प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने पूर्व गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद को 30 अक्टूबर तक शाहजहांपुर कोर्ट में सरेंडर करने को कहा है। हाई कोर्ट ने 30 अक्टूबर तक चिन्मयानंद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने को भी कहा है। कोर्ट ने निचली अदालत को यह निर्देश दिया है कि सरेंडर के बाद वह कानून के मुताबिक ही चिन्मयानंद की जमानत अर्जी पर फैसला ले। जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने स्वामी चिन्मयानंद की धारा 482 के तहत दाखिल अर्जी को उक्त निर्देश के साथ निस्तारित कर दिया है।
हाई कोर्ट ने स्वामी के खिलाफ दर्ज शिष्या से रेप का केस वापस लेने के सरकार के निर्णय पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पिक ऐंड चूज की पॉलिसी के तहत किसी खास व्यक्ति को राहत देने का फैसला सही नहीं है। टॉप-टू-बॉटम सभी लोगों के लिए कानून एक बराबर है। कमजोर लोगों को संरक्षण मुहैया करवाना कानून की जिम्मेदारी है।
स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ मुकदमा वापस लेने के अनुरोध वाली याचिका खारिज
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर रेप के मामले में मुकदमा वापस लेने के अनुरोध वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। स्वामी चिन्मयानंद ने स्वयं के खिलाफ शाहजहांपुर के कोतवाली थाना में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और 506 के तहत दर्ज मामले में शाहजहांपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट रुख किया था।
शाहजहांपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अभियोजन अधिकारी को सीआरपीसी की धारा 321 के तहत चिन्मयानंद के खिलाफ मुकदमा वापस लेने की अनुमति देने से मना कर दिया था। इस याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने कहा कि निचली अदालत के फैसले पर गौर करने के बाद इस अदालत का विचार है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ मुकदमा वापस लेने की संपूर्ण प्रक्रिया, उच्चतम न्यायालय द्वारा तय मानकों के अनुरूप नहीं है और इस तरह से यह अदालत इसमें हस्तक्षेप करना ठीक नहीं समझती। कोर्ट ने आगे कहा कि इस अदालत का मानना है कि याचिकाकर्ता के पक्ष में अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 321 के तहत अधिकार के उपयोग का कोई मामला नहीं बनता और याचिका खारिज किए जाने योग्य है।
Get real time update about this post categories directly on your device, subscribe now.