उरई(जालौन)। उत्तर प्रदेश साहित्यसभा जनपद जालौन इकाई द्वारा तुलसी जयंती पर एक काव्यगोष्ठी मुशायरा रामनगर अजनारी रोड स्थित सभा के अध्यक्ष अनुज भदौरिया के आवास पर वरिष्ठ्य साहित्यकार यज्ञ दत्त त्रिपाठी की अध्यक्षता ज़िला प्रोवेशन अधिकारी अमरेंद्र जी के मुख्य आतिथ्य में हुई गोष्ठी की शरुआत प्रिया श्रीवास्तव दिव्यम की सरस्वती वंदना और अख्तर जलील की नातेपाक से हुई सभा के जिला संयोजक शफीकुर्रहमान कशफ़ी और सभी कलमकारों ने वरिष्ठ्य गीतकार विनोद गौतम जी को स्मृति चिन्ह और शॉल उढ़ा कर सम्मानित किया गोष्ठी के दौरान ही चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग पर काव्यपाठ रोक कर देश के लिए गौरवमयी पल पर तालियाँ बजा कर खुशी का इजहार किया बधाई दी फिर शुरू हुआ गीत गज़लों का दौर काव्यपाठ की शुरुआत ब्रह्मप्रकाश ने पढ़ा,मिटे सकल संताप आपका करते वंदन,दें आशीष बनें जीवन उपवन,सिध्दार्थ त्रिपाठी ने पढ़ा,कोख में सब मोड़ी मारें बहुएं किन्हें बनाहें, बिना मोड़ीयन के हम कैसे बन्ना बिन्नी गाहें, शिरोमणि सोनी ने पढ़ा,हे शिवाय शंकराय तू महेश्वराय,तू अनादि तू अनन्त कामेश्वराय,किरपाराम किरपालु ने पढ़ा,मुल्क में झूठ की फ्री सेल हो गई है,सच्चाई रो रही है उसे जेल हो गई है,प्रिया श्रीवास्तव दिव्यम ने पढ़ा,सोए अरमानों को मत जगाया करो,देख कर मुझको मत मुस्कुराया करो,शायर मुक़री साहब ने पढ़ा, सुप्रीमकोर्ट बधाई तेरा निर्णय कितना सुंदर,मोड़ी मोड़ी मोड़ा मोड़ा अरे बाप रे बाप कवियत्री शिखा गर्ग ने पढ़ा,चंदा के घर को चला चंद्रयान मुस्काय,विक्रम सारे विश्व को अपना शीश नवाय, शायर अख्तर जलील ने पढ़ा,जिन चिरागों ने बुजुर्गों की बात मानी है,उन चिरागों पे हवाओ की मेहरबानी है,संचालन कर रहे अनुज भदौरिया ने पढ़ा,मेरे आंगन में तुलसी मेरे मन में तुलसी,जो अक्षुण रखे है अब तक मर्यादा रघुकुल की,
संयोजक कशफ़ी ने पढ़ा कहने को आजतक कवि शायर हुए बहुत,दूजा न कोई तुलसी न कोई मीर हुआ है, डॉक्टर अमरेंद्र जी ने पढ़ा,जिनके आंगन में बेटियाँ होंगीं,तीर्थ से कम नहीं वो घर होगा,वरिष्ठ्य शायर अब्बासी साक़ी साहब ने पढ़ा,जिनपे लुटा चुका था मैं दुनियाँ की दौलतें,उन वारिसों ने मुझको कफ़न नाप कर दिया,वरिष्ठ्य सम्मानित गीतकार विनोद गौतम जी ने पढ़ा,चरित बस राम का गाकर अमृत बरसा गए तुलसी,अध्यक्षता कर रहे ज़िले के वरिष्ठ्य साहित्यकार यज्ञदत्त जी ने अपने उदबोधन के बाद पढा,कर्म जीवन है तथा आलस्य निष्क्रियता मरण है दोष तो कुछ भी नहीं है बस बदलता आवरण है इसके अलावा अन्य लोगों ने भी अपनी रचनाएं पढ़ीं अंत में संयोजक कशफ़ी अध्यक्ष अनुज भदौरिया ने सभी का आभार व्यक्त किया।
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