* अपने कसे हुऐ निर्देशन के कारण ” आल्हा अमर क्यूँ है ? ” नाटक ने पेॗक्षको पर गहरा असर डाला
अनिल शर्मा + संजय श्रीवास्तव
लेखक डॉक्टर जय दयाल सक्सेना और निर्देशक डॉक्टर राज पप्पन और डॉ स्वाति राज के कैसे हुए निर्देशन में स्थानीय सिटी सेंटर सभागार में शहर में भीषण बरसात के बावजूद नाटक आल्हा अमर क्यूँ है ने उपस्थित प्रेक्षकों मे गहरा असर डाला|
नाटक 12 वी शताब्दी के लोकनायक आल्हा जो जनवादी योद्धा थे | तथा महोबा के राजा परमाल की सेना के वह तथा उनके छोटे भाई ऊदल प्रमुख योद्धाथे | उस समय दिल्ली मे पृथ्वीराज चौहान , उरई मे राजा माहिल तथा कन्नौज मे जयचन्द का राज्य था| उस समय राजा ईर्ष्या और आपसी द्वेष के चलते आपस में लडते भिडते रहतेथे| उस समय हिन्दू समाज ऊंच नीच , जाति पांति के भेद भाव से बुरी तरह तरह बटा हुआ था |महिलाओं की स्थिति भी बहुत खराब |कई युद्धों मे अपनी वीरता से दुश्मनों के छक्के छुडा चुके थे| लेकिन महोबा राजा परमाल उन्हे बनाफर जाति का होने के कारण नीच जाति का समझ वह सम्मान नही देते थे | समाज मे व्याप्त असमानता से आल्हा बहुत व्यथित रहते थे| इसके अलावा महिलाओ की स्थिति समाज मे सम्मान जनक नही थी| इन्ही भेदभावौ को मिटाने के लिऐ वीर आल्हा ने संकल्पलिया| उन्होने सदियो से शोषित ,वंचित मानवता की गरिमा की पुर्नस्थापना और रूढ़ियों की चहार दीवारी मे कैद स्त्री की आजादी की इबारत भीलिखने का काम वीरआल्हा ने अपने कालखण्ड मे किया | आल्हा ने इस नाटक मे समाज से विषमता मिटाने के लिऐ 12वी शताब्दी मे समाज के तथा कथित शूद्रों की सेना गठित की| इसके लिऐ शिक्षा से वंचित महिलाओ एवं राज नृतिकियों की महिला वाहनी सेना गठित की , उन्हे शस्त्र विद्या मे प्रशिक्षित किया | इसी तरह रोजगार परक शिक्षाऔर घर मे धन संम्पदा से संम्पन्न समाज का निर्माण करने का विशेष प्रयास किया| उन्होने ने समाज मे व्याप्त ऊंच नीच जाति का भेदभाव मिटाकर समाज समाज मे मानवीय मूल्यों को स्थापित. करने की पुरजोर पॗयास किया | नाटक मेआल्हा के रुप मे पॗशान्त स्वर्णकार, ऊदल के रूप मे दुष्यन्त सिंह गायक के रुप मेराजपप्पन माहिल के रुप मे दीपेन्दॗ कुमार पृथवीराज चौहान के रुप अजय दी क्षित बेला के रुप मे श्रेया त्रिपाठीने ताला सैयद के रुप पॗदीप ककुमार गुरु गोरख नाथ के रुप मेसुभाष चन्दाऔर अभ ई के रुप निशाद मुहम्मद तथा लाखा के रुप उपासना वर्मा ने अपने अभिनय से पात्रो कको जीवंत कर दिया जबकि हर्षिता पटेल,रामकुमार ओमरे पॗमोध कुमार , सुमति पॗजापति सागर , शिवम पालने अपनी अपनी भूमिकॎओl से न्याय किया|नाटक की मंच सज्जा अमजद आलम धर्मेन्दॗ कुमार ,संतोष दीक्षित ने की संगीत निर्देशषसुरेन्दॗ खयरे और अनुराग श्रीवास्व ने किया|
इसनाटक मे शोध, सौन्दर्य गीत पुर्नपाठन मे डा राजेन्दॗ पुरवार गिरजाकुमार दुबे दीन दयाल वर्मा और आल्हा गायक झबब्बूदादी ने बहुमूल्य योग दान दिया |इस अवसरपर संरक्षक मंडल डा सतीश चन्दॗ शर्मा ,कैलाश पाठक, सुधीर अवस्थी वी के सोनकिया सुदामा दीक्षित होरी ला शंमॕभूदयॊल संयोजक अनिल वैध इप्टा उर ई अध्यक्ष देवेन्दॗ शुक्ला अवधेश शर्मा मुन्नालाल नाम देव| राज्य कार्य कारणीlसदस्य संजीव कुमॎरडा रेनू चन्दाॗ , श्याम सुन्दर चौधरी , पॗभात तिवारीवारीसहित तमाम गण मान्य लोग मौजद थे| नाटक कीविशेषता यह भी थी कि शहर मे भीषण बारिश होरहीथेथी |इसके बावजूद नाटक देखने को सभागार मे सैकडो लोग मौजूदरहे |
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