नई दिल्ली: सरकार ने ऑनलाइन सट्टेबाजी (online betting) को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों पर सख्ती दिखाई है। उसका कहना है कि मीडिया को ऐसे विज्ञापनों से बचना चाहिए क्योंकि ये खास तौर से युवाओं और बच्चों के लिए सामाजिक-आर्थिक जोखिम पैदा करते हैं। केंद्र सरकार ने सोमवार को इस बारे में एक अडवाइजरी जारी की। सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने कहा कि मीडिया को ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लैटफॉर्म के विज्ञापन दिखाने से बचना चाहिए। मंत्रालय ने इन विज्ञापनों को भ्रामक बताते हुए कहा कि सट्टेबाजी और जुआ देश के ज्यादातर हिस्सों में अवैध है। यह कंज्यूमर के लिए वित्तीय और सामाजिक जोखिम पैदा करते हैं। मंत्रालय ने ऑनलाइन विज्ञापन मध्यस्थों और पब्लिशर्स समेत ऑनलाइन और सोशल मीडिया को भारत में ऐसे विज्ञापन नहीं दिखाने को कहा। यह भी कहा कि भारतीय दर्शकों को ऐसे विज्ञापनों के लिए टारगेट न किया जाए।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘देश के ज्यादातर हिस्सों में सट्टेबाजी और जुआ अवैध है। ये विज्ञापन खास तौर से युवाओं और बच्चों के लिए सामाजिक-आर्थिक जोखिम पैदा करते हैं।’ सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने अडवाइजरी में कहा कि ऑनलाइन विज्ञापनों से सट्टेबाजी को बढ़ावा मिलता है जबकि इस पर कई जगह रोक लगी हुई है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, सोशल और ऑनलाइन मीडिया में ऑनलाइन सट्टेबाजी वेबसाइटों, प्लैटफॉर्म के विज्ञापनों के कई मामले सामने आए हैं। इसके बाद जनहित में यह अडवाइजरी जारी की गई है।
भ्रामक विज्ञापनों पर भी सरकार सख्त
इससे पहले सरकार ने बच्चों को निशाना बनाने वाले भ्रामक विज्ञापनों पर काबू पाने के लिए शुक्रवार को नए निर्देश जारी किए थे। इसके तरह किसी प्रोडक्ट की खरीद पर फ्री में दूसरा प्रोडक्ट देने वाले विज्ञापनों पर रोक लगा दी गई थी। साथ ही किसी विज्ञापन में स्वास्थ्य से जुड़ी गलत जानकारी देने पर कंपनियों के साथ ऐड में दिखने वाले ऐक्टर पर भी सख्त कार्रवाई होगी। दोनों पार्टियों पर पहली बार में दस लाख रुपये का जुर्माना लग सकता है। साथ ही विज्ञापन बनाने वालों पर तीन साल का बैन भी लगाया जा सकता है। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण की गाइडलाइंस में यह भी कहा गया था कि विज्ञापनों पर नजर रखी जाएगी कि कही इनके जरिए झूठे वादे और मूर्ख तो नहीं बनाया जा रहा है।
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