उरई(जालौन)।उप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदत्त एक्शन प्लान के अन्तर्गत जनपद न्यायाधीश लल्लू सिंह के कुशल दिशा-निर्देशन में तहसील उरई के अन्तर्गत ग्राम चिल्ली में मुख्यमंत्री बाल कल्याण योजना/ बच्चों के अधिकार एवं लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधि.-2012 /बच्चों को दूरदर्शन एवं इन्टरनेट के दुष्परिणामों विषय पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव रेनू यादव की अध्यक्षता में किया गया।
इस शिविर की अध्यक्षता करते हुये जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव रेनू यादव ने बताया कि प्रत्येक बच्चे को जीवन, उत्तर जीवन एवं विकास का जन्मजात अधिकार है, इसके अन्तर्गत बच्चों की सुरक्षा, उनके स्वास्थ्य एवं उनकी शिक्षा का अधिकार सम्मिलित है जिनका उद्देश्य बच्चे के व्यक्तित्व, योग्यता व मानसिक एवं शारीरिक क्षमताओं का सम्पूर्ण विकास है तथा सामाजिक सुरक्षा से पूर्ण लाभ प्राप्त करने का अधिकार सम्मिलित है। बच्चों का सर्वांगीण विकास होना अत्यावश्यक है।
उन्होंने किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 का मुख्य उद्देश्य विधि से संघर्षरत बच्चों तथा देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की बाल मैत्री प्रक्रिया के तहत उनके सर्वोतम हित को ध्यान में रखते हुए उनकी समुचित देखरेख, पुनर्वास, संरक्षण, उपचार एवं विकास सुनिश्चित करना हैं । उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना बाल देख-रेख संस्थाओं में द्वारा 18 वर्ष से कम आयु वाले के बच्चों की देखभाल हेतु 4000 रुपए प्रतिमाह दिया जाता है। बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिये भारतीय संविधान में मूल अधिकारों के अन्तर्गत बच्चों को कई संवैधानिक अधिकार दिये गये हैं। इनमें जीवन जीने का अधिकार, समानता का अधिकार, निःशुल्क स्वास्थ्य एवं चिकित्सा का अधिकार, शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक व सामाजिक अधिकार, रोटी, कपड़ा और मकान का अधिकार तथा खेलकूद के साथ-साथ शिक्षा का अधिकार दिया गया है। सचिव रेनू यादव ने बताया कि शिक्षा का अधिकार अनुच्छेद 21 अन्तर्गत एक मौलिक अधिकार है। इसमें 06 वर्ष से 14 वर्ष आयु तक के बच्चों के लिये शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया गया है। इसमें इस आयु वर्ग के सभी बच्चों के लिये निःशुल्क प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य किया गया है। इसमें यह भी व्यवस्था की गयी है कि गैर अल्पसंख्यक, निजी स्कूल और गैर सहायता प्राप्त स्कूल आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित पृष्ठभूमि के बच्चों के प्रवेश के लिये 25 फीसदी सीटें आरक्षित रखेंगे, जो बच्चे किन्हीं कारणों से स्कूल नही जा पा रहे हैं, ऐसे बच्चों को विशेष शिक्षा दिये जाने की व्यवस्था शासन- प्रशासन द्वारा की जायेगी। इसके साथ-साथ बच्चों को स्वास्थ्यवर्धक भोजन, शुद्ध पेयजल, निःशुल्क कापी-किताबें, यूनीफार्म और शिक्षा सम्बन्धी अन्य सुविधायें भी मुहैया कराया जाना अनिवार्य है।इसके अतिरिक्त उन्होंने लोक अदालतों, सुलह-समझौता केन्द्र, लीगल एड डिफेन्स सिस्टम एवं स्थायी लोकदालत के लाभ बताये गये और विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा दी जाने वाली विभिन्न कानूनी सुविधाओं के सम्बन्ध में विस्तार से बताया गया। इस कार्यक्रम में तहसीलदार उरई कुमार भूपेन्द्र सिंह, पुलिस उपनिरीक्षक हरीकृश्ण, जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रतिनिधि सुरेश कुमार, जिला श्रम विभाग प्रतिनिधि सुनील कुमार, जिला समाज कल्याण अधिकारी अधीक्षक देवेन्द्र कुमार त्रिवेदी एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी सम्पत्ति देवी द्वारा विभिन्न विभागीय योजनाओं की जानकारी दी गयी। ग्राम प्रधान पुष्पा देवी द्वारा अन्त में सभी अतिथिगणों का अभिनन्दन तथा आभार व्यक्त किया गया। इस शिविर का संचालन पीएलवी महेश सिंह परिहार ने किया। इस शिविर में जिला विद्यालय निरीक्षक प्रतिनिधि प्रवक्ता जितेन्द्र राजपूत, ग्राम पंचायत अधिकारी राणा इन्द्रजीत सिंह, प्रधानाध्यापिका संगीता सिंह, सहायक अध्यापिका रुपाली सेंगर एवं रश्मि पिपरैया, ग्राम प्रधान प्रतिनिधि करन सिंह, कम्प्यूटर आपरेटर आशीष पाण्डेय, समूह अध्यक्ष मीरा देवी, लेखपाल संजय चौरसिया, वरिष्ठ सहायक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कार्यालय मु. बख्तयार पीएलवी टीम लीडर योगेन्द्र सिंह तखेले, धर्मेन्द्र कुमार, अनुराग स्वर्णकार, रामदेव चतुर्वेदी, मनीशा चतुर्वेदी, महेन्द्र कुमार मिश्रा, पीएलवी समेत दर्जनों ग्रामीण उपस्थित रहे।
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