लखनऊ। उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद 19 अरब रुपये वसूलने के लिए कवायद तेज कर दी है। शासन को करीब सोलह हजार डिफाल्टरों की सूची उपलब्ध कराई गई है। इनमें छोटे से लेकर बड़े बिल्डर हैं और कुछ कोरोना काल में बिगड़ी स्थिति के बाद अपनी संपत्तियों की किस्तें अलग-अलग कारणों से नहीं दे सके। ऐसे डिफाल्टरों के लिए एक मुश्त समाधान योजना (ओटीएस) को वर्ष 2020 में लाया गया था, जिसे दो वर्ष बाद एक बार फिर से लाने की योजना है।
शासन ने मांगा ब्योरा
शासन ने प्रदेश के सभी प्राधिकरण से भी डिफाल्टरों का ब्योरा मांगा है। करीब दो साल बाद ओटीएस आने से कई सौ करोड़ राजस्व आने की उम्मीद जताई जा रही है। परिषद के अफसरों ने बताया कि लखनऊ जोन, मेरठ जोन, कानपुर जोर, बरेली जोन, वाराणसी जोन, गोरखपुर जोन और आगरा जोन में हजारों संपत्तियों पर करोड़ों रुपये बकाया है।
सूची बनाते वक्त पाया गया कि कुछ डिफाल्टरों ने बकाया राशि जमा करने की कोशिश की, कुछ ने बीच में छोड़ दिया। यही नहीं कई बकाएदार ऐसे मिले, जिन्होंने शुरू में एक या दो किस्तें जमा की और उसके बाद कोई पैसा जमा नहीं किया। अब ऐसे डिफाल्टरों से बकाया वसूला जाएगा।
निर्माण हो गया तो वसूली के लिए होंगे नीलाम
अगर किस्तें नहीं चुकाई जाती तो आवास विकास परिषद ऐसे संपत्तियों से अपना पैसा ब्याज सहित निकालने के लिए उन्हें नीलाम करेगा। यह काम ओटीएस योजना खत्म होने के बाद किया जाएगा। यही नहीं ऐसे डिफाल्टरों की सूची अखबार में प्रकाशित करने के बाद नीलाम करने की प्रकिया को गति देने का काम किया जाएगा।
कुछ इस प्रकार हैं बकायेदार
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जोन का नाम डिफाल्टर संख्या ओटीएस से आने वाली आय (लाख में)
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लखनऊ जोन संपत्ति 10,252 15,4883.46
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मेरठ जोन मानचित्र 14 15470.92
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कानपुर जोन संपत्ति 1,135 5787.24
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बरेली जोन संपत्ति 443 1674.40
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वाराणसी जोन संपत्ति 128 500.01
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गोरखपुर जोन संपत्ति 302 1338.00
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आगरा जोन संपत्ति 3501 6570.25
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आगरा जोन मानचित्र 01 114
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कुल राशि : 185538.28