। अग्रवाल भवन में अग्रसेन जयंती पर आयोजित समारोह में देर रात तक मंचीय कार्यक्रम हुए। इस अवसर पर श्री बीसा अग्रवाल समिति के अध्यक्ष राजाराम अग्रवाल, अशोक बादशाह, प्रभंजन गर्ग, प्रवीण सिंघल, अरविंद प्रेस वाले, संजीव गर्ग, बल्लन अग्रवाल, महेश अग्रवाल, शैलेंद्र अग्रवाल शीलू सहित सैकड़ों अग्रबन्धु उपस्थित रहे। सहित सैकड़ों अग्रबन्धु उपस्थित.
27 सितंबर, हिंदू हृदय सम्राट श्रधेय अशोक सिंघल जी जयंती
कोंच नगर मे विजय श्री लंकेश्वर मंदिर विश्व हिंदू परिषद कार्यालय पर पूज्य अशोक सिंघल जी की श्रद्धांजलि दी गई विश्व हिंदू परिषद नगर अध्यक्ष शिशर प्रताप सिंह विश्व हिंदू परिषद जिला उपाध्यक्ष साकेत जी शांडिल्य बजरंग दल जिला सह संयोजक आकाश उदैनिया ने बताया हे ‘जो हिंदू हित की बात करेगा, वही देश पर राज करेगा” का नारा देने और हिंदुत्व के प्रतीक श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन को संपूर्ण विश्व मे पहुचने वाले श्रधेय अशोक सिंघल जी की जयंती पर कोटि कोटि नमन।
राम जन्मभूमि आन्दोलन के ध्वजवाहक महात्मा अशोक सिंहल जी
श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन के दौरान जिनकी हुंकार से रामभक्तों के हृदय हर्षित हो जाते थे, वे श्री अशोक सिंहल संन्यासी भी थे और योद्धा भी; पर वे स्वयं को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक प्रचारक ही मानते थे।
उनका जन्म आश्विन कृष्ण पंचमी (27 सितम्बर, 1926) को आगरा (उ.प्र.) में हुआ। सात भाई और एक बहिन में वे चौथे स्थान पर थे। मूलतः यह परिवार ग्राम बिजौली (जिला अलीगढ़, उ.प्र.) का निवासी था। उनके पिता श्री महावीर जी शासकीय सेवा में उच्च पद पर थे।
घर में संन्यासी तथा विद्वानों के आने के कारण बचपन से ही उनमें हिन्दू धर्म के प्रति प्रेम जाग्रत हो गया। 1942 में प्रयाग में पढ़ते समय प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) ने उन्हें स्वयंसेवक बनाया। उन्होंने अशोकजी की मां विद्यावतीजी को संघ की प्रार्थना सुनायी। इससे प्रभावित होकर उन्होंने अशोकजी को शाखा जाने की अनुमति दे दी।
1947 में देश विभाजन के समय कांग्रेसी नेता सत्ता पाने की खुशी मना रहे थे; पर देशभक्तों के मन इस पीड़ा से सुलग रहे थे कि ऐसे सत्तालोलुप नेताओं के हाथ में देश का भविष्य क्या होगा ? अशोकजी भी उन्हीं में से एक थे। इस माहौल को बदलने हेतु उन्होंने अपना जीवन संघ को समर्पित कर दिया।
बचपन से ही उनकी रुचि शास्त्रीय गायन में रही। संघ के सैकड़ों गीतों की लय उन्होंने बनायी। उन्होंने काशी हिन्दू वि.वि. से धातुविज्ञान में अभियन्ता की उपाधि ली थी। 1948 में संघ पर प्रतिबन्ध लगा, तो वे सत्याग्रह कर जेल गये। वहां से आकर उन्होंने अंतिम परीक्षा दी और 1950 में प्रचारक बन गये।
प्रचारक के नाते वे गोरखपुर, प्रयाग, सहारनपुर और फिर मुख्यतः कानपुर रहे। सरसंघचालक श्री गुरुजी से उनकी बहुत घनिष्ठता थी। कानपुर में उनका सम्पर्क वेदों के प्रकांड विद्वान श्री रामचन्द्र तिवारी से हुआ। अशोकजी अपने जीवन में इन दोनों का विशेष प्रभाव मानते थे। 1975 के आपातकाल के दौरान वे इंदिरा गांधी की तानाशाही के विरुद्ध हुए संघर्ष में लोगों को जुटाते रहे। 1977 में वे दिल्ली प्रांत (वर्तमान दिल्ली व हरियाणा) के प्रान्त प्रचारक बने।
1981 में डॉ. कर्णसिंह के नेतृत्व में दिल्ली में ‘विराट हिन्दू सम्मेलन’ हुआ; पर उसके पीछे शक्ति अशोकजी और संघ की थी। उसके बाद उन्हें ‘विश्व हिन्दू परिषद’ की जिम्मेदारी दे दी गयी। एकात्मता रथ यात्रा, संस्कृति रक्षा निधि, रामजानकी रथयात्रा, रामशिला पूजन, रामज्योति आदि कार्यक्रमों से परिषद का नाम सर्वत्र फैल गया।
अब परिषद के काम में बजरंग दल, परावर्तन, गाय, गंगा, सेवा, संस्कृत, एकल विद्यालय आदि कई नये आयाम जोड़े गये। श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन ने तो देश की सामाजिक और राजनीतिक दिशा ही बदल दी। वे परिषद के 1982 से 86 तक संयुक्त महामंत्री, 1995 तक महामंत्री, 2005 तक कार्याध्यक्ष, 2011 तक अध्यक्ष और फिर संरक्षक रहे।
सन्तों को संगठित करना बहुत कठिन है; पर अशोकजी की विनम्रता से सभी पंथों के लाखों संत इस आंदोलन से जुड़े। इस दौरान कई बार उनके अयोध्या पहुंचने पर प्रतिबंध लगाये गये; पर वे हर बार प्रशासन को चकमा देकर वहां पहुंच जाते थे। उनकी संगठन और नेतृत्व क्षमता का ही परिणाम था कि युवकों ने छह दिसम्बर, 1992 को राष्ट्रीय कलंक के प्रतीक बाबरी ढांचे को गिरा दिया। कार्य विस्तार के लिए वे सभी प्रमुख देशों में गये। अगस्त-सितम्बर, 2015 में भी वे इंग्लैंड, हालैंड और अमरीका के दौरे पर गये थे।
अशोक जी काफी समय से फेफड़ों के संक्रमण से पीड़ित थे। इसी के चलते 17 नवम्बर, 2015 को उनका निधन हुआ। वे प्रतिदिन परिषद कार्यालय में लगने वाली शाखा में आते थे। अंतिम दिनों में भी उनकी स्मृति बहुत अच्छी थी। वे आशावादी दृष्टिकोण से सदा काम को आगे बढ़ाने की बात करते रहते थे। उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी, जब अयोध्या में विश्व भर के हिन्दुओं की आकांक्षा के अनुरूप श्री रामजन्मभूमि मंदिर का निर्माण हो राम जी का भव्य मन्दिर बन गया कार्यक्रम में उपस्थित सुमित कुशवाहा सतसंग प्रमुख रामदास सेठ बजरंग दल नगर सह संयोजक कृष पाठक नगर गो रक्षा प्रमुख अमित प्रजापति रामनारायण कुशवाहा मानसिंह परिहर कामताप्रसाद जी रमेश दुवे शीलू राठौर आदि विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता गण उपस्थित रहे.
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