उरई(जालौन)। उ. प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदत्त एक्शन प्लान के अन्तर्गत जनपद न्यायाधीश लल्लू सिंह के कुशल दिशा-निर्देशन में तहसील उरई के अन्तर्गत ग्राम पंचायत भवन पचोखरा में महिलाओं के स्वास्थ्य एवं स्वच्छता (सेनेटरी नैपकिन) के प्रति जागरूकता/महिलाओं एवं विधवा महिलाओं के सुरक्षा एवं कानूनी अधिकार विषय पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव रेनू यादव की अध्यक्षता में किया गया। इस शिविर में मुख्य अतिथि अपर कुटुम्ब न्यायाधीश अमृता शुक्ला द्वारा परिवार न्यायालय से सम्बन्धित कानूनों की जानकारी दी गई। यदि बच्चे का भरण-पोषण उसके परिवार के सामाजिक स्तर के अनुरूप नहीं हो रहा है, तो वह न्यायालय के माध्यम से भरण-पोषण प्राप्त कर सकता है। इनके अतिरिक्त महिलायें धारा-125 सी.आर.पी.सी., हिन्दू विवाह अधिनियम एवं घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत गुजारे भत्ते की मांग कर सकती हैं। शिविर में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव रेनू यादव द्वारा ने बताया कि वैवाहिक/दाम्पत्य विवादों को प्रारम्भिक स्तर पर ही निपटाये जाने के लिये आवेदन पत्रों को अंगीकृत करने का सरल तरीका जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्री-लिटिगेशन के माध्यम से अपनाया जा रहा है। उन्होंने महिलाओं को हिरासत में प्राप्त अधिकारों को भी बताया। इसके अतिरिक्त लोक अदालतों, सुलह-समझौता केन्द्र, लीगल एड डिफेन्स सिस्टम एवं स्थायी लोकदालत के लाभ बताये गये और राष्ट्रीय/राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की विभिन्न योजनाओं/ परियोजनाओं की जानकारी देते हुये प्राधिकरण की संरचना, इसके उद्देश्य व कार्यों के विषय में उपस्थित ग्राम वासियों को बताया गया। संविधान में महिलाओं को प्राप्त कानूनी एवं स्वास्थ्य के अधिकारों एवं सर्वाइकल कैंसर के बारे में भी विस्तार से बताया गया। उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दो प्रस्तावों को अपनाया, एक 2010 में और दूसरा 2015 में, जिसने स्वच्छता और स्वच्छ पानी के मानवाधिकारों को मान्यता दी। 2015 के प्रस्ताव में विशेष रूप से स्वच्छता पर जोर दिया गया और राज्यों से स्वच्छता प्रबंधन और प्रथाओं से संबंधित निर्णय लेने में महिलाओं की आनुपातिक भागीदारी सुनिश्चित करने का आह्वान किया गया। भारत में महिलाओं और विशेष रूप से स्कूली छात्राओं को मौजूदा महामारी के दौरान अपने स्वच्छता स्वास्थ्य को बनाए रखने के कठिन काम का सामना करना पड़ रहा है। 2018 में भारत सरकार ने अपनी ‘ उज्ज्वला सेनेटरी नैपकिन ‘ पहल शुरू की, भारत में मासिक धर्म स्वच्छता शिक्षा पर चर्चा करना वर्जित माना जाता है, इस पर पहल कर खुले मस्तिष्क से चर्चा किये जाने पर बल देने की बात कही। इस शिविर में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा सहभागिता करने पर यह ज्ञात हुआ कि तहसीलदार कुमार भूपेन्द्र सिंह सचिव, तहसील विधिक सेवा समिति उरई समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी अथवा उनके प्रतिनिधिगण अनुपस्थित थे। इस सम्बन्ध में कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जालौन द्वारा दिये गये। बाल विकास परियोजना अधिकारी देवेन्द्र कुमारी द्वारा विभागीय योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया। इस अवसर पर ग्राम प्रधान रमेश चन्द्र, वरिष्ठ लिपिक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मुहम्मद बख्तयार, लेखपाल देवेन्द्र सिंह, पंचायत मित्र विनोद कुमार, पंचायत सहायक सिद्धान्त कुमार पीएलवी धर्मेन्द्र कुमार, महेश सिंह परिहार, देवेन्द्र सिंह आजाद, महेन्द्र कुमार मिश्रा, योगेन्द्र सिंह तखेले, रामदेव चतुर्वेदी समेत दर्जनांे ग्रामीण उपस्थित रहे।
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